याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायधीश एके सिकरी और अशोक भूषण की खण्ड पीठ ने राज्य सरकार के वकील कपिल सिब्बल से पूछा कि संघीय व्यवस्था के अंतर्गत कोई भी राज्य सरकार, केन्द्र सरकार की ओर से संसद में बहुमत से पारित किए गए कानून को कैसे चुनौती दे सकती है। जवाब में सिब्बल ने पीठ को बताया कि आदेश को पश्चिम बंगाल सरकार के श्रम विभाग ने चुनौती दी है। उन्हें विभिन्न सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के तहत रियायत देनी पड़ती है। इस पर खण्ड पीठ ने सिब्बल से कहा कि आप अपने जवाब से हमें संतुष्ट कीजिए कि राज्य सरकार कैसे संसद में पूर्ण बहुमत से पारित केन्द्रीय कानून को चुनौती दे सकती है। हां अगर कोई व्यक्ति चाहे तो वह चुनौती दे सकता है।
अगर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को आधार लिंक कराने पर आपत्ति है तो वे व्यक्तिगत तौर पर उक्त कानून को कोर्ट में चुनौती दें। हम उनकी याचिका की सुनवाई करेंगे।
क्या कहा था ममता ने
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 25 अक्टूबर को तृणमूल कांग्रेस की कोर कमेटी की बैठक में कहा था कि केन्द्र सरकार मोबाइल कनेक्शन, बैंक खातों से आधार का लिंक करने का आदेश देकर देश के नागरिकों की निजता के अधिकार में हस्तक्षेप कर रही है। मोबाइल से आधार नंबर लिंक करने के बाद आप क्या खाते हैं और पति-पत्नी आपस में क्या बात करते हैं, सब कुछ जाना जा सकेगा। इस लिए वे अपने मोबाइल को आधार से लिंक नहीं कराएंगी। चाहे उनके मोबाइल का कनेक्शन ही क्यों न काट दिया जाए। (कासं)
हमारी याचिका खारिज नहीं : ममता
सुप्रीम कोर्ट ने आधार को बाध्य करने के खिलाफ उनकी सरकार की याचिका को खारिज नहीं किया है। सर्वोच्च न्यायालय ने जो निर्देश दिए हैं वे उसका पालन करेंगी। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार ही तृणमूल कांग्रेस के जन प्रतिनिधियों और नेताओं ने व्यक्तिगत तौर पर आधार को अनिवार्य करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। ममता बनर्जी, मुख्यमंत्री पश्चिम बंगाल
ममता कर रही सरकारी पैसे पर राजनीति
सुप्रीम कोर्ट से राज्य सरकार को मिले झटके के बाद प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने ममता बनर्जी पर सरकारी पैसे से राजनीति करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी हर बात में राजनीति करती हैं। वे सरकारी पैसे पर अपने लोगों को बचाने और अपने फायदे की राजनीति कर रही हैं। सबको मालूम है कि राज्य सरकार, केन्द्र के पारित कानून को कोर्ट में चुनौती नहीं दे सकती। फिर भी उन्होंने राज्य सरकार की ओर से केन्द्रीय कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में मामला दायर किया। यह परंपरा खतरनाक है। इस पर रोक लगनी चाहिए।