—जूट हब के रूप में मशहूर है हुगली पश्चिम बंगाल की औद्योगिक नगरी और जूट हब के रूप में मशहूर हुगली बंगाल की अहम सीट में से एक है। इन क्षेत्रों में अधिकांश लोगों की मातृभाषा या तो बंगाली या हिंदी है। पर्यटन-खेती व व्यवसाय के अलावा जूट मिल आय का मुख्य जरिया है। श्रीरामपुर विधानसभा क्षेत्र में बसने वाले लगभग 25 फीसदी हिंदी भाषा-भाषी मतदाता किसी भी उम्मीदवार की जीत और हार में निर्णायक भूमिका निभाते हैं।
–—ये बोले मतदाता
रिसड़ा के हिंदी भाषी कॉलेज छात्र अजीत मिश्रा ने सवालों के जवाब में बताया कि युवाओं के पास रोजगार नहीं है। केवल चुनाव के समय नेताओं को मतदाता याद आते हैं। पिछले ४० साल से रिसड़ा में रह रहे जौनपुर निवासी राकेश पांडेय और बलिया निवासी दयाशंकर गुप्ता ने हालांकि वर्तमान सांसद कल्याण के कार्यकाल में हुए विकास कार्यों की सराहना की। उन्होंने कहा, जितना कल्याण ने काम किया, अगर उनको वोट नहीं दिया तो ये नाइंसाफी होगी। रिसड़ा के वार्ड 29 के पार्षद राजेश सिंह के पिता वीरेंद्र सिंह (७९) ने कहा कि इलाके के लिए वर्तमान सांसद ने काफी कुछ किया। सडक़ से लेकर एबुलेंस तक। आम लोगों को सडक़, बिजली, पानी के अलावा स्वास्थ्य और शिक्षा के स्तर को भी ऊंचा उठाने में सांसद निधि कोष से हर मुमकिन विकास कार्यों को अंजाम दिया है।
—क्षेत्र की प्रमुख समस्याएं
जूट मिलों के श्रमिकों की बदहाल दशा। पिछले कई महीनों से बंद इंडिया जूट मिल यहां के लोगों की बेरोजगारी की कहानी बयां कर रही है। हालांकि इस हफ्ते सरकार की मध्यस्थता से हेस्टिंग्स जूट मिल को खोल दिया गया, लेकिन इंडिया जूट मिल में तालाबंदी अभी तक खत्म नहीं हुई। इसके अलावा इस इलाके अंतर्गत रेलवे लेवल क्रॉसिंग पर भारी भरकम वाहनों की आवाजाही, जाम भी समस्या बनी है। यहां लगातार निर्माण हो रहे धड़ल्ले से बहुमंजिला इमारतें भी पर्यावरण संतुलन के लिए खतरा बनी हैं।