script

सिंगल स्क्रीन सिनेमा हॉल पर हमेशा के लिए गिर सकता है पर्दा

locationकोलकाताPublished: Sep 24, 2020 04:46:31 pm

Submitted by:

Rabindra Rai

वैश्विक महामारी कोरोना के चलते देश के सिंगल स्क्रीन सिनेमा हॉलों का पर्दा हमेशा के लिए गिर सकता है। मल्टीप्लेक्स तथा जीएसटी की ऊंची दरों की मार झेल रहे एकल पर्दा वाले सिनेमा हॉल पहले से ही बंद हो रहे थे। अब करीब छह माह से सभी हॉल बंद हैं, जबकि मालिकों को प्रोपर्टी टैक्स तथा कर्मचारियों को लगातार वेतन चुकाना पड़ रहा है।

सिंगल स्क्रीन सिनेमा हॉल पर हमेशा के लिए गिर सकता है पर्दा

सिंगल स्क्रीन सिनेमा हॉल पर हमेशा के लिए गिर सकता है पर्दा

पहले ही बंद हो रहे थे एकल पर्दा वाले सिनेमाघर
छह माह से आय बंद, गहरे संकट में हॉल मालिक
रवीन्द्र राय
कोलकाता.
वैश्विक महामारी कोरोना के चलते देश के सिंगल स्क्रीन सिनेमा हॉलों का पर्दा हमेशा के लिए गिर सकता है। मल्टीप्लेक्स तथा जीएसटी की ऊंची दरों की मार झेल रहे एकल पर्दा वाले सिनेमा हॉल पहले से ही बंद हो रहे थे। अब करीब छह माह से सभी हॉल बंद हैं, जबकि मालिकों को प्रोपर्टी टैक्स तथा कर्मचारियों को लगातार वेतन चुकाना पड़ रहा है। इससे हॉल मालिक गहरे आर्थिक संकट में फंसते जा रहे हैं। कुछ ने तो वेतन में भारी कटौती कर दी है तो कुछ ने देना ही बंद कर दिया है। कुछ की स्थिति ऐसी है कि वे अपनी आम जरूरतें भी पूरी नहीं कर सकते। महानगर के एक सिनेमा हॉल मालिक ने बताया कि हॉल को संचालित करने के लिए करीब २० कर्मचारियों की जरूरत पड़ती है। सिनेमा हॉल के चलने पर हर माह करीब १० लाख रुपए का खर्च पड़ता है, नहीं चलने पर सिर्फ रखरखाव में ४ लाख रुपए खर्च हो रहा है, जबकि महीने में टिकटों की बिक्री से आमदनी महज ४ लाख रुपए होती थी।
कई सिनेमा हॉल मालिकों का कहना है कि यदि कोरोना वायरस के बादल छंटने पर हॉल खुलते भी हैं तो उनके सामने आमदनी अठन्नी और खर्चा रुपैया वाली स्थिति रहेगी। खोलते वक्त पूरे हॉल को संक्रमणमुक्त करना होगा, सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल रखना होगा। ऐसे में खर्च भी नहीं निकल पाएगा।

कम ब्याज दर पर ऋण देने की अपील
सिनेमा हॉल के मालिकों का कहना है कि सरकार को हर तरीके से हमारी मदद करनी चाहिए। यदि हॉल खुलते हैं तो सरकार टिकट बिक्री पर सब्सिडी दे, आसानी से और कम ब्याज दर पर ऋण मुहैया कराए। चौतरफा संकट के चलते पिछले दो दशकों में सिर्फ बंगाल में एकल पर्दा वाले सिनेमा घरों की संख्या 865 से घटकर १७५ रह गई है। इनमें से कई सिनेमा घरों के मालिकों की हालत इतनी खराब हो गई है कि कोरोना काल के बाद भी ये हॉल खोल नहीं पाएंगे।

मदद की अपील
ईस्ट इंडिया मोशन पिक्चर एसोसिएशन (इम्पा) ने बंद पड़े सिनेमा हॉलों में काम करने वाले कर्मचारियों की आर्थिक मदद के लिए बांग्ला फिल्म उद्योग के लोगों से अपील की है। एसोसिएशन की अध्यक्ष पिया सेनगुप्ता का कहना है कि आर्थिक तंगी से गुजर रहे कर्मचारियों की मदद के लिए फिल्म उद्योग से जुड़े लोगों को आगे आना चाहिए।

ओपन एयर थिएटर: 3 शहरों में तलाश
केंद्र ने 21 सितंबर से ओपन एयर थिएटर को अनुमति दी है। इसके मद्देनजर सिनेमा चलाने के लिए देश के तीन शहरों मुम्बई, बेंग्लूरु और कोचिन में जगह की तलाश की जा रही है। अहमदाबाद और चेन्नई के ओपन एयर थिएटर में सिनेमा के शो चलाने की व्यवस्था है। मुम्बई के सिनेमा हॉल के अधिकारी ने बताया कि भारत जैसे देश में जहां कभी गर्मी कभी सर्दी तो कभी बारिश होती है, ओपन एयर थिएटर चलाने की संभावना बहुत अच्छी नहीं है।

देश में हर साल 1500 फिल्में
देश में हर साल करीब 1500 फिल्में रिलीज होती हैं। इनमें से करीब 300 सिनेमा हॉल का मुंह तक नहीं देख पाती हैं। सामान्य दिनों में रोजाना करीब 5 लाख लोगों को इससे रोजगार मिलता है। जबकि इससे परोक्ष रूप से 50 लाख लोग जुड़े हुए हैं।

इनका कहना है
सरकार को सबसे पहले सिनेमा हॉल को चालू करने की अनुमति देनी चाहिए। खोलने पर ऐसा प्रोटोकाल लागू हो ताकि हम सभी इसे आसानी से क्रियान्वित कर सके। टैक्स भुगतान में राहत तथा छह माह के बिजली बिल में रियायत मिलनी चाहिए।
कुणाल साहनी, वरिष्ठ उपाध्यक्ष, परिचालन, कार्निवल सिनेमा, मुम्बई

ट्रेंडिंग वीडियो