scriptदुरुस्त हो रही ओजोन परत | iit kg research report | Patrika News
कोलकाता

दुरुस्त हो रही ओजोन परत

आईआईटी खडग़पुर ने अंटार्कटिका पर अपने रिसर्च में की पुष्टि—1979 से 2017 के आंकड़ों का अध्ययन—2001 से 2017 तक ओजोन परत में नुकसान स्तर हुआ कम—सूर्य से आने वाली हानिकारक अल्ट्रा-वॉयलेट किरणों को रोकती है ओजोन परत

कोलकाताDec 01, 2018 / 09:58 pm

Shishir Sharan Rahi

kolkata

दुरुस्त हो रही ओजोन परत

कोलकाता/खडग़पुर. सूर्य की हानिकारक अल्ट्रा-वॉयलेट (पराबैंगनी) रेडिएशन से बचाने वाली ओजोन परत में सकारात्मक बदलाव देखने को मिला है और यह धीरे-धीरे खुद को रिपेयर कर रही है। दुनिया के आधे उत्तरी हिस्से में ओजोन की परत 2030 तक खुद को रिपेयर कर लेगी। अंटार्कटिका पर ओजोन परत सबसे ज्यादा खतरनाक स्थिति में थी, जिसमें सुधार हुआ है। आईआईटी खडग़पुर ने अंटार्कटिका पर अपने हाल के रिसर्च में इसकी पुष्टि करते हुए कहा है कि ओजोन परत दुरुस्त हो रही है और अंटार्कटिक में ओजोन का क्षरण कम हो रहा है। आईआईटी, खडग़पुर की ओर से शुक्रवार को जारी बयान में इसकी पुष्टि की गई। रिपोर्ट के मुताबिक, शोधकर्ताओं ने 1979 से 2017 तक के आंकड़ों का अध्ययन किया, जिसमें पता चला कि अंटार्कटिका पर मौजूद ओजोन परत 1987 में सबसे ज्यादा खतरनान स्तर पर था। 2001 से 2017 तक परत में नुकसान का स्तर कम हुआ। रिसर्च के मुताबिक परिणामों में अलग-अलग मौसम का डाटा शामिल किया गया। आईआईटी, खडग़पुर के मुताबिक नासा वैज्ञानिक पॉल न्यूमैन ने कहा था कि अगर ओजोन लेयर को नुकसान पहुंचाने वाले तत्व बढ़ते रहे तो खतरनाक नतीजे होंगे। आईआईटी खडग़पुर के महासागर, नदी, वायुमंडल और भूमि विज्ञान (कोरल) केंद्र के शोध दल ने 1979 से 2017 तक के आंकड़े जुटाने के बाद यह दावा किया। आंकड़ों के अनुसार 1987 से अंटार्कटिक के ऊपर ओजोन परत का क्षरण हो रहा था, लेकिन 2001 से 2017 के बीच 12 से 21 किलोमीटर पट्टी में यह काफी कम हो गया। आईआईटी खडग़पुर के प्रोफेसर जयनारायण कुट्टीपूरथ ने बताया कि 4 दशकों के ओजोन परत की कमी का अध्ययन 1988 और 2002 की सर्दियों को छोडक़र प्रत्येक वर्ष इस दौरान कियास गया। कुट्टीपूरथ ने बताया कि पिछले 4 दशकों में देखा गया कि हर साल सर्दियों में ही ओजोन परत का क्षरण चरम पर होता है। 1988 और 2002 की सर्दियों में ऐसा नहीं हुआ। 2001 से 2017 की अवधि में ओजोन क्षरण में कमी दर्शाता है। उन्होंने कहा कि यह ओजोन परत की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा।
—अमेरिका की नेचर मैगजीन ने किया रिसर्च प्रकाशित

कुट्टीपूरथ ने आईआईटी खडग़पुर कोरल टीम के पंकज कुमार, प्रजीता जे. नायर व पीसी पांडे के साथ रिसर्च किया। अमेरिका की नेचर मैगजीन की ओर से जनरल एनपीजे क्लाइमेट एंड एटमोसफेयरिक साइंस में इस रिसर्च को प्रकाशित किया गया। भारतीय स्टेशन मैत्री से अंटार्कटिक स्टेशनों के लिए डाटा एकत्र किया गया।
—क्या है ओजोन परत?
ओजोन परत धरती से 7-25 मील ऊपर स्थित है। यह पृथ्वी पर सूर्य से आने वाली हानिकारक अल्ट्रा-वॉयलेट किरणों को रोकने का काम करती है जो स्किन कैंसर, मोतियाबिंद का कारण बनने के साथ रोगों से लडऩे की शाररिक क्षमता और पौधों को नुकसान पहुंचाती हैं। वायुमंडल की ऊपरी सतह पर बनी ओजोन परत को अच्छा माना जाता है। इस परत में ओजोन गैस की सघनता अधिक होती है, जिसे ओ3 कहते हैं। जीवन के लिए ओजोन परत बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह सूर्य की उच्च आवृत्ति की अल्ट्रा-वॉयलेट की अधिकतम मात्रा अवशोषित करती है, जो पृथ्वी पर जीव-जंतुओं के लिए खतरनान है।

Home / Kolkata / दुरुस्त हो रही ओजोन परत

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो