CORONA ALERT IN BENGAL_ कोरोना के कारण रद्द हुई हनुमान जयंती की शोभायात्रा
कोलकाताPublished: Apr 08, 2020 03:36:38 pm
cCORONA ALERT IN BENGAL: Hanuman Jayanti’s procession canceled due to Corona, 100 साल पुराने मन्दिर की ओर से 15 सालों से किया जा रहा था शोभायात्रा का आयोजन, निराश हुए हनुमान भक्त
CORONA ALERT IN BENGAL_ कोरोना के कारण रद्द हुई हनुमान जयंती की शोभायात्रा
कोलकाता . कोरोनावायरस के कहर व लाकङाऊन के कारण गत 15 वषों से हर साल हनुमान जयन्ती पर निकल रही शोभायात्रा इस बार रद्द कर दी गई है। इसके कारण हनुमान भक्तो के चेहरे पर मायूसी छाई हुई है । बड़ाबाजार के लगभग 100 वर्ष पुराने जबरेश्वर हनुमान मंदिर की ओर से आयोजित शोभायात्रा का कार्यक्रम इस बार कोरोना के कारण रद्द कर दिया गया है। मंदिर के राकेश पुजारी ने पत्रिका से खास बातचीत मे मंगलवार को इसकी पुष्टि कर दी। उन्होने बताया कि भक्तों की ओर से पिछले 15सालों से आयोजित इस शोभायात्रा का कार्यक्रम कोरोना वायरस के कारण रद्द कर दिया गया है और सिर्फ शोभायात्रा ही नहीं हनुमान जयंती से जुड़े कई कार्यक्रमों में भी बदलाव किया गया है। इस वजह से श्रद्धालु निराश हैं। पुजारी ने पत्रिका संवाददाता को इस मंदिर के विषय में विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि मंदिर में स्थित बाबा की मूर्ति पर प्रति वर्ष 4 भरी सोने की बर्क चढ़ाई जाती है जो राजस्थान के सालासर से बन कर आती है। परन्तु इस वर्ष ऐसा नहीं होगा क्योंकि लॉकडाउन की वजह से बर्क बनाने वाले कारखाने बंद है। इसलिए इस साल बाबा केवल सिंदूरी रूप में ही रहेंगे। बैसाख महीने की एकादशी के दिन सिंदूर का चोला चढ़ाने के अगले चार पांच दिनों बाद मूर्ति पर सोने की बर्क लगाई जाती है तथा जयंती के दिन जब बाबा वापस वस्त्र धारण करते है तब वह मुखौटा उन्हें पुनः लगा दिया जाता है जो वर्ष भर रहता है। तथा अगले वर्ष फाल्गुन की पूर्णिमा को हटाया जाता है । इस प्रकार इस एक महीने में बाबा के चार प्रकार के दर्शन होते है। उन्होने बताया कि समय समय-समय पर भक्तों द्वारा बाबा का फल, चॉकलेट, मिठाई, आदि से श्रृंगार किया जाता है जिसे बाद में श्रद्धालुओं में वितरित कर दिया जाता है। उल्लेखनीय है कि अभी हाल ही 1.70 लाख के नोटों से बाबा का मनोरम श्रृंगार किया गया था जो चर्चा का विषय बना। पुजारी ने बताया कि उनके परदादा ने इस मंदिर में सेवा प्रारम्भ की थी। कम उम्र में देहांत के बाद उनके दादा ओमप्रकाश पुजारी ने 14 वर्ष की आयु से 60 वर्ष की आयु तक मंदिर में सेवा की जिनकी तस्वीर भक्तों द्वारा मंदिर प्रांगण में लगाई गई है। उत्तराधिकारी के रूप में सुरेश पुजारी, नरेश पुजारी, लालजी पुजारी, अमित पुजारी ने मंदिर सेवा का दायित्व संभाला। राकेश पुजारी और पिंटू पुजारी चौथी पीढ़ी के सदस्य है।