scriptडागा को दुनिया से विदा होने का हो गया था अहसास | Daga felt the departure of the world | Patrika News
कोलकाता

डागा को दुनिया से विदा होने का हो गया था अहसास

– निजी डॉक्टर बोले, सबसे मनमुटाव दूर करने की जताई थी इच्छा- नम आँखों से समाज के लोगों ने अर्पित किया श्रद्धा सुमन

कोलकाताOct 04, 2018 / 06:56 pm

Vanita Jharkhandi

kolkata westbengal

डागा को दुनिया से विदा होने का हो गया था अहसास

कोलकाता . समाज की हर गतिविधि व सामाजिक कार्यों में अग्रणी भूमिका निभाने वाले तिलोक चन्द डागा को सामाजिक संगठनों ने बुधवार को नम आँखों से श्रद्धा अर्पित की। महासभा भवन में आयोजित उठावणा में बड़ी संख्या में विविध सामाजिक व सांस्कृतिक संगठन के लोगों ने भाग लिया। इस मौके पर उनके निजी डॉक्टर डॉ. सुभाष दुग्गड़ ने बताया कि उनको अपने जीवन के अन्तिम समय का अहसास हो गया था। उन्होंने कहा था कि लम्बे समय से सामाजिक संस्थाओं में सेवा कार्य करते हुए कइयों से मतभेद और कइयों से मन भेद हुए हैं अपने अन्तिम समय में उन सभी से माफी मांग लेनी चाहिए और मन मुटाव को खत्म करने की इच्छा जताई थी। मौके पर सुरेन्द्र दुगड़ ने उनके साथ काम के अपने अनुभव को साझा किया। भीकम चंद पुगलिया ने कहा कि वे श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथ विद्यालय के पूर्व छात्र रहे हैं। हर वक्त स्कूल के कार्यक्रमों में वे सक्रिय रूप से जुड़े रहे और आते रहे। जुगलकिशोर राठी ने बताया कि उन्होंने खुद को सिमट कर नहीं रखा बल्कि ब्राह्मण, अग्रवाल आदि सभी समुदाय के सामाजिक संगठनों में भी सक्रिय रहे। तबीयत खराब होने पर भी रामसा पीर मण्डल के कार्यक्रम में सुबह व शाम दोनों ही समय में शामिल हुए। सीताराम शर्मा ने कहा कि वे सामाजिक संस्था के लिए आर्थिक अनुदान दिलाने में अहम भूमिका निभाते थे। इस मौके पर विनोद कुण्डलिया, छतर सिह बैद, कमल दुग्गड़, विनोद दुग्गड़, राजकरण सिरोइया, संतोष दुगड़, निर्मल चौपड़ा, राजकुमार बोथरा, प्रकाश चण्डालिया, सुरेश भुवालका, अरविन्द जालान सहित महानगर की विभिन्न संस्थाओं से जुड़े पदाधिकारी व कार्यकर्ताओं के साथ ही विशिष्ट लोगों ने अपनी श्रद्धा अर्पित की।

मालूम हो कि डागा ने 2005 में 16 जुलाई को राजस्थान पत्रिका, कोलकाता संस्करण के संस्थापना समारोह में भाग लिया था तथा अपनी शुभकामनाएं दी थी। वे राजस्थान के सरदार शहर के थे, पर शिक्षा महानगर में ही हुई। कालेज के दिनों से ही वे समाज सेवा के कार्यों में सक्रिय रहे जिसके कारण समाज के विशिष्टजनों व राजनीति के दिग्गजों से उनकी पहचान घनिष्ट रूप से बनी रही। वे कालेज के दिनों में महासभा के संयोजक बने। पश्चिम बंग प्रादेशिक अणुव्रत समिति का गठन किया तथा जन जन तक अणुव्रत आन्दोलन को पहुंचाया। जैन साधु-साध्वियों के चातुर्मास के आयोजन में सक्रिय भूमिका निभाई। जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा के मुखपत्र जैन भारती का सम्पादन भी काफी सालों तक किया। उनके पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, पी.वी नरसिम्हा राव, बलराम झाखड़, मीरा कुमार, वामपंथी नेता सोमनाथ चटर्जी से लेकर महान ओशो तक के साथ संबंध रहे। सोमवार को उनका यहां निधन हो गया। वे अपने पीछे पुत्र प्रकाश डागा, पुत्रवधू राजश्री डागा, पौत्र सिद्धान्त डागा, पुत्री सुनीता-अनिल नाहटा सहित भरा पूरा परिवार छोड़ गए हैं। उनके जाने से जो कमी बनी है उसको भरने में लम्बा वक्त लगेगा।

Home / Kolkata / डागा को दुनिया से विदा होने का हो गया था अहसास

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो