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हिम्मत के आगे उम्र हारी, 93साल के उम्र में बुजुर्ग के दोनों घुटनों का सफल जोड़ प्रत्यारोपण

locationकोलकाताPublished: Nov 15, 2019 05:30:11 pm

Submitted by:

Shishir Sharan Rahi

Dr Dhiraj Marothi done joint replacement surgeries,of 93 yr old patien—मशहूर जोड़ प्रत्यारोपण सर्जन डॉ. धीरज मरोठी जैन ने किया सफल ऑपरेशन

हिम्मत के आगे उम्र हारी, 93साल के उम्र में बुजुर्ग के दोनों घुटनों का सफल जोड़ प्रत्यारोपण

हिम्मत के आगे उम्र हारी, 93साल के उम्र में बुजुर्ग के दोनों घुटनों का सफल जोड़ प्रत्यारोपण

कोलकाता. अहमदाबाद के मशहूर जोड़ प्रत्यारोपण सर्जन डॉ. धीरज मरोठी जैन ने 93 वर्षीय बाबूलाल गोहिल के दोनों घुटनों के जोड़ों का एक वर्ष के समय में प्रत्यारोपण (ज्वाइंट रीप्लेसमेन्ट) किया और बाबूभाई के घुटनों के निरंतर दर्द का स्थायी रूप से इलाज किया। बाबूभाई जीवन के 92वें वर्ष में पहुंचे तब तक उनकी बायपास सर्जरी हो चुकी थी। बायपास सर्जरी सफल रही लेकिन बढ़ती उम्र के कारण, उनका दिल कमजोर होता गया। घुटने के दर्द से वे 24 घंटे पीडि़त रहते थे। उन्होंने घुटने के दर्द के इलाज के लिए भारत के बड़े-बड़े ऑर्थोपेडिक सर्जनों से परामर्श किया। सभी ने बताया कि उनके दोनों घुटनों में गंभीर आर्थराइटिस है और दोनों पैरों में जोड़ों को प्रत्यारोपित करने की सर्जरी की जरूरत थी। कोई भी ओर्थोपेडिक सर्जन ऑपरेशन को तैयार नहीं था। वजह उनकी 93 साल की उम्र और कमजोर दिल। इन दोनों के कारण ऑपरेशन बहुत जोखिम भरा था और इसलिए सभी ऑर्थोपेडिक सर्जन ने ऑपरेशन से इंकार किया. उस दौरान ज्वाइंट रिप्लेसमेंट सर्जन डॉ. धीरज मरोठी जैन से मुलाकात हुई और बाबूलाल ने डॉ. धीरज से ऑपरेशन का अनुरोध किया। डॉ. धीरज (जिन्होने आर-2-आर तकनीक से घुटने के प्रत्यारोपण की सर्जरी की खोज की है और ‘रेस नीक्लिनिक’ के चेरमैन हैं) ने अपनी टीम के साथ इस मामले पर चर्चा की। डॉ. धीरज की टीम का हर कोई डॉक्टर बाबूलालके ऑपरेशन के लिए नहीं कह रहा था। 15,000 से अधिक जोड़ों के प्रत्यारोपण का अनुभव प्राप्त डॉ. धीरज मारोठी-जैन और उनकी टीम सर्जरी के लिए सहमत हो गए। एशियन बैरिएट्रिक अस्पताल में सर्जरी का निर्णय लिया गया। बाबूलाल का पहला ऑपरेशन 2018 में और दूसरा अक्टूबर 2019 में हुआ। दोनों ऑपरेशन सफल रहे और अब बाबूभाई दर्द मुक्त जीवन जी रहे है। डॉ. धीरज मरोठी-जैन ने पत्रकारों को इस सफल ऑपरेशन के बारे में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कहा कि बाबूलाल का मामला बहुत उच्च जोखिम वाला मामला था। उनके हृदय का पंपिंग केवल 15-20 प्रतिशत था जो तंदुरस्त हृदय में 60 फीसदी होता है। साथ ही उनके पैर घुटनों पर मुड़ गए थे, उन्हे चलना मुश्किल था। उन्हें दोनों घुटनों में लगातार दर्द था। सर्जरी जोखिम भरा था, लेकीन उनको उनकी हालत पर छोडऩा भी सही नही था।
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