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बंगाल में चुनौती बना कचरा निस्तारण

locationकोलकाताPublished: Feb 27, 2020 09:21:05 pm

Submitted by:

Rajendra Vyas

सरकार चलाएगी व्यापक अभियान
भारत का लगभग हर शहर, गांव और कस्बा कचरे की समस्या से जूझ रहा है। कूड़ा-कचरा देश में बड़ी समस्या बन चुका है। पश्चिम बंगाल भी इससे अछूता नहीं। समस्या का निस्तारण एक चुनौती बन चुका है। कचरा निस्तारण और स्वच्छता केवल सरकार या स्थानीय निकाय ही जिम्मेदार नहीं बल्कि आमजन को भी इसमें अहम भूमिका निभानी होती है, किन्तु मानव इसके प्रति गंभीर नहीं। बंगाल सरकार शहरों में आमजन को जागरूक करने के उद्देश्य से अभियान चला रही है। राजस्थान पत्रिका संवाददाता प्रभात गुप्ता की खास रिपोर्ट।

बंगाल में चुनौती बना कचरा निस्तारण

बंगाल में चुनौती बना कचरा निस्तारण

नि:शुल्क बांटें जाएंगे एक करोड़ से ज्यादा हरे और नीले रंग के डस्टबिन
-अभियान पर करीब तीन हजार करोड़ रुपए की लागत आने का अनुमान

कोलकाता. पश्चिम बंगाल सरकार ठोस कचरे के प्रबंधन के लिए शहरी क्षेत्रों में चलाए जा रहे अभियान को विस्तार और गति देगी। इसके तहत लाखों परिवारों को कचरा एकत्र करने के लिए हरे और नीले रंग के डस्टबिन नि:शुल्क वितरित किए जाएंगे। इन्हीं डिब्बों से कचरा एकत्र कर डम्पिंग यार्ड तक पहुंचाया जाएगा और रिसाइकिल किया जाएगा। इस अभियान पर करीब 3000 करोड़ रुपए की लागत आने का अनुमान है। इसमें से 65 फीसदी राशि राज्य सरकार और 35 फीसदी केंद्र सरकार वहन करेगी।
नदी तट पर बसे शहरों पर विशेष ध्यान

अभियान के अंतर्गत प्रदेश में गंगा और अन्य नदियों के तट पर बसे शहरों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। गंगा के तटवर्ती इलाके में 42 नगर पालिकाएं हैं। वहीं जलंगी, चुर्णी, महानन्दा और बराकर नदी वाले क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले निकायों में सिलीगुड़ी, राणाघाट, कृष्णनगर, बराकर, आसनसोल, दुर्गापुर आदि शामिल हैं।
कुल 88 डम्पिंग साइट्स चिह्नित

नगरपालिका व शहरी विकास विभाग के दिशा निर्देश पर राज्य शहरी विकास एजेंसी (सूडा) और कोलकाता मेट्रोपोलिटन डेवलपमेन्ट अथॉरिटी (केएमडीए) इस अभियान पर पुरजोर काम कर रही है। विभागीय अधिकारी के मुताबिक पश्चिम बंगाल में सबसे अधिक 40 लाख टन कचरा कोलकाता नगर निगम के पास जमा है। हावड़ा नगर निगम के पास 8 लाख टन और विधाननगर नगर निगम के पास 3 लाख टन कचरा जमा है। राज्यभर में कुल 88 डम्पिंग साइट्स हैं, जहां शहरी क्षेत्र का कचरा फेंका जा रहा है।
यह है योजना
– रसोई से बचा कचरा रोज संग्रहित होगा। सूखा व अजैविक कचरा सप्ताह में एक या दो दिन संग्रहित किया जाएगा।
-विभिन्न निकायों के लिए 10 लाख डिब्बों की व्यवस्था की गई है। 30 लाख डिब्बों के लिए टेंडर की प्रक्रिया पूरी होने वाली है। वहीं 40 लाख डिब्बों के लिए टेंडर शीघ्र जारी होगा। शहरी विकास विभाग ने एक करोड़ से अधिक डिब्बे निकायों को उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा है।
-14 से 21 मार्च 2020 तक विशेष अभियान चलाकर निकायों को कचरा मुक्त करने का लक्ष्य दिया गया है।
डंपिंग ग्राउंड की समस्या
कचरा निस्तारण के लिए निकायों में डंपिंग ग्राउंड की समस्या है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि पहले खास जमीन खोजी जाए। जमीन नहीं मिलने पर कई निकायों को ‘क्लस्टरÓ बनाकर कचरा फेंकने की व्यवस्था करनी होगी। कचरा रिसाइकलिंग के लिए हर निकाय को कंपोस्टिंग मशीन दी जाएगी। अन्य सामग्री अलग करने के लिए राज्य के 88 विभिन्न इलाकों में जमीन की पहचान की गई है।
बंगाल में चुनौती बना कचरा निस्तारण
लाखों परिवारों को नि:शुल्क दिए जाएंगे हरे-नीले डस्टबिन

