टीका लेने के बाद मिमी को जब कोई मैसेज नहीं आया तो उनसे इस कैंप के आयोजकों ने कहा कि आप घर जाएं, मैसेज बाद में मिल जाएगा। मिमी को वैक्सीनेशन का सर्टिफिकेट भी नहीं मिला। आयोजकों से जब उन्होंने इस बारे में पूछा, तो उन्होंने फिर कहा कि आप को मैसेज और सर्टिफिकेट दोनों बाद में मिल जाएंगे। इस पर तृणमूल सांसद को संदेह हुआ। उन्होंने इसकी जानकारी पुलिस को दी। पुलिस ने नगर निगम से उक्त टीकाकरण कैंप की जानकारी मांगी। निगम ने ऐसे किसी टीकाकरण कैंप से इनकार कर दिया।
कोलकाता में हुए इस वैक्सीनेशन अभियान को बढ़ावा देने के लिए मिमी चक्रवर्ती न सिर्फ वहां पहुंची, बल्कि उन्होंने खुद वैक्सीन का डोज भी लिया। उनके साथ 200-250 लोगों ने भी कोरोना की वैक्सीन लगवाई। पुलिस हालांकि अभी कुछ सवालों का पता लगाने में जुटी है। आखिर उसने क्यों फर्जी आइएएस के तौर पर वैक्सीनेशन के इस कार्यक्रम का आयोजन करवाया? जो वैक्सीन वहां लगाया गया क्या वह असली था या फिर नकली। यदि असली था तो उसे यह वैक्सीन कहां से मिले?
सब इंस्पेक्टर उज्ज्वल देवनाथ की शिकायत पर देवांजन के खिलाफ कसबा थाने में 22 जून को आइपीसी की धारा 467, 468, 471, 474, 419, 420, 170 और 120बी के तहत मुकदमा दर्ज किया गया। कसबा थाने में दर्ज प्राथमिकी में कहा गया है कि 22 जून की शाम को करीब 5.50 बजे थाना क्षेत्र के कसबा न्यू मारर्केट राजगडांगा मेन रोड स्थित यूको बैंक बिल्डिंग के प्लॉट नंबर 61, ब्लॉक ईबी 107 में कोरोना टीकाकरण कार्यक्रम चल रहा था। देवांजन से पूछताछ शुरू की गई, तो उसकी बातों में कुछ विसंगतियां मिली। यूको बैंक बिल्डिंग के दूसरे तल्ले पर स्थित उसके दफ्तर से कुछ दस्तावेज बरामद किए गए। इनमें खुद को कोलकाता नगर निगम का संयुक्त आयुक्त होने का पहचान पत्र, विजिटिंग कार्ड, स्वास्थ्य भवन से करोना वैक्सीन की मांग करने वाले दस्तावेज शाामिल है। इतना ही नहीं उसके बैग से कथित तौर पर कोलकाता नगर निगम के संयुक्त आयुक्त के रूप में उसके द्वारा किए गए कार्यों की पेपर कटिंग भी मिले।