हालांकि, तृणमूल ने आरोप लगाया कि भाजपा, वामपंथियों की मदद कर रही है जबकि माकपा नेताओं ने इन आरोपों को खारिज कर दिया है।
माकपा के वरिष्ठ नेता एवं पोलित ब्यूरो सदस्य निलोत्पल बसु ने कहा कि हमने अपने कार्यालयों पर फिर कब्जा किया है जिसे तृणमूल कांग्रेस ने हमसे छीन लिया था। हम ऐसा इसलिए कर पाए क्योंकि तृणमूल कांग्रेस कमजोर हुई है, उसका घटता जनाधार स्पष्ट है। हमारे लोग कार्यालयों पर कब्जा पाने की कोशिश कर रहे थे।
माकपा के वरिष्ठ नेता एवं पोलित ब्यूरो सदस्य निलोत्पल बसु ने कहा कि हमने अपने कार्यालयों पर फिर कब्जा किया है जिसे तृणमूल कांग्रेस ने हमसे छीन लिया था। हम ऐसा इसलिए कर पाए क्योंकि तृणमूल कांग्रेस कमजोर हुई है, उसका घटता जनाधार स्पष्ट है। हमारे लोग कार्यालयों पर कब्जा पाने की कोशिश कर रहे थे।
वर्ष 2011 में पार्टी के ये सभी कार्यालय माकपा के थे। वाम मोर्चा के 34 साल तक सत्ता में रहने के बाद ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस से हार के बाद उन्हें तृणमूल कांग्रेस ने हथिया लिया था और उसकी दीवारों को पार्टी के चुनाव चिह्न दो पत्ती से रंग दिया गया था।
तृणमूल कांग्रेस के नेता शिशिर अधिकारी ने माना कि वाम दल ने अपने कुछ कार्यालयों पर फिर से कब्जा पा लिया है।
तृणमूल कांग्रेस के नेता शिशिर अधिकारी ने माना कि वाम दल ने अपने कुछ कार्यालयों पर फिर से कब्जा पा लिया है।
अधिकारी ने कहा कि माकपा, भाजपा की मदद से राज्य में अपने कुछ कार्यालय को वापस पाने में कामयाब हुई है। भाजपा को कुछ सीटें मिली है और वह हिंसा का सहारा ले रही है । निश्चित तौर पर वे उनकी मदद कर रहे हैं। लेकिन कुछ ही कार्यालय हैं, बहुत ज्यादा नहीं।
हालांकि, माकपा नेता बसु ने दावों को खारिज कर दिया कि उन्हें भाजपा की मदद मिल रही है ।
हालांकि, माकपा नेता बसु ने दावों को खारिज कर दिया कि उन्हें भाजपा की मदद मिल रही है ।
लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और अन्य भाजपा नेताओं ने दावा किया था कि आम चुनाव खत्म होते ही तृणमूल के लगभग 100 विधायक भाजपा में शामिल हो सकते हैं। मोदी ने यहां तक कहा था कि तृणमूल के 40 विधायक उनके संपर्क में हैं। भाजपा ने शानदार प्रदर्शन के साथ राज्य की 42 लोकसभा सीटों में से 18 सीटों पर कब्जा कर लिया। जबकि 2014 में 34 सीटें हासिल करने वाली तृणमूल इस बार 22 सीटों पर सिमट गई।