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बंगाल में 1 डॉक्टर पर 1850 मरीजों के इलाज का बोझ

locationकोलकाताPublished: May 02, 2018 11:08:37 pm

Submitted by:

MANOJ KUMAR SINGH

आशंकित 85 सरकारी डॉक्टरों ने पहले ही इस्तीफा दे दिया है और 350 डॉक्टरों की सामूहिक इस्तीफा देने की घोषण

Kolkata
बंगाल पर डॉक्टरों के अकाल का खतरा मंडराता

राज्य के सरकारी अस्पतालों में खाली हैं डॉक्टरों के 3०० पद
कोलकाता

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी राज्य के सरकारी अस्पतालों में जरूरी चिकित्सा नि:शुल्क मुहैया कराने का दावा करती हैं, लेकिन इसके उलट राज्य के सरकारी अस्पतालों में इलाज करने वाले डॉक्टरों का हाहाकार मचने लगा है। ऐसे में सरकारी डॉक्टरों के सामूहिक इस्तीफा देने की घोषणा से राज्य में डॉक्टरों के अकाल पडऩे का खतरा मंडराने लगा है।
पिछले छह सालों में राज्य में सरकारी अस्पतालों की संख्या बढऩे के साथ मरीजों की संख्या भी बढ़ी है। लेकिन सरकारी डॉक्टरों की संख्या उस अनुपात में नहीं बढ़ी। पहले से जितने डॉक्टरों के पद थे उनमें से ३०० पद रिक्त हैं।
नतीजा राज्य में डॉक्टर और मरीज के अनुपात बहुत ही खराब स्थिति में पहुंच गई है। इन दिनों राज्य में एक डॉक्टर और मरीज का अनुपात 1:1850 है। यानि बंगाल में एक डॉक्टर पर 1850 मरीज के इलाज की जिम्मेदारी है। इस कारण राज्य के सरकारी अस्पतालों की चिकित्सा व्यवस्था चरमराती जा रही है। ऐसी स्थिति में सरकारी डक्टरों ने सामूहिक इस्तीफा देने की धमकी दे कर राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था पर एक नया खतरा पैदा कर दिया है।
– 350 डॉक्टर देंगे सामूहिक इस्तीफा
अधिक मरीज होने के कारण सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर मरीजों को पर्याप्त समय नहीं दे पाते हैं। इलाज के दौरान मरीजों की मौत होने पर डॉक्टरों की निष्ठा पर सवाल उठाने और लापरवाही के आरोप लगा कर उन पर परीजनों के हमले बढ़े हैं। पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था मुहैया कराने में सरकार की सुस्ती और हमले से आशंकित 85 सरकारी डॉक्टरों ने पहले ही इस्तीफा दे दिया है और 350 डॉक्टरों ने सामूहिक इस्तीफा देने की घोषण कर राज्य की स्वास्थ्य सेवा पटरी से उतरने का खतरा बढ़ा दिया है। पश्चिम बंगाल डॉक्टर्स फोरम के प्रमुख रजाउल करीम ने कहा कि वर्ष 2009 के मेडिकेयर कानून में कार्यरत डॉक्टरों पर हमले के लिए सख्त सजा मुकर्रर की गई है। फिर भी सरकार ने एक भी एफआइआर दर्ज नहीं की है। मुख्यमंत्री सरकारी अस्पतालों में और 4,000 पुलिस कर्मी तैनात करने और सीसीटीवी कैमरे और संभावित हमलावरों को आगाह करने के लिए बोर्ड लगाने के अपने वादे पूरा नहीं कर रही है।
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