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ग्लोबल एन्ट्रेप्रेनरशिप समिट 1 से 3 फरवरी तक

locationकोलकाताPublished: Dec 08, 2018 10:10:02 pm

Submitted by:

Shishir Sharan Rahi

आईआईटी खडग़पुर एन्ट्रेप्रेनरशिप सेल का आयोजन-रजिस्ट्रेशन 20 दिसंबर तक

kolkata

ग्लोबल एन्ट्रेप्रेनरशिप समिट 1 से 3 फरवरी तक

कोलकाता/खडग़पुर. आईआईटी खडग़पुर के एन्ट्रेप्रेनरशिप सेल की ओर से 1 से 3 फरवरी तक ग्लोबल एन्ट्रेप्रेेनरशिप समिट (जीईएस) का आयोजन होगा। यह समिट आधुनिक एन्ट्रेप्रेेन्योर्स के साथ-साथ समिट बिजनेस पर्सनलिटीज, कॉलेज छात्रों और स्टार्टअप्स के लिए अपने उद्यमी प्रयासों, अनुभवों को साझा करने के लिए उपयुक्त मंच है। यह भारत में एन्ट्रेप्रेेनरशिप को नई ऊंचाइयां देने के लिए प्रतिबद्ध है। ग्लोबल एन्ट्रेप्रेेनरशिप समिट (जीईएस) की विशेषता हमेशा से उसके स्पीकर्स की गुणवत्ता रही है। गुगल के वर्तमान सीईओ सुंदर पिचाई, रजत शर्मा (संस्थापक-इंडिया टीवी), पूर्व कैबिनेट सचिव बीके चतुर्वेदी, नौकरी डॉट कॉम के संस्थापक संजीव बिखचंदानी आदि ने इस शिखर सम्मेलन के पिछले संस्करणों की शोभा बढ़ाई है। हमेशा की तरह इस बार भी उद्यमी दक्षता के निर्माण पर केंद्रित कार्यशाला होगी। सैमसंग, माइक्रोसॉफ्ट, आईबीएम, फ्लिपकार्ट, अमेजन जैसी प्रतिष्ठित कॉर्पोरेट कंपनियां ग्लोबल एन्ट्रेप्रेेनरशिप समिट (जीईएस) में शिरकत कर चुकी है। ग्लोबल एन्ट्रेप्रेेनरशिप समिट (जीईएस) दुनिया में उद्यमिता को प्रचारित करने के लिए आयोजित हबोने वाला सम्मेलन है। इसके लिए अर्ली बर्ड रजिस्ट्रेशन शुरू हो चुका है और इसकी अंतिम तारीख 20 दिसंबर है। इस सम्मेलन के बाद कनेक्ट द डॉटस होगा, जो देश की सभी एन्ट्रेप्रेेनरशिप बॉडीज को एक साथ जोड़ेगा। स्टार्टअप कैंप का मकसद इसके लिए जीईएस के प्रतिभागियों में से बेहतरीन प्रतिभाओं को इंटर्नशिप/जॉब्स का सुझाव देना है। साथ ही उन स्टार्टअप्स को भारत में मौजूदा बड़े-बड़े वेंचर कैपिटलिस्टस और एंजेल इन्वेस्टर्स से मिलने का अवसर प्रदान करना है। एंटरप्रेनरशिप सेल, आईआईटी खडग़पुर में कॉलेज के छात्रों के बीच उद्यमिता की भावना को बढ़ावा देने के उद्देश्य से स्थापित एक गैर-लाभकारी छात्र संगठन है। एंटरप्रेनरशिप सेल, आईआईटी खडग़पुर को लॉन्च फ्लैगशिप कार्यक्रम स्थानीय स्टार्टअप मीट (एलएसएम) पेश किया गया है।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) खडग़पुर भारत सरकार द्बारा 1951 में स्थापित इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी उन्मुख एक स्वायत्त उच्च शिक्षा संस्थान है। देश के 7 आईआईटी में आईआईटी खडग़पुर सबसे पुरानी है। भारत सरकार ने इसे आधिकारिक तौर पर राष्ट्रीय महत्त्व का संस्थान माना है और इसकी गणना भारत के सर्वोत्तम इंजीनियरिंग संस्थानों में होती है। आईआईटी खडग़पुर को विभिन्न इंजीनियरिंग शिक्षा सर्वेक्षणों जैसे इंडिया टुडे और आउटलुक में सर्वोच्च इंजीनियरिंग कॉलेजों में एक का स्थान दिया गया है। 