कोलकाता महंगाई भत्ता (डीए) सरकार का ‘दया दान’ नहीं है। यह सरकारी कर्मचारियों का कानूनी अधिकार है। पश्चिम बंगाल के सरकारी कर्मचारियों के महंगाई भत्ता के मामले में प्रशासनिक न्यायाधिकरण (सैट) के फैसले को खारिज करते हुए कलकत्ता हाईकोर्ट ने शुक्रवार को यह फैसला सुनाया। केन्द्र सरकार के कर्मचारियों के महंगाई भत्ता के बराबर महंगाई भत्ता देने की मांग करते हुए राज्य सरकार के कर्मचरियों ने सैट में मामला किया था। पिछले साल सैट ने फैसला सुनाते हुए कहा था कि महंगाई भत्ता देना न देना राज्य सरकार पर निर्भर करता है। इसके लिए कर्मचारी सरकार पर दबाव डाल नहीं सकते। महंगाई भत्ता सरकार का दया दान है। कर्मचारियों ने सैट के इस फैसले को कलकत्ता हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। १७ महीने की लम्बी सुनवाई के बाद शुक्रवार को न्यायाधीश देवाशीष कर गुप्ता और शेखर बॉबी सराफ की खंडपीठ ने अपना फैसला सुनाया। खंडपीठ ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि वर्ष 2009 में राज्य सरकार ने ५वें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू किया था। जिससे स्पष्ट है कि महंगाई भत्ता कर्मचारियों के वेतन का हिस्सा है। कर्मचारियों का कानूनी अधिकार है।
— दो माह में सैट करे फैसला पश्चिम बंगाल के सरकारी कर्मचारी केन्द्र सरकार के कर्मचारियों के बराबर और दिल्ली के बंग भवन और चेन्नई के युवा हॉस्टल में कार्यरत राज्य सरकार के कर्मचारियों के बराबर महंगाई भत्ता के हकदार हैं अथवा नहीं? इस मामले को पुनर्विचार के लिए खंडपीठ ने सैट के पास भेज दिया। सैट को दो महीने के भीतर मामले का निपटारा करने का आदेश दिया है। दिल्ली के बंग भवन और चेन्नई के युवा हॉस्टल में कार्यरत राज्य सरकार के कर्मचारियों को राज्य सरकार केन्द्र सरकार के कर्मचारियों के बराबर महंगाई भत्ता देती है। फिलहाल पश्चिम बंगाल सरकार को कर्मचारियों को केन्द्र सरकार के कर्मचारियों से 49 प्रतिशत कम महंगाई भत्ता दिया जाता है।