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85 करोड़ से बदल रही दीघा समेत बंगाल के समुद्री तटों की सूरत

locationकोलकाताPublished: Sep 14, 2018 07:48:35 pm

Submitted by:

Paritosh Dube

केन्द्र सरकार की पर्यटन प्रोत्साहित करने वाली स्वदेश दर्शन योजना का बंगाल के आठ समुद्री तटों पर क्रियान्वयन हो रहा है। इन तटों में दीघा, उदयपुर, मंदारमुनी, ताजपुर, बक्खाली, फ्रेशरगंज, हेनरी आईलैंड शामिल हैं।

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85 करोड़ से बदल रही दीघा समेत बंगाल के समुद्री तटों की सूरत


कोलकाता. पश्चिम बंगाल राज्य के समुद्री तट पर स्थित पर्यटक केन्द्रों की सूरत 85 करोड़ की केन्द्रीय सहायता से बदली जा रही है। केन्द्र सरकार की पर्यटन प्रोत्साहित करने वाली स्वदेश दर्शन योजना का बंगाल के आठ समुद्री तटों पर क्रियान्वयन हो रहा है। इन तटों में दीघा, उदयपुर, मंदारमुनी, ताजपुर, बक्खाली, फ्रेशरगंज, हेनरी आईलैंड शामिल हैं। यहां यह जानना जरूरी है कि बंगाल में विदेशी पर्यटकों की अच्छी खासी संख्या आती है। पर्यटन मंत्रालय के मुताबिक आने वाले विदेशी पर्यटकों की संख्या के मामले में राज्य देश भर में पांचवे स्थान पर है। वहीं देशी पर्यटकों के मामले में राज्य देश भर में आठवें स्थान पर है।
योजना के तहत राज्य सरकार तटवर्टी पर्यटन केन्द्रों की अधोसरंचना सुधारने में केन्द्रीय सहायता का उपयोग करेगी। अब तक केन्द्र ने राज्य को 85 करोड़ में से 45 करोड़ की राशि जारी कर दी है।
बंगाल के आठ तटवर्ती पर्यटन केन्द्रों को मिल रही केन्द्रीय सहायता केन्द्र की देश भर के 17 तटवर्ती सर्किटों को पर्यटन केन्द्र के रूप में विकसित किए जाने की योजना के अंतर्गत दी जा रही है। इन सभी केन्द्रों के विकास के लिए केन्द्र सरकार ने २ हजार करोड़ रुपए मंजूर किए हैं।
केन्द्रीय पर्यटन मंत्रालय को इस बात की उम्मीद है कि भारत की 7.5 हजार लंबी सामुद्रिक सीमा के पर्यटन केन्द्रों में व्यापक संभावनाएं हैं। इन दिनों चल रहे ट्रेंड के मुताबिक विदेशी सैलानी भारतीय तटों पर स्थित पर्यटन केन्द्रों में बढ़चढ़ कर जा रहे हैं। भारतीय तट मूल रूप से रेत वाले, पत्थरों वाले और लगून वाले हैं। जिनमें बैक वॉटर चैनल, मैंग्रोव इकोसिस्टम भी पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। बंगाल के आठ समुद्री तटों को केन्द्रीय योजना में मिली जगह और केन्द्रीय सहायता से विकसित किए जाने का काम शुरू हो गया है। यहां कई तटों के पास स्थित मैंग्रोव जंगल पर्यटको ंके लिए आकर्षण का केन्द्र हैं। राज्य सरकार भी इन तटों के आसपास अधोसरंचना विकसित करने में जुटी हुई है।

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