मानवाधिकार आयोग ही करेगा चुनाव बाद हिंसा की जांच
कोलकाताPublished: Jun 21, 2021 11:55:07 pm
पश्चिम बंगाल में चुनाव बाद हिंसा के मामले में राज्य सरकार को सोमवार को कलकत्ता हाइकोर्ट से तगड़ा झटका लगा। हाईकोर्ट ने हिंसा की जांच के आदेश के खिलाफ सरकार की याचिका खारिज कर दी।
मानवाधिकार आयोग ही करेगा चुनाव बाद हिंसा की जांच
हाईकोर्ट ने दिया ममता सरकार को झटका, खारिज की याचिका
5 जजों की खंडपीठ ने आदेश को वापस लेने से इनकार किया
कोलकाता. पश्चिम बंगाल में चुनाव बाद हिंसा के मामले में राज्य सरकार को सोमवार को कलकत्ता हाइकोर्ट से तगड़ा झटका लगा। हाईकोर्ट ने हिंसा की जांच के आदेश के खिलाफ सरकार की याचिका खारिज कर दी। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल की अध्यक्षता वाली 5 जजों की खंडपीठ ने उस आदेश को वापस लेने से इनकार कर दिया जिसमें राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) को राज्य में चुनाव के बाद की हिंसा के दौरान विस्थापित हुए लोगों की शिकायतों की जांच के लिए एक समिति बनाने का निर्देश दिया गया था। साथ ही राज्य सरकार को एनएचआरसी का सहयोग करने को कहा गया था। इसके खिलाफ राज्य सरकार ने पुनर्विचार याचिका दायर की थी। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपने संक्षिप्त आदेश में खंडपीठ ने कहा कि पीठ ने इस मामले में जो आदेश पारित किया है, उसके खिलाफ अपील की सुनवाई नहीं होगी। याचिका को खारिज किया जाता है। सिर्फ इतना ही नहीं खंडपीठ ने राज्य सरकार को फिर कड़ी फटकार लगाई।
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राज्य आयोग के पास 1 भी शिकायत क्यों नहीं
खंडपीठ ने कहा कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के पास हिंसा और मानवाधिकारों के उल्लंघन की अब तक 541 शिकायतें जमा हो चुकी हैं, जबकि राज्य मानवाधिकार आयोग (एसएचआरसी) के पास अब तक एक भी शिकायत जमा नहीं हुई है क्यों? कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा कि उसने हिंसा को रोकने के लिए जो कार्रवाई की है, उस पर अपनी रिपोर्ट एनएचआरसी के समक्ष पेश करे।
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कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश की टिप्पणी
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल ने कहा कि कितने लोग अभी तक नहीं लौटे हैं, राज्य सरकार कोर्ट को केवल सूची देती है। वह यह नहीं चाहते हैं। जिस तरह से जांच की गई है, वह सही नहीं है। पुलिस ने शिकायत दर्ज नहीं की। सुप्रीम कोर्ट में एक मामले में राज्य ने अपनी पहल पर कुछ नहीं किया। इतने गंभीर मामले में उसने कुछ नहीं किया। इतना क्यों छिपाया जा रहा है? इसका मतलब है कि आप शिकायतकर्ताओं की नहीं सुन रहे हैं। अदालत राज्य के आश्वासन पर भरोसा नहीं कर सकती है। इससे पहले दिया गया निर्देश लागू रहेगा, हालांकि, राज्य सरकार अपना हलफनामा दे सकती है।
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आयोग ने 7 सदस्यीय कमेटी बनाई
हाईकोर्ट के आदेश के बाद राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) अरुण कुमार मिश्रा ने बंगाल में चुनाव बाद हिंसा की शिकायतों की जांच के लिए 7 सदस्यीय कमेटी बनाई।
आयोग सदस्य राजीव जैन की अध्यक्षता में गठित सात सदस्यीय कमेटी में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के उपाध्यक्ष आतिफ रशीद, राष्ट्रीय महिला आयोग सदस्य राजुलबेन एल देसाई, पश्चिम बंगाल राज्य मानवाधिकार आयोग के रजिस्ट्रार प्रदीप कुमार पांजा शामिल हैं।