तो फिर कहां लगेगा गंगासागर मेला
सागरद्वीप को लीलने तैयार बैठी बंगाल की खाड़ी। इसी गति से होता रहा तटीय क्षरण तो डूब जाएगा सागरद्वीप ।
45 सालों में 250 वर्ग किमी सुंदरवन के द्वीपों को लील चुका है समुद्र। सागर द्वीप पिछले कुछ दशकों में अपने क्षेत्रफल का 30 वर्ग किलोमीटर बंगाल की खाड़ी में खो चुका है।

कोलकाता. सनातन धर्मावलंबियों की पवित्र तीर्थस्थली गंगासागर पर जलवायु परिवर्तन, बढ़ते समुद्री जलस्तर, कटते तटबंधों, कम होते मैंग्रेाव जंगलों से गंभीर खतरा मंडरा रहा है। आलम यह है कि विश्व के सबसे बड़े डेल्टा के द्वीप समूहों वाले सुंदरवन का सबसे बड़ा द्वीप सागर द्वीप पिछले कुछ दशकों में अपने क्षेत्रफल का 30 वर्ग किलोमीटर बंगाल की खाड़ी में खो चुका है। वहीं पूरे सुंदरवन में गत 45 वर्षों में 250 वर्ग किलोमीटर की जमीन समुद्र में समा चुकी है।

जादवपुर विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ ओसियनोग्राफि क्स स्टडीज के असिस्टेंट प्रो. तुहिन घोष के मुताबिक समुद्र स्तर के तापमान में बढ़ोतरी की तेज दर, मानसून में देरी व कमी, व वार्षिक तौर ८ मिलीमीटर से ज्यादा के समुद्र स्तर में बढ़ोतरी इस बात के गवाह हैं कि सुंदरवन के द्वीपों के सामने गंभीर संकट है। ज्वार के समय पूर्वी दिशा से आने वाली हल्की हवी भी द्वीप की सेहत पर खराब असर डाल रही हैं। बंगाल की खाड़ी तटबंधों को तोडक़र द्वीपों के अंदरूनी निचले इलाकों में पहुंच जाती हैं। बेडफोर्ड, लोहाचारा, कबासगड़ी, सुपारीभांगा जैसे द्वीप विलुप्त हो चुके हैं। वहीं घोड़ामारा व मौसुनी जैसे द्वीप समुद्र की भूखी लहरों की भेंट चढऩे को तैयार बैठे हैं। वहीं गंगासागर मेले के लिए प्रसिद्ध सागरद्वीप पर भी तेजी से खतरा मंडरा रहा है। इसी गति से समुद्र की आक्रमकता जारी रही तो सागरद्वीप मानवीय बसाहट के लिए अनुपयुक्त हो जाएगा। उनके मुताबिक गंगा की धारा की अविरलता और गति में आ रही कमी भी सागरद्वीप के समुद्र में डूबने का कारण बनती जा रही है। अभी सागरद्वीप में 1.5 लाख लोग रहते हैं। जिनमें से 25 हजार आसपास के डूब चुके द्वीपों के शरणार्थी हैं। सुंदरवन विकास बोर्ड के मूल्यांकन के मुताबिक पिछले कुछ दशकों में सागरद्वीप 30 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्रफल खो चुका है। द्वीप का कुल क्षेत्रफल 225 वर्ग किलोमीटर है। वैश्विक स्तर पर पर्यावरण बदलाव पर जारी शोधकार्य के निष्कर्ष बंगाल और बांग्लादेश में फैले गंगा, ब्रहमपुत्र और मेघना यानी जीबीएम डेल्टा पर मंडरा रहे खतरे की ओर इशारा करते हैं। निष्कर्षों के मुताबिक दक्षिण एशियाई वृहत कार्बन सिंक की अवधारणा इस डेल्टा क्षेत्र में हो रही असाधारण समुद्र स्तर की वृद्धि बताती है।
इसरो की रिपोर्ट में मैंग्रोव हास का उल्लेख
नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल की पूर्वी सर्किट बेंच को वर्ष 2015 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) सौंपी गई रिपोर्ट में कहा है कि सुंदरवन में एक दशक के भीतर 3.71 फीसदी मैंग्रोव जंगल कम हुए हैं । इसी अवधि में 9900 हेक्टेयर का क्षेत्रफल भी कम हुआ है। मैंग्रेाव वन समुद्र को उसकी सीमा में बांधे रखने का काम करते हैं।
क्या कहते हैं मंत्री
सागर द्वीप की रक्षा के लिए राज्य प्रशासन ने विशेषज्ञ एजेंसियों की मदद ली है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर आईआईटी चेन्नई द्वीप की रक्षा के लिए सर्वे और एस्टीमेट की विस्तृत कार्ययोजना तैयार कर रहा है। रिपोर्ट मिलने के बाद काम शुरू किया जाएगा।
मंतूराम पाखिरा, सुंदरवन विकास मंत्री, पश्चिम बंगाल सरकार
दो -तीन बार मंदिर समा चुका है समुद्र में
द्वीप के वासियों के मुताबिक उन्होंने अपने पितृपुरुषों से यह बात सुनी है कि समुद्र बहुत पहले से ही द्वीप को लील रहा है। उनके पूर्वजों के मुताबिक गंगासागर का मूल मंदिर तो पहले ही समुद्र के भीतर जा चुका है। सुंदरवन विकास मंत्री मंतूराम पाखिरा ने बताया कि उन्हें भी उनके पूर्वजों से यह बात सुनने में मिली थी। लेकिन इस बात के कोई ऐतिहासिक प्रमाण नहीं हैं।
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