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कोरोना–लापरवाही या संसाधनों की कमी : क्यों हो रहे हैं बंगाल के चिकित्सक और चिकित्साकर्मी कोरोना पॉजिटिव

locationकोलकाताPublished: Apr 16, 2020 12:01:19 am

Submitted by:

Krishna Das Parth

सौ से ज्यादा चिकित्सक व चिकित्साकर्मियों को भेजा गया है क्वारंटाइन में-आस्पताल प्रबंधन चिंतित

कोरोना--लापरवाही या संसाधनों की कमी : क्यों हो रहे हैं बंगाल के चिकित्सक और चिकित्साकर्मी कोरोना पॉजिटिव

कोरोना–लापरवाही या संसाधनों की कमी : क्यों हो रहे हैं बंगाल के चिकित्सक और चिकित्साकर्मी कोरोना पॉजिटिव

कृष्णदास पार्थ

कोलकाता. पश्चिम बंगाल में अब तक सौ से ज्यादा चिकित्सक और चिकित्साकर्मी क्वारंटाइन में भेजे जा चुके हैं। कई चिकित्सकों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। अब यह सवाल उठता है कि इसके पीछे क्या कारण है। लापरवाही या कोरोना इलाज के लिए संसाधनों की कमी? अब तक जो मामले सामने आए हैं उससे यही जाहिर होता है कि कोरोना इलाज में चिकित्सकों ने लापरवाही ही बरती है। तो क्या यह लापरवाही जानबूझ कर की गई या अनजाने में। यदि आप चिकित्सक हैं तो कोरोना के लक्षणों को भलिभांति पहचान कर ही उसका इलाज करना चाहिए। कई मामले सामने आए जो यह साबित करता है कि कोरोना के लक्षण होने के बावजूद चिकित्सकों ने लापरवही बरती और अस्पताल के जनरल वार्ड में कोरोना मरीज का इलाज किया। स्थिति बिगडऩे पर मरीज को स्पेशलाइज्ड सेंटर में भेजा गया। तब तक कई लोग संक्रमित हो चुके थे। महानगर का एनआरएस अस्पताल के ही लिया जाए, तो यहां 79 चिकित्सक और चिकित्साकर्मियों को क्वारंटाइन में भेज दिया गया है। इसके बाद कोलकाता मेडिकल कॉलेज अस्पताल, आरजी कर मेडिकल अस्पताल, चित्तरंजन मेडिकल अस्पताल समेत अन्य कई सरकारी और गैर सरकारी अस्पताल हैं जिनके चिकित्सक और चिकित्साकर्मियों को क्वारंटाइन में भेजा गया है।
प्रदेश में कोरोना ने जब पूरी तरह से पांव भी नहीं पसारा था तब यहां के चिकित्सकों ने स्वास्थ्य विभाग से कोरोना इलाज के लिए संसाधनों को मुहैया कराने की बात कही थी। लेकिन अफसोस स्वास्थ्य विभाग सतर्क नहीं हुआ। कोरोना का संक्रमण बढऩे पर बेलियाघाटा के आईडी अस्पताल के कर्मियों ने मास्क, हैंड ग्लब्स, सैनिटाइजर समेत अन्य संसाधनों की मांग के समर्थन में प्रदर्शन भी किया था, लेकिन तब भी इसे गंभीरता से नहीं लिया गया। अब स्थिति धीरे-धीरे जब बिगडऩे लगी है, तो यह सवाल उठने लगा है कि यदि चिकित्साकर्मी ही कोरोना से प्रभावित हो जाएंगे, तो कोरोना संक्रमितों का इलाज कौन करेगा। वैसे भी कई अस्पतालों में चिकित्सा कर्मियों की कमी हो गई है। जिसकी भरपाई करने के लिए पश्चिम बंगाल सरकार को जिले या अन्य कुछ अस्पतालों से चिकित्सकों का तबादला करना पड़ रहा है। अभी हाल ही में आठ डॉक्टरों को मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भेजा गया।
सामुदायिक फैलाव का डर

इधर चिकित्सकों की कमी और उधर महानगर की कई बस्तियों में कोरोना का सामुदायिक फैलाव लोगों में चिंता बढ़ा दी है। महानगर की बेलगछिया बस्ती, काशीपुर की सौदागर बस्ती समेत कुछ इलाकों में एक साथ कई लोगों को कोरोना पॉजिटिव पाया गया है। काशीपुर की सौगरपट्टी और बेलगछिया में तो दो-दो जनों की मौत भी हो चुकी है। उनके परिजन क्वारंटाइन में भेजे गए हैं।

चिकित्सक व नर्स सहित 49 लोग क्वारंटाइन में

चित्तरंजन नेशनल मेडिकल कॉलेज के एक डॉक्टर को कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद 49 लोगों को क्वारंटाइन में भेज दिया गया है। ये सारे लोग डाक्टर के संपर्क में थे। चिकित्सा टीम से 49 लोंगो को क्वारंटाइन में भेजे जाने के बाद अस्पताल प्रबंधन चिंतित हो गया। मालूम हो कि पार्क सर्कस इलाके स्थित कोलकाता नेशनल मेडिकल कॉलेज के सूत्रों ने बताया कि संक्रमित चिकित्सक ने जिन वार्डों में इलाज किया था उन सभी मरीजों को विशेष पर्यवेक्षक में रखा जा रहा है। अस्पताल के सूत्रों ने बताया कि 26 मार्च से लेकर 1 अप्रेल तक उन्होंने मेडिसिन विभाग में काम किया। उसके बाद 2 अप्रेल से उसके बाद अप्रेल से उन्होंने छुट्टियां ले ली। गत 3 अप्रेल को उन्हें ज्वर आया व उनमें कोरोना के लक्षण देखे गए। उसके बाद से ही उन्हें एमआर बांगुर अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उसके बाद 12 अप्रेल को चिकित्सक के स्वाब के नमूने जांच के लिए भेजे गए। मंगलवार रात को जांच की रिपोर्ट आई जिसमें पता चला कि डॉक्टर कोरोना पॉजिटिव है। डाक्टर के कोरोना पॉजिटिव आने के बाद नेशनल मेडिकल कॉलेज अस्पताल प्रबंधन ने अपने यहां उनके संपर्क में आने वाले लोगों की छानबीन शुरू कर दी है। बताया जा रहा है कि अस्पताल की डॉक्टर नर्स सहित कुल 49 लोगों को क्वारंटाइन में भेजा गया। इसके साथ-साथ ही उन्होंने जिस 2 वार्डों में मरीजों का इलाज किया था उन्हें भी विशेष रूप से देखा जा रहा है ताकि किसी में भी संक्रमण के लक्षण दिखाई दे तो तुरंत ही कार्रवाई की जाए। अस्पताल प्रबंधन की तरफ से यह भी कहा गया कि मेल मेडिसिन विभाग और फीमेल मेडिसिन विभाग दोनों को ही सैनिटाइज करने का काम शुरू कर दिया गया है। प्रबंधन की तरफ से हर प्रकार के सुरक्षा के उपाय अपनाए जा रहे हैं। मालूम हो कि अगर किसी भी मरीज को करना पॉजिटिव पाया जाता है तो उसे एमआर बांगुर अस्पताल या बेलियाघाटा की आईडी अस्पताल में भर्ती करने का प्रावधान है। तब से ही डॉक्टर का इलाज एमआरबांगुर अस्पताल में चल रहा है। इसके साथ-साथ मेडिसिन विभाग में भर्ती बंद कर दिया गया है।
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