scriptकोरोना का असर- तीन सौ सालों में पहली बार कोलकाता से गायब हुआ रसगुल्ला | Corono scare: kolkata sweet shops closed rasogulla out of reach | Patrika News

कोरोना का असर- तीन सौ सालों में पहली बार कोलकाता से गायब हुआ रसगुल्ला

locationकोलकाताPublished: Mar 28, 2020 12:26:13 pm

Submitted by:

Paritosh Dube

तीन सौ सालों के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है। मिठाई पसंद करने वाले बांग्लाभाषियों की दैनिक खुराक का हिस्सा रहा रसगुल्ला गायब हो चुका है।

कोरोना का असर- तीन सौ सालों में पहली बार कोलकाता से गायब हुआ रसगुल्ला

कोरोना का असर- तीन सौ सालों में पहली बार कोलकाता से गायब हुआ रसगुल्ला

कोलकाता. खांटी दूध के छेने से बना कोलकाता का रसगुल्ला विश्व भर में विख्यात है। शहर के बहुत से लोग रात को गरम-गरम और दिन में चासनी पी चुके रसगुल्ले को अपनी नियमित आहार ऋंखला में शामिल कर चुके हैं। बहुत से लोग चीनी से बने सफेद या गुड़ से तैयार हल्के भूरे रसगुल्ले को दबा कर चाशनी निचोडक़र खाते हैं तो बहुत से लोग एक बार में चाशनी में डूबे रसगुल्ले का स्वाद लेते हैं। कोई मुड़ी के साथ तो कोई रोटी के साथ कोई नमकीन व्यंजनों के साथ इस रसभरी मिठाई का आनंद लेता है। पर इन दिनों बांग्लाभाषियों की थाली से उनकी रसोई से यह मिठाई पूरी तरह से गायब हो गई है और ऐसा इस मिठाई के तैयार होने के तीन सौ सालों बाद हुआ है। शहर की कोई भी मिठाई दुकान नहीं खुली है। न ही कहीं रसगुल्ला तैयार हो रहा है।
पिछले चार दशकों से रोजाना रात को दो गरम गरम रसगुल्ले खाने वाले बरानगर के डी देवनाथ बताते हैं कि ऐसा पहली बार हो रहा है। रात को बिना रसगुल्ला खाए उनका हाजमा खराब हो रहा था। इसलिए वे अभी चीनी के साथ आधा चम्मच दूधपाउडर चबाते हैं। रसगुल्ले की कमी तो खलती है पर विकल्प ढूंढ रहे हैं।
कार्यालय जाने से पहले नियमित तौर पर रसगुल्ले खाने वाली बोनू सरकार कहती हैं अभी भी रोजाना वे फ्रिज खोलकर देखती हैं कि शायद सेंटा क्लॉज उनके फ्रिज में रसगुल्ले रख जाएं।

राज्य भर की मिठाई दुकानें बंद
दरअसल कोरोना संक्रमण रोकने के लिए किए गए लॉकडाउन केकारण पूरे राज्य की मिठाई दुकानें बंद हैं। इसलिए मिठाई प्रिय बांग्ला भद्र लोक इस स्वाद से वंचित हो रहा है। तस्वीर का दूसरा पहलू यह भी है कि मिठाई बनाने में काम आने वाला दूध बेकार हो रहा है। ग्वाले व दुग्ध उत्पादकों के सामने संकट की स्थिति पैदा हो रही है। रोजाना हजारों लीटर दूध नालियों में बहाया जा रहा है।
हो रहा बड़ा नुकसान

जोड़ासांको दुग्ध व्यवसायी समिति के अध्यक्ष राकेश सिन्हा के मुताबिक मिठाई की दुकानें ताजे दूध के उत्पादन का लगभग 60 प्रतिशत इस्तेमाल करती हैं। लॉकडाउन में मिठाई दुकानें बंद हैं । दुग्ध उत्पादक किसे दूध बेचेंगे। इसलिए दुग्ध उत्पादक दूध बहाने के लिए मजूबर हो रहे हैं। करोड़ों का नुकसान हो रहा है।
राज्य के पशुपालन मंत्री स्वपन देवनाथ के मुताबिक सरकारी डेयरियां अतिरिक्त दूध खरीदने की कोशिश कर रही हैं। लेकिन यह भी ध्यान रखना होगा कि वे यकायक अपनी क्षमता नहीं बढ़ा सकती हैं। दुग्ध उत्पादकों से कहा जा रहा है कि वे दूध नष्ट न कर पनीर बना लेें जिन्हें खरीद लिया जाएगा।
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