डॉ. गुप्ता ने कहा कि खनिज का पता लगाना और देश को स्थायित्व बुनियादी ढांचा मुहैया कराना लक्ष्य है। सीसा, तांबा और सोने के भंडार का पता लगाया जा रहा है। मंत्रालय ने जीएसआई को काम करने के लिए खुली छूट दे रखी है। राजस्थान, कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलांगना, ओडिशा और झारखण्ड सहित देश के 12 खनिज संपदा संपन्न राज्यों में हवाई सर्वे और हेलीबुन सर्वे करने के बाद रसायन परीक्षण कर खनिज के ब्लॉक का पता लगाता है। इन राज्यों में से कर्नाटक और राजस्थान के बांसवाड़ा, बुकिया में सोने का भंडार मिला। झारखण्ड में भी सोना उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि राजस्थान के चादमारी और कोलीहाल में तांबे का भंडार मिला है, लेकिन तांबे का सबसे बड़ा भंडरा झारखंण्ड में है।
देते है भूकंप और भूस्खलन की पूर्व चेतावनी
देते है भूकंप और भूस्खलन की पूर्व चेतावनी
खनिज पदार्थों का पता लगाने के साथ ही जीएसआई अर्सेनिक प्रभावित क्षेत्रों का पता लगाने के लिए अर्सेनिक फ्लोराइड मैपिंग, भूस्खलन और भूकंप क्षेत्रों का पता लगाने के लिए मैपिंग करता है। इसके अलावा यह भूकंप और भूस्खलन होने से पहले सरकार को पूर्व चेतावनी देते हैं। उन्होंने बताया कि देश में कुल 4.71 लाख किलो मीटर क्षेत्र भूस्खलन का खतरा है। बंगाल में दार्जिलिंग भूस्खलन और न्यूटाउन राजारहाट भूकंप प्रोन क्षेत्र है। जीएसआई ने गुजरात के सभी भूकंप प्रोन क्षेत्र की मैपिंग कर ली है।
चलाएगा प्रशिक्षण केन्द्र डॉ. गुप्ता ने बताया कि जीएसआई भू वैज्ञानिक सर्वेक्षण प्रशिक्षण केन्द्र चलाएगा। प्रशिक्षण केन्द्र हैदराबाद में स्थापित होगा और आईआईटी हैदराबाद से मिल कर सरकारी और निजी संस्थानों के कर्मियों के साथ दूसरे देशों के प्रशिक्षुओं को प्रशिक्षण देगा। यह इस क्षेत्र में पीएचडी की डिग्री भी देगा।
भारत में होगी विश्व भू-वैज्ञानिक कांग्रेस
भारत में होगी विश्व भू-वैज्ञानिक कांग्रेस
जीएसआई के महानिदेशक गुप्ता ने बताया कि वर्ष 2020 में प्रस्तावित अंतरराष्ट्रीय भू-वैज्ञानिक कांग्रेस का मेजबान भारत होगा। यह सम्मेलन दिल्ली में होगा और इसमें विभिन्न देश के 500 से अधिक भू-वैज्ञानिक हिस्सा लेंगे।