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कवायद : जीएसटी काउंसिल ने दी व्यापारियों को राहत

locationकोलकाताPublished: Nov 11, 2017 05:20:36 am

वस्तु व सेवा कर (जीएसटी) को लेकर काउंसिल की बैठक में छोटे व मझोले सेक्टर को लाभ दिया गया

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कोलकाता. वस्तु व सेवा कर (जीएसटी) को लेकर काउंसिल की बैठक में छोटे व मझोले सेक्टर को लाभ दिया गया। इससे व्यापारियों में खुशी का माहौल है। कंफेडरेशन ऑफ वेस्ट बंगाल टे्रडर्स एसोसिएशन के व्यापारियों ने राहत मिलने पर खुशी जताई है।

जीएसटी काउंसिल की ओर से शुक्रवार को छोटे व्यापारियों के माल खरीदने के लिए दिए गए अग्रिम (टैक्स ऑन एडवांस गुड्स) को हटा दिया गया है। व्यापारियों ने इसे मझोले व छोटे सेक्टर के लिए बड़ी राहत बताई है। कंफेडरेशन ऑफ वेस्ट बंगाल ट्रेडर्स एसोसिएशन के कार्यकारी अध्यक्ष सुशील पोद्दार ने बताया कि टैक्स ऑन एडवांस गुड्स खत्म कर दिया गया है। यह छोटे व मझोले उद्योग के लिए राहत का विषय है।

उन्होंने कहा कि यह प्रस्ताव राज्य के वित्त मंत्री डॉ अमित मित्रा ने जीएसटी काउंसिल की पांचवी बैठक में ही कहा था। जिसे आज मान लिया गया। अमित मित्रा बंगाल के व्यापारियों के हित के लिए कई प्रस्ताव उठाए हैं। उन्होंने बताया कि छोटे व्यवसायियों के व्यापार की कर की सीमा एक करोड़ से बढ़ाकर 1.5 करोड़ कर दी गई है जिसे भी पहले से ही व्यापारियों ने वित्तमंत्री से मिलकर बढ़ाने का आग्रह किया था।

इसके अलावा कम्पोजिशन रेट को कुल टर्नओवर पर लगाने के निर्णय से भी राहत मिलेगी। बांकुड़ा में बनाई जाने वाली फिश हुक पर कर दर 12 से 5 फीसदी कर दी गई है। मोबाइल रिचार्ज वाले कारीगरों को कम्पोजिशन स्कीम के दायरे से बाहर कर दिया गया है। काउंसिल ने उनको भी राहत दी। फिनीश्ड लेदर गुड्स पर लगने वाले कर को 12 से 5 फीसदी कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि मौजूदा व्यवस्था में मासिक तौर पर रिटर्न भरने की बाध्यता को त्रैमासिक किए जाने की मांग अभी भी अनसुनी है।

जीएसटी – पहली तिमाही में १ लाख करोड़ राजस्व का नुकसान
पश्चिम बंगाल के वित्तमंत्री अमित मित्रा ने शुक्रवार को कहा कि जीएसटी के क्रियान्वयन के बाद पहली तिमाही में केन्द्र व राज्य सरकारों को लगभग १ लाख करोड़ रुपए के राजस्व का नुकसान हुआ है। जीएसटी काउंसिल की बैठक के बाद उन्होंने संवाददाताओं को बताया कि नई कर प्रणाली के शुरू होने के बाद पहले तीन महीने में केन्द्र सरकार को ६० हजार करोड़ रुपए तथा राज्य सरकारों को ३० हजार करोड़ का नुकसान हुआ है। यह आंकड़ा लगभग १ लाख करोड़ रुपए का भी हो सकता है। इसके साथ ही छोटे और मझोले उद्योग से जुड़े लोग परेशानी झेल रहे हैं।

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