क्या है डेंगू डेन-2 विशेषज्ञों के अनुसार दुनियाभर मेें डेंगू के 5 प्रकार होते हैं। भारत में इसके केवल 4 कार ही अब तक पाए गए हैं। इन चारों प्रकारों में सबसे खतरनाक डेंगू डेन-2 है। इसमें मरीज के ज्यादातर लक्ष्ण डेंगू जैसे ही होते हैं, मगर बुखार का लंबे समय तक रहना या शरीर पर लाल चक्ते पडऩा आदि सामान्य नहीं रहता है। कई बार इस बीमारी के मरीजों को दवाइयां लेने के बाद ऊपर से बुखार नहीं आता पर अंदर ही अंदर यह संक्रमण उसके शरीर से प्लेटलेट्स कम कर देता है। बच्चे, बुढ़े, गर्भवती महिलाएं, नवजात बच्चे, संक्रमित बीमारीयों से जूझ रहे मरीज व अन्य इसकी चपेट में सबसे पहले आते हैं। गौरतलब है कि डेंगू डेन-२ का वायरस पहले से डेंगू -1, 3 या 4 से ग्रसित मरीजों के लिए जानलेवा साबित होता है। ऐसे मरीजों की जान ४८ घंटे में भी जा सकती है।
आईजीजी टेस्ट से हुआ खुलासा मंगलवार को कोलकाता नगर निगम के मासिक अधिवेशन में प्रस्ताव सत्र में माकपा की ओर से डेंगू का मुद्दा उठाए जाने के बाद विभागीय एमआईसी अतीन घोष ने बताया कि शहर में डेंगू से ज्यादा डेंगू डेन-2 आतंक फैला रहा है। उन्होंने बताया कि वातावरण में जैसे-जैसे बदलाव आ रहे हैं वैसे-वैसे डेंगू के लक्ष्ण भी बदलते जा रहे हैं। पिछले दिनों वार्ड नं. 14 के बंगाल लैम्प कॉम्प्लेक्स इलाके में डेंगू के बढ़ते मरीजों की संख्या को देखते हुए उन्होंने एनएस 1 के साथ-साथ आईजीजी टेस्ट कराने का भी निर्देश दिया। उनके अनुसार टेस्ट कराए जाने के बाद कई लोगों की रिपोर्ट में आईजीजी पॉजिटिव पाया गया। जिसके बाद यह स्पष्ट हुआ कि महानगर में केवल डेंगू नहीं बल्कि डेंगू डेन-२ भी सक्रिय है। उन्होंने बताया कि फिलहाल निगम की ओर से सभी स्वास्थ्य केंद्रो को निर्देश दिया गया है कि ज्वर व डेंगू के लक्ष्णों से ग्रसित मरीजों का एनएस 1 के साथ-साथ आईजीजी टेस्ट भी कराई जाएं। खासकर ये उन मरीजों के लिए है जो पहले भी डेंगू के शिकार हो चुके हैं।
डेंगू से मृत्यु दर में आई 70 से 80 फीसदी गिरावट एमआईसी स्वास्थ्य अतीन घोष ने बताया कि पिछले सालों की तुलना में इस साल भले ही डेंगू मरीजों की संख्या में कोई खास अंतर नहीं आया है, मगर मृत्यु दर में 70 से 80 फीसदी की गिरावट हुई है। साथ ही निगम के स्वास्थ्य केंद्रो के प्रति और अपने स्वास्थ्य के प्रति लोग सजग हुए हैं। पहले जहां लोग बुखार-सर्दी-खांसी होने पर कोई भी दवा खाकर ठीक करने की कोशिश करते थे, आज वही लोग छोटी से छोटी बीमारी के लिए केएमसी हेल्थ सेंटर के द्वारस्थ होते हैं। उन्होंने बताया कि इस साल महानगर के 16 डेंगू डिटेक्शन सेंटर में 33 हजार लोगों ने डेंगू के लिए रक्त परीक्षण कराया है। इसमें 90 फीसदी से अधिक लोग डेंगू की चपेट में थे। उनके अनुसार फिलहाल शहर में 2 हजार 400 लोग डेंगू से ग्रसित हैं। इनमें से कुछ डेंगू डेन-2 से प्रभावित हैं। केएमसी के स्वास्थ्य विभाग की ओर से उनकी ओर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
डेंगू के रोकथाम के लिए बनेगा रोड मैप इस साल दक्षिण से उत्तर व मध्य कोलकाता में ऐसे कई वार्ड व बोरो हैं जहां डेंगू मरीज बड़ी संख्या में पाए गए। निगम ने इस बार निर्णय किया है कि जनवरी से पूर्व एक रोड मैप तैयार किया जाएगा। उसके हिसाब से पीडि़त इलाकों में अभियान चलाया जाएगा। एमआईसी ने बताया कि आगामी जनवरी महीने से वे खुद सप्ताह के 3 दिन एक-एक बोरो में बोरो चेयरमैन और पार्षदों के साथ डेंगू सचेतनता अभियान के लिए सडक़ पर उतरेंगे।