scriptताश के पत्तों की तरह ढहते पुल | Crashed bridge like cards | Patrika News

ताश के पत्तों की तरह ढहते पुल

locationकोलकाताPublished: Sep 08, 2018 08:55:24 pm

Submitted by:

PARITOSH DUBEY

brकोलकाता प्रसंगवश

kolkata west bengal

ताश के पत्तों की तरह ढहते पुल

पश्चिम बंगाल में जिस तेजी से एक के बाद एक करके सेतुओं का गिरना, धंसना जारी है उनसे ऐसा लग रहा है जैसे पुल कांक्रीट, लोहे की संरचना न होकर ताश के पत्तों से बने है। बड़े सेतुओं का निर्माण इंजीनियरिंग कौशल, उम्दा तकनीक का परिणाम होता है। उनके शक्ल लेने के बाद महानगरों में यातायात व्यवस्था सुगम होती है। आर्थिक गतिविधियों में तेजी आती है। पुल, सड़कें विकास की धमनियां होती हैं। उनपर अर्थव्यवस्था सरपट दौड़ती हैं। कोलकाता में पांच वर्षों में सेतु टूटने की यह तीसरी घटना हुई है। इस बार माझेरहाट स्टेशन के पास कांक्रीट से बने ४ दशक पुराने सेतु का एक हिस्सा ढह गया। दुर्घटना तब हुई जब इस सेतु की मरम्मत के लिए कई बार ठेके जारी किए गए लेकिन किसी ने भी ठेके में रुचि नहीं दिखाई। किसी ने ठेके की रकम को कम बताया तो किसी ने कोई और कारण। हद तो तब हो गई जब बार- बार मरम्मत की जरूरत महसूस करने के बाद भी योग्य एजेंसी नहीं ढूंढी जा सकी जबकि दूसरी ओर सेतु को फिटनेस प्रमाणपत्र दे दिया गया। अब सवाल यह उठता है कि जब मरम्मत की आवश्यक्ता थी, ठेकेदार तलाशे जा रहे थे तब सेतु को यह सर्टिफिकेट कैसे दे दिया गया। जिस एजेंसी ने यह काम किया उसके जिम्मेदारों को जवाब देना चाहिए। उन्हें यह बताना चाहिए कि महानगर के लोगों की जिंदगी दांव पर कैसे और क्यों लगाई गई। जवाब उन सभी एजेंसियों को देना होगा जो राज्य के सेतुओं की मरम्मत, देखभाल के नाम पर सालाना सैकड़ों करोड़ों का बजट खर्च करती हैं। जिनके पास प्रशिक्षित पेशेवर, उन्नत उपकरण और अधिकार भी हैं। इस हादसे के जिम्मेवार लोगों को ढूंढना तो जरूरी है ही पर साथ में उन कारणों को भी तलाशना आवश्यक है जो बार- बार सेतुओं के गिरने का कारण बन रहे हैं। लोगों की जानें जा रही हैं। सार्वजनिक यातायात प्रभावित होता है। कहा जा रहा है कि जहां हादसा हुआ वहां मेट्रो रेलवे का काम चल रहा था जबकि मेट्रो वहां अपना काम बंद होने की बात कह रहा है। राहत व बचाव कार्य पूरा होते ही प्रशासन की सभी एजेंसियों को मिलकर सेतु के पुनर्निर्माण का काम हाथ में लेना होगा। महत्वपूर्ण लेकिन टूटे हुए माझेरहाट ब्रिज को लंबे समय तक यूं ही टूटा नहीं छोड़ा जा सकता। आवागमन के लिए यथाशीघ्र वैकल्पिक व्यवस्था का निर्माण हो। लंबे समय तक दुर्घटना के नाम पर लोगों को समस्याओं का शिकार नहीं बनाया जा सकता। इसके साथ ही महानगर के अन्य महत्वपूर्ण सेतुओं की संरचनात्मक सुरक्षा का मूल्यांकन समयबद्ध तरीके से पूरा करना होगा, उनकी कमजोरियों को दुरुस्त करना होगा। तभी इस तरह की जानलेवा दुर्घटना रोकी जा सकेगी।
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