मालूम हो कि डागा ने 2005 में 16 जुलाई को राजस्थान पत्रिका, कोलकाता संस्करण के संस्थापना समारोह में भाग लिया था तथा अपनी शुभकामनाएं दी थी। वे राजस्थान के सरदार शहर के थे, पर शिक्षा महानगर में ही हुई। कालेज के दिनों से ही वे समाज सेवा के कार्यों में सक्रिय रहे जिसके कारण समाज के विशिष्टजनों व राजनीति के दिग्गजों से उनकी पहचान घनिष्ट रूप से बनी रही। वे कालेज के दिनों में महासभा के संयोजक बने। पश्चिम बंग प्रादेशिक अणुव्रत समिति का गठन किया तथा जन जन तक अणुव्रत आन्दोलन को पहुंचाया। जैन साधु-साध्वियों के चातुर्मास के आयोजन में सक्रिय भूमिका निभाई। जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा के मुखपत्र जैन भारती का सम्पादन भी काफी सालों तक किया। उनके पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, पी.वी नरसिम्हा राव, बलराम झाखड़, मीरा कुमार, वामपंथी नेता सोमनाथ चटर्जी से लेकर महान ओशो तक के साथ संबंध रहे। सोमवार को उनका यहां निधन हो गया। वे अपने पीछे पुत्र प्रकाश डागा, पुत्रवधू राजश्री डागा, पौत्र सिद्धान्त डागा, पुत्री सुनीता-अनिल नाहटा सहित भरा पूरा परिवार छोड़ गए हैं। उनके जाने से जो कमी बनी है उसको भरने में लम्बा वक्त लगेगा।