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मतभेद दूर करने दम्पती 3 दिन रहें होटल में

locationकोलकाताPublished: Jan 18, 2018 02:06:20 pm

Submitted by:

Vanita Jharkhandi

– बीरभूम: जज का अनोखा निर्देश, खर्च भी खुद वहन करने का ऐलान

kolkata west bengal
शादी के तुरंत बाद दाम्पत्य जीवन में कडुवाहट दूर करने की कोशिश

कोलकाता. शादी के तुरंत बाद आपस में मनमुटाव और दाम्पत्य जीवन में कड़ुवाहट दूर करने के लिए जिला जज ने अनोखा निर्देश दिया है। यह मामला बीरभूम का है। रिश्ते तोडऩे के बजाए जोडऩे पर जोर देते हुए जज पार्थ सारथी सेन ने तीन दिनों के लिए घर और रिश्तेदारों से दूर दम्पती को होटल में रहने का निर्देश दिया। साथ ही होटल में रहने का खर्च भी खुद जज ने ही वहन करने का ऐलान किया। सरकारी वकील की माने तो पहले ही दिन दोनों के रिश्ते में सुधार दिखा है। गत मार्च महीने में बीरभूम के सिउड़ी के रहने वाले गौतम दास से नदिया जिले के अहना की शादी हुई थी। कुछ दिनों के बाद ही दोनों के बीच पारिवारिक अशान्ति शुरू हो गई। मामला बढ़ते-बढ़ते जनवरी महीने में कोर्ट कचहरी तक जा पहुंचा। अहना ने गौतम तथा उसके परिवार पर वधू उत्पीडऩ का मामला दर्ज किया। मंगलवार को इस मामले में आग्रिम जमानत की सुनवाई के दौरान दोनों ने एक-दूसरे पर मारपीट का आरोप लगा दिया। दोनों के आरोप-प्रत्यारोप सुनने के बाद ही जज पार्थ सारथी सेन ने अनोखा आदेश सुना दिया। उन्होंने दम्पती से कहा कि वे घर-परिवार से दूर तीन दिन किसी बढिय़ा होटल में समय गुजार कर आएं। वहां दोनों बैठकर आपस में अपनी शिकायतों और मनमुटाव को दूर करने का प्रयास करें। इसके बाद यदि समस्या हो तो वे कोर्ट में आए।

रिश्ते में दिखा सुधार

होटल में रहने का साराखर्च खुद जिला जज ने उठाया। इस आदेश का पालन करते हुए दोनों होटल में चले गए। सरकारी वकील रंजीत गंगोपाध्याय ने बताया कि एक दिन में ही रिश्ते में काफी सुधार दिख रहा है। आशा है कि तीन दिनों में दोनों के अन्दर की सारी कड़ुवाहट दूर हो जाएगी।

19 को होगी फिर सुनवाई

19 जनवरी को मामले की अगली सुनवाई है। रंजीत ने बताया कि छोटी-छोटी बातों और अहम को लेकर कभी कभी रिश्ते बिगड़ जाते हैं। धैर्य की कमी आ जाती है। ऐसे संबंधों को जोडऩे के बजाए तोडऩे में रिश्तेदारों की अहम भूमिका नजर आती है। यदि ऐसी स्थिति में दम्पती को थोड़ा सा अकेला छोड़ दिया जाए और रिश्ते आपस में जुडऩे की सम्भावना रहती है। जज ने ऐसा करके लोगों को संदेश दिया है कि लडऩे के बजाए आपस में बैठकर मामले को सुलझाने का प्रयास करना चाहिए। खुद क्या चाहते हैं उस पर भी गौर करने की जरूरत है।
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