1947 में भारत की स्वाधीनता के बाद आईआईटी खडग़पुर की स्थापना उच्च कोटि के वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को प्रक्षिशित करने के लिए हुई थी। आईआईटी खडग़पुर के छात्रों को अनौपचारिक तौर पर केजीपिअन् कहा जाता है। इसका कैम्पस क्षेत्रफल सबसे ज्यादा 2100 एकड़ है और विभाग और छात्रों की संख्या भी सर्वाधिक है। आईआईटी खडग़पुर, इल्लुमिनेशन, रंगोली, क्षितिज और स्प्रिन्ग्फेस्ट जैसे अपने वार्षिक उत्सवों के कारण जाना जाता है।
—इतिहास
आईआईटी खडग़पुर का मुख्य भवन भारत में युद्धोपरांत औद्योगिक विकास के लिए उच्चतर तकनीकी संस्थानों की स्थापना के लिए 2 भारतीय शिक्षाविदों हुमायूं कबीर और जोगेंद्र सिंह ने 1946 में तत्कालीन पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री विधान चन्द्र रॉय की मदद से एक कमेटी का गठन किया। इसके बाद नलिनी रंजन सरकार की अगुवाई में 22 सदस्यीय कमेटी बनी। अंतरिम रिपोर्ट में कमेटी में देश के विभिन्न भागों में मैसाचुसेट्स प्रौद्योगिकी संस्थान की तर्ज़ पर सम्बद्ध दूसरे दर्जे के संस्थानों के साथ उच्चतर तकनीकी संस्थानों की स्थापना का प्रस्ताव रखा। रिपोर्ट में देश के 4 भागों में प्रमुख संस्थानों की जल्द स्थापना के लिए कार्य आरंभ करने पर जोर दिया गया, साथ ही यह भी कहा गया कि पूर्व और पश्चिम में संस्थानों की स्थापना अतिशीघ्र होनी चाहिए। बंगाल में उद्योगों के सर्वाधिक केन्द्रीकरण की दलील देते हुए रॉय ने प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को इस बात के लिए राज़ी कर लिया कि पहले संस्थान की स्थापना बंगाल में ही हो। इस प्रकार पहले भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कि स्थापना मई 1950 में हुई। आरम्भ में संस्थान कोलकाता के पूर्वी एस्प्लेनेड में स्थित था और सितमबर 1950 में अपने स्थायी कैम्पस कोलकाता से 120 किमी दक्षिण-पूर्व हिजली, खडग़पुर में स्थापित किया गया। जब अगस्त 1951 में पहला सत्र आरम्भ हुआ, तब संस्थान में 224 छात्र और 10 विभागों में 42 शिक्षक थे। सारी कक्षाएं, प्रयोगशालाएं और प्रशासनिक कार्यालय ऐतिहासिक हिजली कारावास शिविर (अभी शहीद भवन के नाम से जाना जाने वाला) में स्थित थे जहां अंग्रेजी शासन काल में राजनितिक क्रांतिकारिओं को बंदी बना कर रखा जाता था और दंड दिया जाता था।
15 सितम्बर 1956 को भारतीय संसद ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (खडग़पुर) अधिनियम पारित कर दिया जिसके तहत संस्थान को राष्ट्रीय महत्व के संस्थान का दर्जा मिला। 1956 में प्रधानमंत्री नेहरु ने संस्थान के पहले दीक्षांत अभिभाषण को संबोधित किया था।
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