कोलकाता

हुगली में निर्णायक होंगे हिन्दी भाषी

जिले के तीनों लोकसभा क्षेत्रों में गैर-बांग्ला भाषी मतदाता 50 फीसदी के आसपास—-पुलवामा हमले और सर्जिकल स्ट्राइक के बाद देश में उठी लहर को भुनाने की कोशिश में भाजपा—-अपनी-अपनी जीत के प्रति आश्वस्त तीनों वर्तमान सांसद

कोलकाताApr 02, 2019 / 10:34 pm

Shishir Sharan Rahi

हुगली में निर्णायक होंगे हिन्दी भाषी

 
 

कोलकाता/हुगली (शिशिर शरण राही). 17वें लोकसभा चुनाव के लिए पश्चिम बंगाल के हुगली जिले की 3 संसदीय सीटों पर 6 मई को होने वाले चुनाव में इस बार हिंदी भाषा-भाषी मतदाता निर्णायक साबित होंगे। हुगली, श्रीरामपुर और आरामबाग संसदीय क्षेत्र में बरसों से निवारसत हिंदी भाषी मतदाता इस बार के चुनाव में किसे समर्थन करेंगे और किसे नहीं? इसके बारे में फिलहाल स्थिति स्पष्ट नहीं है, लेकिन इस बार जो भी सांसद होगा, उनकी जीत में सबसे अहम हिंदी भाषी मतदाताओं की भूमिका होगी, जिनकी तादाद इन तीनों क्षेत्रों में लगभग 50 फीसदी के आसपास है। हुगली लोकसभा सीट से इस बार चुनावी समर में तृणमूल कांग्रेस की वर्तमान सांसद डॉ. रत्ना दे, श्रीरामपुर से कल्याण बनर्जी (तृणमूल कांग्रेस के वर्तमान सांसद) और आरामबाग से अपरूपा पोद्दार (तृणमूल कांग्रेस की वर्तमान सांसद) हैं। तीनों अपनी-अपनी जीत के प्रति आश्वस्त हैं, पर भाजपा की ओर से तीनों क्षेत्रों में भी इन्हें चुनौती मिल रही है इससे इनकार नहीं किया जा सकता। पत्रिका संवाददाता ने जब हुगली जिले के विभिन्न स्थानों की पड़ताल कर हर वर्ग के मतदाताओं से सवाल-जवाब किया, तो ये चौंकाने वाले रूझान मिले। श्रीरामपुर में सबसे ज्यादा हिंदी भाषा-भाषी मतदाताओं की संख्या 25 प्रतिशत, हुगली में 18और आरामबाग में 5 फीसदी है। यहां मतदाताओं की राय लेने के दौरान यह बात भी उभर कर सामने आई कि इस बार इन स्थानों में बदलाव की बयार भी बह रही है। भाजपा इन क्षेत्रों में पुलवामा हमले और सर्जिकल स्ट्राइक के बाद देशवासियों के दिलो–दिमाग में उठी देशभक्ति और राष्ट्रीय स्वाभिमान की लहर को भुनाने और अपने वोट बैंक में तब्दील करने की कोशिश में सक्रिय रूप से जुट गई है। श्रीरामपुर में इस बार मुख्य मुकाबला तृणमूल के 2 बार के विजयी सांसद कल्याण बनर्जी और भाजपा उम्मीदवार पेशेवर वकील देवजीत सरकार के बीच है। श्रीरामपुर और आरामबाग में हालांकि वर्तमान सांसद के कार्यों से कुछ मतदाता खुश नजर आए, तो वहीं कुछ ने कहा कि उनका इस बार परिवर्तन करने का मूड है। हुगली में वर्तमान सांसद रत्ना को भाजपा की लॉकेट चटर्जी कड़ी टक्कर दे रही हैं। यहां इस बार बदलाव के आसार हैं, जबकि आरामबाग में अपरूपा पोद्दार सहज स्थिति में और जीत के प्रति आश्वत। सभी पार्टियां हिन्दी भाषी वोटरों पर डोरे डाल रही हैं।
—जूट हब के रूप में मशहूर है हुगली

पश्चिम बंगाल की औद्योगिक नगरी और जूट हब के रूप में मशहूर हुगली बंगाल की अहम सीट में से एक है। इन क्षेत्रों में अधिकांश लोगों की मातृभाषा या तो बंगाली या हिंदी है। पर्यटन-खेती व व्यवसाय के अलावा जूट मिल आय का मुख्य जरिया है। श्रीरामपुर विधानसभा क्षेत्र में बसने वाले लगभग 25 फीसदी हिंदी भाषा-भाषी मतदाता किसी भी उम्मीदवार की जीत और हार में निर्णायक भूमिका निभाते हैं।
—ये बोले मतदाता
रिसड़ा के हिंदी भाषी कॉलेज छात्र अजीत मिश्रा ने सवालों के जवाब में बताया कि युवाओं के पास रोजगार नहीं है। केवल चुनाव के समय नेताओं को मतदाता याद आते हैं। पिछले ४० साल से रिसड़ा में रह रहे जौनपुर निवासी राकेश पांडेय और बलिया निवासी दयाशंकर गुप्ता ने हालांकि वर्तमान सांसद कल्याण के कार्यकाल में हुए विकास कार्यों की सराहना की। उन्होंने कहा, जितना कल्याण ने काम किया, अगर उनको वोट नहीं दिया तो ये नाइंसाफी होगी। रिसड़ा के वार्ड 29 के पार्षद राजेश सिंह के पिता वीरेंद्र सिंह (७९) ने कहा कि इलाके के लिए वर्तमान सांसद ने काफी कुछ किया। सडक़ से लेकर एबुलेंस तक। आम लोगों को सडक़, बिजली, पानी के अलावा स्वास्थ्य और शिक्षा के स्तर को भी ऊंचा उठाने में सांसद निधि कोष से हर मुमकिन विकास कार्यों को अंजाम दिया है।
—क्षेत्र की प्रमुख समस्याएं
जूट मिलों के श्रमिकों की बदहाल दशा। पिछले कई महीनों से बंद इंडिया जूट मिल यहां के लोगों की बेरोजगारी की कहानी बयां कर रही है। हालांकि इस हफ्ते सरकार की मध्यस्थता से हेस्टिंग्स जूट मिल को खोल दिया गया, लेकिन इंडिया जूट मिल में तालाबंदी अभी तक खत्म नहीं हुई। इसके अलावा इस इलाके अंतर्गत रेलवे लेवल क्रॉसिंग पर भारी भरकम वाहनों की आवाजाही, जाम भी समस्या बनी है। यहां लगातार निर्माण हो रहे धड़ल्ले से बहुमंजिला इमारतें भी पर्यावरण संतुलन के लिए खतरा बनी हैं।
 
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