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भाकपा (माओवादी) को शहरी व बुद्धिजीवी युवाओं की तलाश

locationकोलकाताPublished: Sep 09, 2018 10:40:41 pm

Submitted by:

MANOJ KUMAR SINGH

संगठन में अगली पीढ़ी के कैडरों का अभाव: पोलित ब्यूरो सदस्य

Kolkata West Bengal

भाकपा (माओवादी) को शहरी व बुद्धिजीवी युवाओं की तलाश

दूसरी पीढ़ी का नेतृत्व तैयार करना पार्टी के लिए सबसे बड़ी राजनीतिक चुनौती

कोलकाता
शहरी इलाकों में उग्र वामपंथी सिद्धान्तों को प्रोत्साहन देने के लिए कथित शहरी नक्सलियों की सक्रियता को लेकर चल रही बहस के बीच प्रतिबंधित संगठन भाकपा (माओवादी) की ओर से शहरी और बुद्धिजीवी युवाओं की तलाश किए जाने खबर प्रकाश में आई है।
नेतृत्व और जमीनी स्तर के कैडरों के अभाव से गुजर रही भाकपा (माओवादी) के पोलित ब्यूरो सदस्य प्रशान्त बोस उर्फ किशनदा ने कहा कि पार्टी शहरी और बुद्धिजीवी युवाओं को प्रशिक्षित कर अपना कैडर बनाएगी और अपनी कमियों को दूर करेगी। इस क्रम में शहरी इलाके में रह रहे आदिवासी और अनुसूचित जाति के युवा भी शुमार हैं। उन्होंने अपने मुखपत्र लाल चिंगारी प्रकाशन में कहा है कि ग्रामीण इलाकों में शिक्षित युवाओं की कमी के कारण पार्टी अपनी दूसरी कतार के नेतृत्व तैयार करने में विफल हो गई है। मुखपत्र में कहा गया है कि पार्टी ने पूर्वी क्षेत्र के सचिव ने कहा कि उन्हें अगली पीढ़ी का नेतृत्व तैयार करने को कहा गया था, लेकिन पार्टी को इसमें कोई खास सफलता नहीं मिली। किशनदा ने अपने साक्षात्कार में कहा है कि अभी दूसरी पीढ़ी का नेतृत्व तैयार करना पार्टी के लिए सबसे बड़ी राजनीतिक चुनौती है। किशनदा का यह बयान भाकपा (माओवादी) की ओर से संगठन को शक्तिशाली करने के लिए अपने उम्रदराज और शारीरिक तौर से अक्षम नेताओं को भूमिगत गतिविधियों से मुक्ति देने और उन्हें अवकाश देने की योजना शुरू करने के एक साल बाद आया है। अपने प्रकाशित साक्षात्कार में उक्त उग्र वामपंथी नेता ने कहा है कि पश्चिम बंगाल को छोड़ कर उनकी पार्टी ने बिहार, असम और झारखण्ड में दलितों, आदिवासियों और गरीबों में अपना संगठन बनाया है, जहां शिक्षा का स्तर बहुत कमजोर। ऐसे में उक्त राज्यों के कैडरों में माक्र्सवाद और माओवादी के सिद्धान्तों का सही अर्थ समझाना बहुत बड़ा काम है। इसलिए दलित, आदिवासी और गरीब कैडरों को प्रशिक्षित करने के लिए पार्टी को बहुत सारे क्रान्तिकारी, शिक्षित और बुद्धिजीवी कामरेड चाहिए। दलित, आदिवासी और गरीब कैडरों को प्रशिक्षित करने के लिए कटिबद्धता की जरूरत होती है। लेकिन वार जोन में पार्टी के शिक्षित कैडरों की बहुत कमी है। पार्टी ने अपनी सभी कमेटियों को शिक्षित छात्र-छात्राओं और अपने बुद्धिजीवी कामरेडों को भेजने को कहा है, जो उग्र वामपंथी सिद्धान्तों के लिए समर्पित हैं। अपने साक्षात्कार में किशनदा ने कहा है कि उन्हें बहुत ही जल्द शिक्षित और गतिशील बुद्धिजीवी
कामरेड मिलने का पूरा भरोसा है, जो पार्टी में दूसरी और तीसरी पीढ़ी के बेहतर नेतृत्व तैयार करने की शुरूआत कर संगठन को मजबूत करेंगे। अगली पीढ़ी के नेताओं के ट्रेनिंग मैनुअल के साथ ही सांगठनिक और राजनीतिक दस्तावेज तैयार किया गया है। लेकिन यह जमीनी स्तर पर इसे लागू करना संभव नहीं है। जमीनी स्तर के कैडर को माओवादी नेता बनने में 15 से 20 साल लग जाता है। जमीनी स्तर के प्राय: अधिकतर कैडर या अशिक्षित हैं या कम पढ़े लिखे हैं।
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