अवैध इमारतों पर कार्रवाई पर निगम दे रिपोर्ट- कलकत्ता हाईकोर्ट
- कोलकाता नगर निगम को मिला पांच जनवरी तक का मौका

कोलकाता
महानगर में अवैध इमारतों पर कार्रवाई को लेकर कलकत्ता हाईकोर्ट कोलकाता नगर निगम से रिपोर्ट तलब की है। कोलकाता नगर निगम (केएमसी) से अवैध निर्माण को लेकर सिद्धार्थ बसु एवं अन्य की तरफ से केएमसी के खिलाफ दायर एक रिट पर सुनवायी करने के बाद चीफ जस्टिस टी बी राधाकृष्णन और जस्टिस अरिजीत बनर्जी के डिविजन बेंच ने यह आदेश दिया। इसके साथ ही अपने आदेश में बिल्डिंग विभाग के एक डिप्टी चीफ इंजीनियर की जम कर खिंचाई की है।डिविजन बेंच ने अपने आदेश में कहा है कि केएमसी को अंतिम मौका दिया जा रहा है। संबंधित बिल्डिंग के साथ ही अवैध एवं अनाधिकृत रूप से बनायी गई बिल्डिंगों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई है, इसकी विस्तृत एवं संपूर्ण रिपोर्ट चार सप्ताह के अंदर दी जाए। डिविजन बेंच के पूर्व के आदेश के अनुसार केएमसी की तरफ से एक स्टेटस रिपोर्ट सौंपी गई थी।इस रिपोर्ट के बाबत डिविजन बेंच ने कहा कि इसे देख कर हम चिंतित और मायूस हैं। इस रिपोर्ट की औकात जिस कागज पर यह लिखी गई है उसके बराबर भी नहीं है। इससे कोई विस्तृत जानकारी नहीं मिलती है। इसमें की गई इंट्री के समक्ष यह स्पष्ट नहीं है कि यह निर्माण अवैध है या नहीं, अगर हां तो इसके खिलाफ क्या कार्रवाई की गई इसका उल्लेख नहीं है। यह रिपोर्ट बेहद लापरवाही से लिखी गई है।इस रिपोर्ट की पुष्टि बोरो सात के बिल्डिंग विभाग के डिप्टी चीफ इंजीनियर प्रणव घोष ने की है और उनका दावा है कि वे तथ्यों और परिस्थितियों से पूरी तरह अवगत है। डिविजन बेंच ने उनकी जम कर खिंचाई करते हुए कहा कि जिसने यह रिपोर्ट तैयार की है हम ने उसके खिलाफ तीखी टिप्पणी करते हुए कार्रवाई करने का मन बना लिया था, लेकिन केएमसी के एडवोकेट आलोक कुमार घोष की वाकचातुर्यता के कारण इस बार बक्स दे रहे हैं। अगली सुनवायी से पहले हर हाल में विस्तृत रिपोर्ट आनी चाहिए।
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