सरकार जैविक और अजैविक कचरे को स्रोत पर ही अलग अलग डिब्बों में रखे जाने की प्रवृत्ति को प्रोत्साहित कर रही है। इसीलिए राज्य के 45 लाख परिवारों को 10-10 लीटर क्षमता वाले हरे और नीले रंग के डिब्बे नि:शुल्क दिए जा रहे हैं, जिसमें सूखा, गीला और ठोस कचरे को अलग-अलग रखा जाएगा। इनमें एकत्र किया जाने वाला कचरा एजेंसी द्वारा रोज संग्रहित किया जाएगा। सॉल्टलेक, हावड़ा में अब तक 8 लाख से अधिक डिब्बे बांटे जा चुके हैं। कुछ दिनों में और 40 लाख डिब्बे बांटे जाएंगे। सरकार पृथक्कृत कचरा संग्रहण (सेग्रीगेटेड वेस्ट कलेक्शन) पर विशेष जोर दे रही है।
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विकास बढ़ा रहा कचरा
आधुनिकता एवं विकास के साथ लोग सुविधा पसंद ज्यादा हो रहे हैं। इसी कारण कचरा बढ़ता जा रहा है। लोग जरूरत से ज्यादा चीजों का इस्तेमाल करते हैं और अनुपयोगी वस्तुएं इधर-उधर फेंक भी देते हैं। भोजन, पुराने कपड़े, टायर, पुराने असबाब, इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पाद आदि कचरा बढ़ा रहे हैं। नई चीजें खरीदने और इस्तेमाल करने की हमारी आदत और क्षमता बढ़ती जा रही है, परन्तु इसके उचित निस्तारण के प्रति हम सतर्क नहीं हैं। इसी कारण कचरे को संभालने में भी नाकाम हो रहे हैं।
-सुब्रत गुप्ता, प्रधान सचिव, नगरपालिका और शहरी विकास विभाग

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माइक्रो प्लानिंग एजेंसियां नियुक्त
ठोस कचरा प्रबंधन को लेकर नगरपालिका और शहरी विकास विभाग काफी दृढ़ हैं। 14-21 मार्च तक राज्यव्यापी अभियान चलाया जाएगा। स्वच्छता और कचरा प्रबंधन के इस महाअभियान में स्थानीय निकायों, क्लबों, गैर सरकारी संस्थाओं, स्वयंसेवी संगठनों की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी। इसके लिए माइक्रो प्लानिंग एजेंसियां नियुक्त की गई हैं। एक-एक एजेंसियों के अधीन 5-6 निकाय होंगे। सरकार के प्रयासों के साथ आमजन को भी इस अभियान में अहम भूमिका निभानी होगी।
फिरहाद हकीम, मंत्री, नगरपालिका व शहरी विकास विभाग, पश्चिम बंगाल सरकार

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