scriptपाप से घृणा करो पापी से नहीं-कमल मुनि | Do not hate sinners from sin - Kamal Muni | Patrika News

पाप से घृणा करो पापी से नहीं-कमल मुनि

locationकोलकाताPublished: Sep 13, 2018 03:16:56 pm

Submitted by:

Vanita Jharkhandi

– पापी आत्मा में भी महान और परमात्मा का रूप छिपा होता है

kolkata west bengal

पिछले जन्म में क्या रहे होंगे आप? अब इस तरह से इस रहस्य से उठा सकते हैं पर्दा

कोलकाता . पापी आत्मा के भीतर भी महान और परमात्मा का रूप छिपा होता है। जब पाप रूपी आवरण तपस्या और साधना से हटता है तब वही आत्मा परमात्मा के रूप में प्रकट हो जाती है। पापी आत्मा से नफरत करना साक्षात परमात्मा का अपमान करने के समान है। उक्त विचार राष्ट्र संत कमल मुनि कमलेश ने पर्युषण पर्व पर महावीर सदन में मनीषा जैन के मास खमण 30 दिवसीय तप के अभिनंदन समारोह को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि पाप से घृणा करो पापी से नहीं। यदि वाल्मिक अंगुलिमाल रोहिणी या चोर आदि से घृणा करके दूरी बनाए रखें तो क्या उनका परिवर्तन हो सकता था ? जन्म से कोई डाकू या संत नहीं होता। संगति के प्रभाव से बन जाते हैं। मुनि कमलेश ने कहा कि कानून डंडे और दबाव से दबाया जा सकता है लेकिन समूल नष्ट नहीं किया जा सकता। मौका पाकर वापस विस्फोटक रूप धारण कर सकता है उसका हृदय परिवर्तन तो सत्संग, प्यार और मैत्री से ही संभव हो सकता है। महापुरुषों के पास ना कोई डंडा था, ना कोई कानून। सरकार जिनको गिरफ्तार नहीं कर सकी। उन्होंने एक पल में संतों के सामने अपना समर्पण कर दिया। राष्ट्रसंत ने कहा कि पापी को हीन निगाह से देखने वाला महापापी से कम नहीं है। जो उसको सुधरने से वंचित रख रहा है। किसी पर उंगली उठाने से पहले अपने अंदर झांक कर देख ले, मैं कौन सा दूध का धुला हुआ हूं। बुरा- बुरा सबको कहूं , बुरा न से कोई। जो गट खोजें आपणो, मुझसे बुरा न कोय। इस वाक्य को आत्मसात करने वाला ही धार्मिकता को आत्मसात कर लेता है। राष्ट्रसंत ने कहा कि अपराध करके सुधारने का प्रयास करता है और जो उन पर कटाक्ष करता वह पहला पापी है। अज्ञान, लोभ से वशीभूत होकर गलती कर बैठता है तो पश्चाताप करके प्रायश्चित करके आत्मा को पवित्र कर सकता है। उस पवित्र आत्मा को भी भूतकाल के चश्मे से देखता हुआ दोषी मानता है। वह सबसे बड़ा अपराधी है विश्व में हथियारों से नहीं सद्विचारों से ही विश्व शांति संभव है। श्रीकौशल मुनि ने अंतगढ़ सूत्र का वाचन किया। सी घनश्याम मुनिजी म.स 36 वां उपवास है। गुरुवार को पर्वाधिराज पर्युषण पर्व के समापन पर आध्यात्मिक साधना क्षमापना पर्व के रूप में मनाया जाएगा।

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