‘जहर से जयादा खतरनाक आतिशबाजी’
कोलकाताPublished: Oct 25, 2018 10:29:03 pm
महावीर सदन में जन जागरण अभियान का उद्घाटन-फटाका हटाओ विश्व बचाओ
‘जहर से जयादा खतरनाक आतिशबाजी’
कोलकाता. जहर तो हमेशा जहर ही रहेगा और उसका प्रभाव हर काल में हर समय बना रहेगा। इसी प्रकार जहर से भी ज्यादा खतरनाक है आतिशबाजी, जो पर्यावरण की बर्बादी, पैसों का नाश तथा स्वास्थ्य के लिए घातक है। राष्ट्रसंत कमलमुनि कमलेश ने गुरुवार को महावीर सदन में पटाखा हटाओ विश्व बचाओ जन जागरण साप्ताहिक अभियान के उद्घाटन मौके पर यह बात कही। मुनि ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि दीपावली पर आतिशबाजी का विरोध करने वाले चुनाव जीतने पर जश्न मनाने के लिए आतिशबाजी करते हैं। उसे देख लगता है जो दिवाली पर जहर था वह अमृत कैसे हो गया? उन्होंने कहा कि 31 दिसंबर को पूरे विश्व में जिस प्रकार आतिशबाजी की बाढ़ आती है वह बहुत दर्दनाक होती है।मुनि ने सुप्रीम कोर्ट के दीपावली पर आंशिक प्रतिबंध का स्वागत करते हुए कहा कि इससे जनता में चेतना का संचार होगा। उन्होंने कहा कि धर्म आचार्यों को धार्मिक जुलूस और धार्मिक समारोह में आतिशबाजी पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का कठोर कदम उठाना चाहिए तभी धार्मिक समारोह की गरिमा बनी रहेगी। दीपावली पर आतिशबाजी पर प्रतिबंध लगाने की मांग करने वाले जब शादी समारोहों में अनाप-शनाप लाखों के पटाखे चला कर अपने आप को गौरवमय महसूस करते हैं तब वे जनता के बीच हंसी के पात्र बनते हैं। सिर्फ नेतागिरी के लिए सस्ती लोकप्रियता के लिए ढोंग और पाखंड करना उचित नहीं है। जैन संत ने कहा कि प्रतिबंधित पटाखे सरेआम बाजार में बिकते हैं और कानून की धज्जियां उड़ती है दिनदहाड़े प्रशासन की नाक के नीचे। उन्होंने कहा कि खुशी व्यक्त करने के लिए आतिशबाजी का कोई संबंध नहीं है। किसी के प्राणों को संकट में डाल कर खुशी का इजहार करना शैतान का काम होता है। बर्बादी की कल्पना करने मात्र से रोम-रोम कांप उठता है। सज्जन और धार्मिक व्यक्ति इस प्रकार के दुष्परिणाम अधिकारियों को करना तो दूर सोच भी नहीं सकता। अखिल भारतीय जैन दिवाकर विचार मंच नई दिल्ली देश के 20 राज्यों में आतिशबाजी के जागरण के लिए सेमिनार, पदयात्रा, प्रदर्शनी आदि का आयोजन कर जनता में चेतना का शंखनाद करेगा। रायपुर, जलगांव और पंजाब के फरीदकोट से आए गुरु भक्तों का महावीर सदन में विमल जैन, हरीश जैन, संदीप जैन ने स्वागत किया।