आज की शिक्षा में आत्मचेतना का अभाव है। आज पूरा देश-समाज सोशल मीडिया की चपेट में है और परिवार इसी के सीमित दायरे में बंधकर आज रह गया है। इससे बाहर निकलने की सख्त आवश्यकता है। आयुर्वेद की महता का बखान करते हुए कोठारी ने कहा कि आज इंसान जाने-अनजाने खुद की लापरवाही से दूसरे तरह की व्याधियों का शिकार हो रहा। उन्होंने शक्तिशाली कीटनाशकों के बढ़ते प्रयोग पर कटाक्ष कर कहा कि आज फल, अनाज और दूध तक में पेस्टिसाइड्स पाए जा रहे। यहां तक की सडक़ की मिट्टी तक भी इससे नहीं बची। आज जिस दौर से हम गुजर रहे वो भयानक है। और अगर समय रहते नहीं चेते तो घातक परिणाम होगा। आनेवाली पीढिय़ों को रोगों से मुक्त करना सबसे बड़ी चुनौती है। आज जिस तरह की शिक्षा बच्चों को दी जा रही है उसमें भारत की माटी यहां की मूल संस्कृति आदि के बारे में कोई पढ़ाई नहीं हो रही। उन्होंने रहा कि अपने अस्तित्व की तरफ लौटना बेहद जरूरी है। जिस माटी से हम निकले उसका सम्मान करना सीखें। भोजन स्वस्थ शरीर और विकार रहित मन-बुद्धि का आधार है, इसलिए अन्न की शुद्धता की महत्ता है। विकास और पश्चिमी सभ्यता के अंधानुकरण में आज हम अपनी मूल संस्कृति से अलग हो रहे, वैश्वीकरण ने जीवन को बाजार के हवाले कर दिया है और लालच के आगे जीवन का आज कोई मोल नहीं रहा। इस सबके दुष्परिणाम भी पूरी दुनिया के साथ मनुष्य भोग रहा है। कैंसर ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया है। कीटनाशकों का अंधाधुंध इस्तेमाल के साथ गर्भनिरोधक गोलियां महिलाओं के लिए जानलेवा बनती जा रही है।
—–पशु से भी ज्यादा खाने लगा आज इंसान
—–पशु से भी ज्यादा खाने लगा आज इंसान
सेठिया ने संबोधन में कहा कि गुलाब कोठारी की लेखनी और वाकपटुता पूरे देश के लिए गौरव की बात है। उन्होंने कहा कि पिछले २० साल से असाध्य रोगों के इलाज के लिए पत्रिका के साथ उनकी संस्था की ओर से आयुर्वेद शिविर लगाया जा रहा है। डॉ शर्मा ने आज समारोहों में अनाज की बर्बादी पर कहा कि समृद्धि हमारी आज हो गई तो इंसान पशु से भी ज्यादा खाने लगा।