कोलकाता

कोलकाता में बैठे भूवैज्ञानिक रख रहे हैं पूरी देश पर नजर–Geologists sitting in Kolkata are keeping an eye on the whole country

पश्चिम बंगाल के कूचबिहार और रांची में स्थापित हो रहे दो नए जीपीएस मैपिंग स्टेशन-अब यहां से पूर्वोत्तर में होने वाले भूकंप से आगाह करेंगे भूवैज्ञनिक

कोलकाताAug 01, 2020 / 12:04 am

Krishna Das Parth

कोलकाता में बैठे भूवैज्ञानिक रख रहे हैं पूरी देश पर नजर–Geologists sitting in Kolkata are keeping an eye on the whole country

कोलकाता. वैसे महानगर कोलकाता में बैठे भूवैज्ञानिक पूरे देश में पताललोक में हो रही हलचल पर पैनी नजर रखे हुए हैं। लेकिन वह दिन अब दूर नहीं जब कोलकाता से बैठे भूवैज्ञानिक पूर्वोत्तर के लोगों को भी जमीन के अंदर होनेवाले परिवर्तन से सावधान कर सकेंगे। जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (जीएसआई) ने पश्चिम बंगाल के कूचबिहार और झारखंड के रांची में नए जीपीएस मैपिंग स्टेशन बनाने का निर्णय लिया है। इन दोनों स्टेशनों पर बहुत जल्द काम भी शुरू कर दिया जाएगा। पूर्वोत्तर भारत में समय-समय पर आने वाले भूकंप से पश्चिम बंगाल, बिहार, असम, नागालैंड, उत्तर प्रदेश, सिक्किम, उतराखंड, नेपाल को काफी नुकसान हुआ है। हालांकि कोलकाता, भुवनेश्वर और पटना से संचालित ग्लोबल पोजशनिंग सिस्टम (जीपीएस) से पूर्वी भारत के भूलोक के पल-पल के डेटा और चित्र कोलकाता में केंद्रीय सर्वरों में अपलोड और एकत्रित हो रहे हैं। इन स्टेशनों से भूकंप की संभावना वाले क्षेत्रों को चिन्हित कर भूकंपीय गति का निर्धारण भी किया जा रहा है और सटीकता के साथ चित्र भी लिए जा रहे हैं और उसे प्रकाशित किया जा रहा है। लेकिन कूचबिहार और रांची में स्थापित होनेवाले इन दोनों नए स्टेशनों से भूकंपीय गति का निर्धारण करना और आसान हो जाएगा।
अक्टूबर में भूकंप की आशंका

चक्रवात अम्फान से हुई एक लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की तबाही और कोरोना संक्रमण से बिगड़ी सामाजिक और आर्थिक स्थिति से बंगाल अभी तक उबर नहीं पाया है। इस बीच बंगाल में भूकंप आने की आशंका ने लोगों के दिलों में डर पैदा कर दिया है। दिल्ली समेत देश के कई इलाकों में १२ अप्रेल से दो महीने के अंदर १४ बार भूकंप के झटके लगने से यह आशंका व्यक्त की जाने लगी है कि इस साल अक्टूबर महीने के अंतिम सप्ताह में होने वाली दुर्गापूजा के आसपास बंगाल भी भूकंप के बड़े झटके हो सकते हैं जिससे भयंकर जान-माल की हानि हो सकती है। हालांकि इस संबंध में विशेषज्ञों का कहना है कि भूकंप को लेकर कोई निर्दिष्ट भविष्यवाणी नहीं की जा सकती है। देश ही नहीं दुनिया का कोई भी वैज्ञानिक यह नहीं बता सकता है कि कब भूकंप आएगा, लेकिन यह जरूर पता लगाया जा सकता है कि कौन-कौन क्षेत्र भूकंप की दृष्टि से संवेदनशील या अतिसंवेदनशील हैं।
कब-कब हिल चुका है बंगाल समेत उत्तर भारत

