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मोदी फिर जीते तो देश में नहीं रहेगा लोकतंत्र- ममता

locationकोलकाताPublished: May 08, 2019 06:10:21 pm

Submitted by:

Rabindra Rai

भाजपा के खिलाफ अपने अभियान की तुलना भारत छोड़ो आंदोलन से की, दावा, चुनाव बाद मोदी तथा भाजपा को दिखाया जाएगा बाहर का रास्ता

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मोदी फिर जीते तो देश में नहीं रहेगा लोकतंत्र- ममता

डेबरा. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री तथा तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बीच इस बार के लोकसभा चुनाव में जुबानी जंग सारी हदें पार करती दिख रही है। दीदी उनके खिलाफ आग उगल रही हैं तो मोदी भी उनके खिलाफ शब्दों के बाण खूब चला रहे हैं। जब भी वे बंगाल आ रहे हैं तो उनके निशाने पर दीदी ही रहती हैं, जबकि तृणमूल प्रमुख भी अपना ज्यादा समय मोदी को कोसने में ही लगा रही हैं। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर देश में फासीवादी सरकार चलाने का आरोप लगाया। उन्होंने बीजेपी के खिलाफ अपने अभियान की 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन से तुलना की। तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ने यहां चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कहा कि लोकसभा चुनाव के बाद प्रधानमंत्री और उनकी पार्टी को बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा। ममता ने कहा कि किसी को जोखिम लेना होगा। 1942 में अंग्रेजों के खिलाफ भारत छोड़ो आंदोलन शुरू हुआ था, अब हम सत्ता से फासीवादी मोदी को हटाने के लिए लड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर मोदी फिर से जीते तो देश में आजादी या लोकतंत्र नहीं रहेगा। यही वक्त है कि हम मोदी और बीजेपी को बाहर का रास्ता दिखाएं। यही समय है कि इस लोकतांत्रिक (चुनावी) कवायद के दौरान इस सरकार को खत्म कर दें। मुख्यमंत्री ने दावा किया कि लोग सार्वजनिक तौर पर अपनी राय व्यक्त करने से डर रहे हैं। उन्होंने कहा कि देश में आपातकाल जैसी स्थिति है। कोई भी खुलकर बोल नहीं सकता क्योंकि वे उनसे डरते हैं। इस तानाशाही और आतंक को रोकना होगा।
संकट के समय कभी बंगाल नहीं आए मोदी
ममता ने कहा कि पीएम मोदी संकट के समय कभी पश्चिम बंगाल नहीं आए। अब बंगाल में आपको बड़ा रसगुल्ला (जीरो सीट) मिलेगा। मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि मोदी ने झूठ बोला था कि वह कभी चायवाला थे। उन्होंने कहा कि चायवाला अब चौकीदार हो गया है। हमें झूठ बोलने वाला चौकीदार नहीं चाहिए। सीएम ने आरोप लगाया कि मोदी के राज में भारत खतरे में हैं। उन्होंने कहा कि हमें महात्मा गांधी, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, अम्बेडकर, राजेंद्र प्रसाद और स्वामी विवेकानंद जैसे नेताओं की जरूरत है, जबकि बीजेपी वाले गांधीजी की नहीं, नाथूराम गोडसे की बात करते हैं।

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