आयोग के सूत्रों ने बताया कि आए दिन चुनावों में विभिन्न राजनीतिक दलों की ओर से प्लास्टिक के झंडे तथा फ्लैक्स का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होने का मिशाल है। 2016 के विधानसभा चुनाव और 2018 के त्रिस्तरीय पंचायतों के चुनाव में प्लास्टिक के झंडों के अलावा बड़े-बड़े फ्लैक्स ने दृश्य प्रदूषण को बढ़ा दिया था। आयोग के दिशा निर्देशों का हवाला देते हुए राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) डॉ. आरिज अफताब ने राज्य के सभी राजनीतिक दलों को प्रचार में इस्तेमाल होने वाले बैनर 8 फीट से ज्यादा लंबा नहीं होगा। यही नहीं उम्मीदवारों के समर्थन में जो भी पोस्टर बनेगा उसके मुख्य भाग पर मुद्रक का नाम व पता अंकित होना अनिवार्य है। ऐसा नहीं होने पर मुद्रित प्रचार सामग्री अवैध माना जाएगा। सीईओ कार्यालय के अनुसार पर्यावरण संरक्षण को देखते हुए निर्वाचन आयोग ने यह कदम उठाया है। फलस्वरूप लोकसभा चुनाव में विभिन्न राजनीतिक दलों के उम्मीदवार अपने प्रचार अभियान में प्लास्टिक के झंडे का उपयोग नहीं कर पाएंगे। इसके स्थान पर कपड़े और कागज के झंडों व पोस्टर आदि का उपयोग करना होगा। यही नहीं विभिन्न सभाओं और राजनीतिक कार्यक्रमों में डिस्पोजल सामग्रियों का भी उपयोग नहीं किया जा सकेगा। जनता को भी किया सतर्क-आयोग ने राजनीतिक दलों के संदर्भ में जारी हुई आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) का अक्षरश: पालन को लेकर आम नागरिकों को भी सावचेत किया है। जमीनीस्तर पर आयोग के निर्देशों को नहीं मानने वाले दलों के बारे में शिकायत दर्ज कराने के लिए सी-विजिल ऐप को लांच किया गया है। मोबाइल ऐप के माध्यम से सैकड़ों की संख्या में शिकायतें आनी शुरू हो गई है।
क्या कहते हैं निर्वाचन आयोग के अधिकारी- मद्रास हाईकोर्ट सहित देश के सर्वोच्च अदालत ने लोकसभा चुनाव प्रचार में प्लास्टिक के सामग्रियों पर पूरी तरह से बैन लगा दिया है। पर्यावरण हितैषी को ध्यान में रखते हुए राजनीतिक दलों को इस संदर्भ में सूचित किया जा चुका है। आयोग के निर्देशों का अनुपालन हो रहा है या नहीं, इसकी निगरानी के लिए एमसीसी पर्यवेक्षक के रूप में विशेष टीम तैनात की गई है।
– डॉ. धीरेन्द्र ओझा, निदेशक, भारत का निर्वाचन आयोग।