इस्कॉन मायापुर के प्रवक्ता सुब्रत दास के अनुसार मान्यता है कि गोपाष्टमी के दिन ही श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को पुन: अपने स्थान पर ला रखा था। जिसे सात दिनों अपने बाएं हाथ के अंगुली से उठाए रखकर उन्होंने ब्रजवासियों की रक्षा की थी। वैष्णव धर्मानुसार गो का स्थान माता के समान होता है। विष्णु पुराण में कहा गया है कि श्री कृष्ण ने अपने हाथों से गो सेवा की थी। साथ ही यह आदेश दिया था कि गो सेवा करने से ही समाज का वास्तविक रूप से कल्याण सम्भव है।
इस्कॉन प्रतिष्ठाता श्रील भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपद के निर्देशानुसार विश्व 750 केन्द्रों में गौ रक्षा तथा गौ सेवा में भक्त कार्यरत हैं।
राधारानी के चरणें के दर्शन को उमड़ें है लोग
इस्कॉन मायपुर में भी साल में एक दिन गोपाष्टमी पर ही राधारानी के चरणों के दर्शन कराए जाते हैं। इस कारण हजारों भक्त, तीर्थ यात्री, बड़ी लंबी कतारों में लग कर दर्शन करते हंै। इस समय मायापुर में 8000 से अधिक भक्त भारतीय व 700 विदेशी भक्त दुनिया के कोने-कोने से आए हुए हैं।
गोशाला सजी फूलों से
गोपास्टमी उत्सव के लिए पूरे गोशाला को रंगीन फूलों से सजाया गया है। आयोजन के अंतर्गत नन्हे भक्त श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं पर नृत्य नाटिका प्रस्तुत करेंगे। गुरुकुल के छात्र तथा ब्राह्मण वेदों से मंत्र उच्चारण करेंगे, साथ ही महा हवन का भी आयोजन किया गया है। मायापुर की गोशाला में 300 से ज्यादा गोवंश की प्रतिदिन सेवा की जाती है। गोशाला के निदेशक अलय गोविन्द दास ने बताया कि निरंतर देश-विदेश से जाने माने वैज्ञानिक व डाक्टरों की टीम गोशाला में आते हैंं और कार्य को सुचारू रूप से चलाने में मदद करते हैं।