सत्ता में आने के बाद गंगासागर को काफी सुंदर ढंग से सजाया : ममता
मेला कर को भी किया समाप्त
-गंगासगार मेले में तीर्थयात्रियों का ख्याल रखने के लिए उनके कई मंत्री चार दिनों तक वहां रहेंगे मुस्तैद
-ममता बनर्जी ने आउट्राम घाट पर लगे गंगासागर सेवा शिविर का किया उद्घाटन

कोलकाता.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को कहा कि सत्ता में आने के बाद उन्होंने गंगासागर को काफी सुंदर ढंग से सजाया है। वहां जाने पर लगने वाले कर को भी समाप्त किया है। ममता बनर्जी आउट्राम घाट पर लगे गंगासागर सेवा शिविर का उद्घाटन कर रही थी। उन्होंने कहा कि गंगासागर ऐसा एकमात्र तीर्थस्थल है, जहां जाने के लिए नदी पार करनी पड़ती है, जबकि कुंभ मेला सडक़ व रेलमार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।
ममता ने गंगासागर जाने वाले तीर्थयात्रियों से कोरोना महामारी को लेकर सरकार की तरफ से जारी किए गए स्वास्थ्य संबंधी दिशानिर्देशों का ठीक तरह से पालन करने का अनुरोध करते हुए कहा कि मास्क पहनें और सैनिटाइजर का इस्तेमाल करते रहे। प्रशासन का सहयोग करें। प्रशासन भी अपनी तरफ से उनका पूरा ध्यान रखेगा। गंगासगार मेले में तीर्थयात्रियों का ख्याल रखने के लिए उनके कई मंत्री चार दिनों तक वहां मुस्तैद रहेंगे। इनमें फिरहाद हकीम, शोभनदेव चट्टोपाध्याय, सुब्रत मुखर्जी, अरूप विश्वास, सुजीत बोस शामिल हैं।
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ममता ने कृषि कानून वापस लेने की फिर की मांग
-लाल बहादुर शास्त्री की पुण्यतिथि पर किया उनको याद
कोलकाता .
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की पुण्यतिथि पर उनको श्रद्धांजलि दी। इस मौके पर उन्होंने कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग भी की। सोमवार को उन्होंने ट्वीट किया है। इसमें लिखा है, "भारत के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की पुण्यतिथि के मौके पर श्रद्धांजलि। उन्होंने हमें जय जवान, जय किसान का प्रेरणादायक स्लोगन दिया है। हम अपने किसान भाइयों और बहनों के प्रति गौरवान्वित हैं। किसान हमारे देश के हीरो हैं। केंद्र सरकार को तुरंत किसान विरोधी कानूनों को वापस लेना चाहिए।"
लालबहादुर शास्त्री भारत के दूसरे प्रधानमंत्री थे। वह 9 जून 1964 से 11 जनवरी 1966 को अपनी मृत्यु तक लगभग अठारह महीने भारत के प्रधानमंत्री रहे। इस प्रमुख पद पर उनका कार्यकाल अद्वितीय रहा। शास्त्री ने काशी विद्यापीठ से शास्त्री की उपाधि प्राप्त की थी। उनका जन्म 2 अक्टूबर 1904 मुगलसराय (वाराणसी) में हुआ था। वह भारत के उन नेताओं में शामिल रहे हैं जिन्होंने देश के शीर्षस्थ पदों पर आरूढ़ रहने के बावजूद सामान्य जन की तरह जिंदगी जिया। 11 जनवरी 1966 को ताशकन्द में उनका निधन हो गया था।
ममता ने गंगासागर जाने वाले तीर्थयात्रियों से कोरोना महामारी को लेकर सरकार की तरफ से जारी किए गए स्वास्थ्य संबंधी दिशानिर्देशों का ठीक तरह से पालन करने का अनुरोध करते हुए कहा कि मास्क पहनें और सैनिटाइजर का इस्तेमाल करते रहे। प्रशासन का सहयोग करें।

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