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वैश्विक महामारी कोरोना के चलते कोरोना काल में फूल किसानों के चेहरे मुरझाए

locationकोलकाताPublished: Sep 27, 2020 06:16:01 pm

– निर्यात, मंदिरों में पूजा, शादी व अन्य आयोजनबंद होने से मांग में भारी गिरावट-मध्यप्रदेश, राजस्थान, बंगाल समेत कई राज्यों में होती है फूलों की खेती

वैश्विक महामारी कोरोना के चलते कोरोना काल में फूल किसानों के चेहरे मुरझाए

वैश्विक महामारी कोरोना के चलते कोरोना काल में फूल किसानों के चेहरे मुरझाए

कोलकाता.
वैश्विक महामारी कोरोना के चलते देश के फूल किसानों के चेहरे मुरझा गए हैं। शादी-ब्याह, मंदिरों व अन्य हर तरह के कार्यक्रमों के बंद होने से मांग में भारी गिरावट से किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। वैष्णो देवी (जम्मू-कश्मीर), महाकालेश्वर मंदिर (उज्जैन), सिद्धि विनायक मंदिर (मुम्बई) जैसे मंदिरों में लाखों क्विंटल फूल हर दिन श्रद्धालु चढ़ाते थे, लेकिन मन्दिरों के कपाट बंद होने से फूल यूं ही बर्बाद हो रहे हैं। शादी एवं अन्य समारोह में भी बड़ी मात्रा में फूलों की खपत होती थी। देश के मध्य प्रदेश, गुजरात, पंजाब, हरियाणा, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, झारखंड, उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, महाराष्ट्र में बड़े पैमाने पर फूलों की खेती होती है।
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100 मिलियन टन से अधिक उत्पादन
राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड के अनुसार भारत में 250 हजार हेक्टयर से अधिक भूमि पर फूलों की खेती होती है और 100 मिलियन टन से अधिक उत्पादन होता है। गुलाब, रजनीगंधा, ग्लेड्स, एंथुरियम, कार्नेशन, गेंदा की सर्वाधिक खेती की जाती है। थोड़ी-बहुत लाली, गुलदाउदी, गारगेरा, ग्लेडियोलस, जाइसोफिला, लायस्ट्रिस, नेरिन, अर्किलिया, अन्थुरियम, ट्यूलिप और लिलि आदि की भी खेती होती है।
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541.61 करोड़ से अधिक का निर्यात
भारत से प्रतिवर्ष 500 करोड़ रुपए से अधिक का फूल निर्यात होता है। पिछले साल 541.61 करोड़ रुपए का निर्यात हुआ था। अमरीका, नीदरलैंड, जर्मनी, ब्रिटेन, संयुक्त अरब अमीरात, जापान और कनाडा में बड़े पैमाने पर फूलों का आयात किया जाता है। भारत में 300 से अधिक निर्यातोन्मुख इकाइयाँ हैं। 50 प्रतिशत से अधिक इकाइयाँ कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में हैं।
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इनका कहना है
इस साल काफी नुकसान हुआ है। हमारे खेत के गेंदा फूल आगरा, मथुरा, कानपुर जैसे कई शहरों में जाते हैं। इस साल न के बराबर फूल बिके।
रवि पाल, किसान, मैनपुरी,उत्तर प्रदेश
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दुर्गापूजा में हर साल हमारे यहां से कमल फूल को लन्दन भेजा जाता था। इस साल निर्यात नहीं होगा। लॉकडाउन से काफी नुकसान हुआ है।
समर मुर्मू, किसान, बांकुड़ा, बंगाल
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