कोरोना की तंगी में लोगों को कंगाल कर रहे साइबर ठग
कोलकाताPublished: Sep 04, 2021 11:36:02 pm
पुलिस में साइबर विशेषज्ञों की कमी, लाभ उठा रहे अपराधी
जागरूकता के साथ त्वरित कार्रवाई ही बेहतर समाधान
कोरोना की तंगी में लोगों को कंगाल कर रहे साइबर ठग
कोलकाता कोरोना में लॉकडाउन के चलते एक तरफ लोग बेरोजगार हो गए तो दूसरी तरफ साइबर ठग उनके बचे खुचे रुपए भी उड़ाने में लगे हैं। केंन्द्रीय गृह मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार कोरोना के दौरान 18 महीनों में देश में साइबर क्राइम के कुल 3.17 लाख मामले दर्ज किए गए। इस दौरान सर्वाधिक 50,806 मामले महाराष्ट्र में तो 21,562 नए मामले कर्नाटक में दर्ज किए गए। राज्यों के आधिकारिक आंकड़े के अनुसार 2019 की तुलना में 2020 में पंजाब में साइबर अपराध के दर्ज मामलों में तीन गुना और छत्तीसगढ़ में दोगुना की वृद्धि दर्ज की गई है। मध्य प्रदेश में 30 से 40 प्रतिशत अधिक मामले दर्ज किए गए हैं। इसी तरह उत्तर प्रदेश और असम में 35 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। वर्ष 2019 में पंजाब में साइबर क्राइम के 16 मामले आए थे जो 2020 में 46 हो गए। छत्तीसगढ़ में वर्ष 2019 में 237 से 2020 में 432 दर्ज हुए। असम में इसी दौरान 2231 के मुकाबले 2933 मामले तथा बिहार में 1050 के मुकाबले 1160 मामले दर्ज हुए।
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बंगाल में 35 फीसदी की वृद्धि
पश्चिम बंगाल में साइबर अपराध के मामले में 35 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। जालसाज लोगों को अपने जाल में फंसा रहे हैं। कोलकाता पुलिस लगातार अभियान भी चला रही है। हाल में पुलिस ने जालसाजी की साजिश रचते जामताड़ा गिरोह के 16 ठगों को दबोचा है।
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दुनियाभर में बढ़े साइबर क्राइम
लॉकडाउन से पहले फरवरी 2020 में विश्व में साइबर क्राइम के कुल 93.1 मिलियन मामले दर्ज हुए जो मार्च 2020 में लॉकडाउन लगते ही 277.4 मिलियन पहुंच गए। भारत में इसी दौरान यह संख्या 1.3 मिलियन से बढ़कर 3.3 मिलियन पहुंच गई। ठीक एक साल बाद फरवरी 2021 में यह वैश्विक आंकड़ा 377.5 मिलियन दर्ज किया गया। अकेले भारत में फरवरी 2021 में यह आंकड़ा 9.04 मिलियन तक पहुंच गया।
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75 फीसदी नई तकनीक का उपयोग
लॉकडाउन में वर्क फ्रॉम होम के दौरान लोगों के ज्यादा मोबाइल उपयोग से साइबर ठगों को सहूलियत हुई। इस दौरान इन्होंने 75 फीसदी से अधिक नए तरीके- क्रेडिट कार्ड, सस्ता लोन, फ्री गिफ्ट बाउचर, रिडीम प्वाइंट, फ्री शॉपिंग, ऑनलाइन गेमिंग, क्यूआर कोड, ऑनलाइन जॉब आदि का लालच देकर ठगी की। इस दौरान ग्राहकों को रिझाने में 90 फीसदी महिलाओं का इस्तेमाल किया गया।
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भारतीय कितने हैं चिंतित
एक शोध के अुनसार कोरोना काल के दौरान 90 फीसदी भारतीयों का कहना है कि वे अपने डेटा की सुरक्षा के लिए सक्रिय कदम उठा रहे हैं, 42 प्रतिशत अभी भी नहीं जानते कि सही तरीका क्या है। 66 फीसदी का मानना है कि वे साइबर अपराध को लेकर पहले से कहीं ज्यादा चिंतित हैं। साइबर ठगी होने पर 52 प्रतिशत ने दोस्तों की मदद ली, 47 प्रतिशत ने कंपनी से संपर्क किया।
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साइबर विशेषज्ञों की कमी
पुलिस में साइबर विशेषज्ञों की भारी कमी है। साइबर अपराधी इसका लाभ उठा रहे हैं। हालांकि सभी राज्य इस दिशा में तत्पर हैं। सभी जगह पुलिस को ट्रेनिंग दी जा रही है। साइबर थानों की संख्या बढ़ाई जा रही है। केन्द्र सरकार ने बढ़ते साइबर क्राइम से निपटने के लिए देश भर में 18 साइबर फोरेंसिक-सह-प्रशिक्षण लैब शुरू किए हैं।
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त्वरित कार्रवाई जरूरी
साइबर क्राइम रोकने के लिए जागरूकता और त्वरित कार्रवाई बेहद जरूरी है। पुलिस तक पहुंचने में पीडि़त जितनी देर करता है उसके क्लेम की गारंटी उतनी ही कम होती जाती है। पुलिस इसके लिए लोगों को जागरूक भी कर रही है।
मुरलीधर शर्मा, संयुक्त पुलिस आयुक्त (अपराध), कोलकाता पुलिस