नतीजा राज्य में डॉक्टर और मरीज के अनुपात बहुत ही खराब स्थिति में पहुंच गई है। इन दिनों राज्य में एक डॉक्टर और मरीज का अनुपात 1:1850 है। यानि बंगाल में एक डॉक्टर पर 1850 मरीज के इलाज की जिम्मेदारी है। इस कारण राज्य के सरकारी अस्पतालों की चिकित्सा व्यवस्था चरमराती जा रही है। ऐसी स्थिति में सरकारी डक्टरों ने सामूहिक इस्तीफा देने की धमकी दे कर राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था पर एक नया खतरा पैदा कर दिया है।
– 350 डॉक्टर देंगे सामूहिक इस्तीफा
– 350 डॉक्टर देंगे सामूहिक इस्तीफा
अधिक मरीज होने के कारण सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर मरीजों को पर्याप्त समय नहीं दे पाते हैं। इलाज के दौरान मरीजों की मौत होने पर डॉक्टरों की निष्ठा पर सवाल उठाने और लापरवाही के आरोप लगा कर उन पर परीजनों के हमले बढ़े हैं। पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था मुहैया कराने में सरकार की सुस्ती और हमले से आशंकित 85 सरकारी डॉक्टरों ने पहले ही इस्तीफा दे दिया है और 350 डॉक्टरों ने सामूहिक इस्तीफा देने की घोषण कर राज्य की स्वास्थ्य सेवा पटरी से उतरने का खतरा बढ़ा दिया है। पश्चिम बंगाल डॉक्टर्स फोरम के प्रमुख रजाउल करीम ने कहा कि वर्ष 2009 के मेडिकेयर कानून में कार्यरत डॉक्टरों पर हमले के लिए सख्त सजा मुकर्रर की गई है। फिर भी सरकार ने एक भी एफआइआर दर्ज नहीं की है। मुख्यमंत्री सरकारी अस्पतालों में और 4,000 पुलिस कर्मी तैनात करने और सीसीटीवी कैमरे और संभावित हमलावरों को आगाह करने के लिए बोर्ड लगाने के अपने वादे पूरा नहीं कर रही है।