प्रधान अतिथि उप्र के राज्यपाल रामनाईक ने कहा कि वन्देमातरम् कहने पर विद्यालय से निकाले जाने वाले हेडगेवार के मन में संघ की स्थापना का बीजारोपण कोलकाता में ही हुआ था। हेडगेवार ने कार्यकत्र्ताओं के दिल में जो विचारधारा निर्मित की, वह आज साकार होती हो रही है। नाईक ने कुमारसभा पुस्तकालय की इस बात के लिए सराहना की कि यह संस्था देश के विशिष्ट प्रज्ञा पुरुषों को सम्मानित कर एक बड़ा काम कर रही हैं। राष्ट्रवादी चिंतक एवं उत्तरप्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष दीक्षित ने सम्मान के लिए कुमारसभा पुस्तकालय के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की। उन्होंने ऋग्वेद एवं अथर्ववेद के ऋषियों की वाणी को बंगभूमि के कवि रवीन्द्रनाथ टैगोर एवं बंकिमचन्द्र के साथ जोड़ते हुए समाज में व्याप्त विभेद पर प्रहार किया और कहा कि हमारे आपसी अलगाव के कारण ही मु_ी भर लोग देश की सम्पदा को लूट ले गये। कहा जा रहा था कि हमारे यहां सब समान है परन्तु भाषा-जाति-पंथ-खानपान को लेकर बड़ा विभेद था। भारत में लोग अपनी-अपनी अस्मिता बचाने के लिए अलग-अलग रहना पसंद कर रहे थे। हेडगेवार ने इन सब भेदों को समाप्त करने को भारत माता की जय का मंत्र देकर हमें एक माता का पुत्र बना दिया। विशिष्ट अतिथि हिन्दू आध्यात्मिक एवं सेवा मेला के राष्ट्रीय सह संयोजक लक्ष्मी नारायण भाला ने हेडगेवार की विवेक दृष्टि एवं संगठन क्षमता को रेखांकित किया। संचालन पुस्तकालय अध्यक्ष डॉ. प्रेमशंकर त्रिपाठी तथा धन्यवाद ज्ञापित मंत्री महावीर बजाज ने किया। अतिथियों का स्वागत किया लक्ष्मीकांत तिवारी, विनय दुबे, जय प्रकाश सिंह, अरुणप्रकाश मल्लावत, सज्जन कुमार शर्मा, रामचन्द्र अग्रवाल एवं श्रीमती दुर्गा व्यास ने किया। होम्योपेथ चिकित्सक डॉ. सुभाष सिंह, डॉ. शिशिर सिंह भंवरलाल मूंधड़ा, आनन्द मोहन मिश्र, धनपतराम अग्रवाल, श्रीराम सोनी, चम्पालाल पारीक, राजेन्द्र कानूनगो, शार्दूलसिंह जैन, डॉ. राजश्री शुक्ल, अनिल ओझा नीरद, नरेन्द्र अग्रवाल, कमल त्रिपाठी, शंकरबक्स सिंह, नवीन सिंह, रामपुकार सिंह, शिबू घोष (पार्षद), बालकिशन मूंधड़ा, भागीरथ चांडक, जयगोपाल गुप्त, बालमुकुन्द, सुनील हर्ष, रणजीत लूणिया, नरेश फतेहपुरिया, लक्ष्मण केडिया, राजू सुल्तानिया, डॉ. अर्चना पाण्डेय, डॉ. रंजना त्रिपाठी, स्नेहलता बैद, महावीर प्रसाद रावत आदि मौजूद थे। पुस्तकालय के साहित्यमंत्री बंशीधर शर्मा, योगेशराज उपाध्याय, मनोज काकड़ा, संजय रस्तोगी, गजानन्द राठी, नन्दकुमार लड्ढा, सत्यप्रकाश राय, भागीरथ सारस्वत, चन्द्रकुमार जैन, गुड्डन सिंह प्रभृति आदि सक्रिय रहे।