अमूमन वे बंगाल के हितों पर राजनीति में करती रही हैं। तृणमूल कांग्रेस ने अपना दायरा बंगाल से बाहर बढ़ाना शुरू कर दिया है। सोमवार को ट्विटर पर ‘अबकी बार दीदी सरकार’ #AbkiBaarDidiSarkar और ‘बंगाल मॉडल’ #BengalModel ट्रेंड पर हैं।
आखिर इसके मायने क्या हैं। सियासत के जानकारों का कहना है कि देश में विपक्षी-राजनीति में बने ‘मतभेदों के भंवर’ से पार पाने के लिए दीदी यानी ममता बनर्जी ने पांसे पटलने शुरू कर दिए हैं।
कई महीने से जारी किसान आंदोलन हो या पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दाम और महंगाई, दीदी इन सब मुद्दों पर केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री को नरेंद्र मोदी को अपने बयानों में घेर रही हैं। हालिया प्रकरण पेगासस जासूसी प्रकरण का है, जिसको लेकर उन्होंने बंगाल सरकार की ओर से दो सदस्यीय जांच दल का गठन कर दिया। इसी महीने 21 जुलाई को पश्चिम बंगाल में मनाए जाने वाले शहीद दिवस कार्यक्रम में कोलकाता से उन्होंने पूरे देश के गैर-एनडीए दलों को एकजुटता दिखाने और 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले रणनीति बनाने का आह्वान किया। उनके इस संबोधन का सीधा प्रसारण किया गया।
यह लाइव कार्यक्रम देखने वाले राजनेता कांग्रेस, एनसीपी, समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल, डीएमके, शिवसेना, अकाली दल, टीआरएस, आम आदमी पार्टी से थे। उनके इस कार्यक्रम का प्रमोशन गुजरात से लेकर तमिलनाडु तक किया गया। जाहिर है कि ममता बनर्जी के चेहरे को टीएमसी देश-व्यापी करना चाह रही है। ममता की इसके पीछे की मंशा अपने नेतृत्व में 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए विपक्षी मोर्चा की नींव रखना है।
दो दिन बाद 23 जुलाई को उनकी पार्टी ने संसदीय दल का अध्यक्ष नियुक्त कर दिया। यह कदम भी उनकी दिल्ली-दौड़ की शुरुआत का हिस्सा माना जा रहा है। अब टीएमसी सोशल मीडिया पर पैठ बढ़ाती दिख रही है। बंगाल विधानसभा चुनाव के दौरान टीमएसी के रणनीतिक सलाहकार रहे प्रशांत किशोर भी विपक्षी गलियारे में खासे सक्रिय दिखाई दे रहे हैं।