उधर पश्चिम बंगाल वेंडर्स एसोसिएशन के सचिव कमल डे ने इस मामले में बताया कि महानगर के बाजारों में पहले चीनी लहसुन की आपूर्ति हो रही थी और कारोबारी बेच भी रहे थे। लेकिन स्थानीय बहुलता के बाद खुदरा कारोबारियों ने चीनी लहसुन की सप्लाई बंद होने से पहले ही स्टॉक कम कर दिया। खाद्य विश्लेषकों का भी कहना है कि चीनी लहसुन के इस्तेमाल से कई गंभीर रोगों की चपेट में आने की संभावना हमेशा बनी रहती है।
जादवपुर यूनिवर्सिटी के फूड टेक्नॉलजी और बॉयोकेमिकल इंजिनियरिंग विभाग के प्रफेसर प्रशांत कुमार विश्वास ने बताया कि चीनी लहसुन में मौजूद खतरनाक केमिकल्स मेथिल ब्रोमाइड और क्लोरीन घुलने के बाद न्यूरोटॉक्सिन्स (नर्वस सिस्टम के लिए नुकसानदेह) को उत्पन्न करते हैं। इससे मानव शरीर की पाचन प्रणाली में तेजी से बदलाव होता है। साथ ही कैंसर समेत पेट संबंधी अनेक खतरनाक रोगों के होने की आशंका बनी रहती है। मौलाना अबुल कलाम आजाद यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलोजी के फूड साइंस टेक्नोलोजी विभाग के अध्यक्ष उत्पल रॉयचौधरी ने बताया कि चीनी लहसुन साधारण लहसुन खासकर भारत में उत्पन्न होने वाले लहसुन की तुलना में किसी भी तरह से फायदेमंद नहीं है। जनरल फिजिशियन समीर कुमार बनर्जी का कहना है कि कोरोना के चीनी लहसुन पर पड़े असर को अनदेखा नहीं किया जा सकता, जो मानव स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक है।