बंगाल को सबसे बड़ा झटका १८९७ में असम भूकंप के दौरान लगा था। अब तक का यह सबसे बड़े भूकंपों में से एक माना जाता है। यह भूकंप तब बहुत बड़े क्षेत्र में महसूस किया गया था। तब मध्य भारत में नागपुर और पश्चिम में ५०० किमी के दायरे में गंभीर क्षति हुई थी। उस वक्त कलकत्ता भी चपेट में आया था।
-२५ अप्रेल २०१५ को नेपाल में आए ७.९ तीव्रता के भूकंप से समूचा उत्तर भारत भी हिल गया था। खासतौर पर बिहार, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और सिक्किम के नेपाल से लगी सीमाओं के आसपास काफी तेज झटके महसूस किए गए थे। इस भूकंप की वजह से कई इमारतें क्षतिग्रस्त हो गई थीं या धराशायी हो गईं थीं, जिसमें दबकर ५१ लोगों की मौत हो गई और करीब १०० अन्य घायल हो गए थे। इनमें से ३८ की मौत बिहार में, ११ की उत्तर प्रदेश और दो की मौत पश्चिम बंगाल में हुई थी। इन राज्यों में करीब १०० लोग घायल हुए हैं।
-२७ अप्रेल २०१५ पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी, दार्जिलिंग और कुछ अन्य जिलों में सोमवार शाम भूकंप के ताजा झटके महसूस किए गए थे जिसकी तीव्रता रिक्टर पैमाने पर ५.१ मापी गई।
इसका केंद्र नेपाल-भारत सीमा क्षेत्र में २६.७ डिग्री उत्तरी अक्षांश और ८८.१ डिग्री पूर्वी देशांतर पर स्थित था। ताजा झटके उत्तरी दिनाजपुर, दक्षिणी दिनाजपुर और मुर्शिदाबाद जिलों में भी महसूस किए गए थे। जिसमें तीन व्यक्तियों की मौत हो गई थी और ६९ अन्य घायल हो गए थे।
-२४ अगस्त २०१६ को बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल के विभिन्न हिस्सों में भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। असम के गुवाहाटी में भी भूचाल महसूस हुआ था। भूकंप का केंद्र पड़ोसी देश म्यांमार में था। इसकी तीव्रता रिक्टर पैमाने पर ६.८ मापी गई है। भूकंप का केंद्र जमीन के ९१ किलोमीटर नीचे था।
-१२ सितंबर २०१८ को भी असम में ही भूकंप आया था। तब बिहार, पश्चिम बंगाल, असम और नागालैंड में भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। जिसकी तीव्रता रिक्टर पैमाने पर ५.५ मापी गयी थी। इस भूकंप का केंद्र असम के कोकराझार शहर से दो किलोमीटर दूर उत्तर में था और इसकी गहराई १० किलोमीटर थी। लेकिन अब चर्चा यह है कि ८.५ रिक्टर स्केल तीव्रता का भूकंप आने वाला है। जो बड़े पैमाने पर तबाही मचाएगा। पश्चिम बंगाल का सबसे संवेदनशील क्षत्रों में कूचबिहार, अलीपुरदुआर और दार्जलिंग के
क्षेत्र हैं।
इनका कहना

भूकंप के विशिष्ट समय के बारे में कोई भविष्यवाणी नहीं की जा सकती है। इस मुद्दे पर दुनिया भर में अनुसंधान चल रहा है; इसलिए यह कहना मुश्किल है कि दुर्गापूजा से पहले बंगाल में भूकंप होगा या नहीं। लेकिन यह पता जरूर लगाया जा सकता है कि कौन से क्षेत्र भूकंप के प्रति संवेदनशील या अतिसंवेदनशील हैं। जीएसआई के पास फिलहाल ३० जीपीएस स्टेशन हैं जहां स्टैपिंग मैपिंग का निर्माण किया जा रहा है। यह एक सतत प्रक्रिया है, इसलिए हम अभी निष्कर्षों के बारे में ज्यादा कुछ नहीं कह पाएंगे। कोई भी भूकंप के लिए एक विशिष्ट समय नहीं बता सकता है। हम केवल संभावित क्षेत्रों का पता लगाने की कोशिश करते हैं, जहां यह हो सकता है। यदि कोई बड़ा भूकंप आता है, तो यह निश्चित रूप से पर्यावरण को बड़े पैमाने पर प्रभावित करेगा, लेकिन पर्यावरण परिवर्तन से भूकंप का होना संदिग्ध हैं

डॉ संदीप कुमार सोम, डीडीजी, जिओ-डायनेमिक्स डिवीजन, जीएसआई
क्या है जीपीएस मैपिंग का कार्य

ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) स्टेशन का मुख्य कार्य भूकंपीय खतरनाक क्षेत्रों की पहचान करना और मानचित्रण कर गतिविधियों को प्रकाशित करना है। जिसके आधार पर लोगों को सजग किया जा सकता है। अब तक देश में ३० जीपीएस स्टेशन स्थापित किए जा चुके हैं। कोलकाता, तिरुवनंतपुरम, जयपुर, पुणे, देहरादून, चेन्नई, जबलपुर, भुवनेश्वर, पटना, रायपुर, भोपाल, चंडीगढ़, गांधीनगर विशाखापत्तनम, अगरतला, ईटानगर, मंगन, जम्मू, लखनऊ, नागपुर, शिलॉन्ग और लिटिल अंडमान में जीपीएस स्टेशन स्थित हैं। जानकारी के मुताबिक,
नए १३ स्टेशन आइजोल, फरीदाबाद, उत्तरकाशी, पिथौरागढ़, कूचबिहार, ज़ावर, उत्तर अंडमान, मध्य अंडमान, दक्षिण अंडमान, रांची, मंगलौर, इम्फाल और चित्रदुर्ग में स्थापित होंगे।

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