महानगर में अवैध निर्माण की बाढ़
कोलकाताPublished: Nov 17, 2018 11:16:55 pm
– पार्क सर्कस, ब्राइट स्ट्रीट, करेया, टेंगरा, तपसिया, तिलजला में जगह-जगह अवैध निर्माण-
महानगर में अवैध निर्माण की बाढ़
कोलकाता नगर निगम की भूमिका पर उठ रहे सवाल कोलकाता. कोलकाता के विभिन्न इलाकों में अवैध निर्माण की बाढ़ सी आ गई है। बिना नक्शे के भवनों का निर्माण तेजी से हो रहा है। पुलिस, राजनेता और प्रमोटरों में सांठगांठ के चलते महानगर के पार्क सर्कस, ब्राइट स्ट्रीट, करेया, टेंगरा, तपसिया, तिलजला में जगह-जगह अवैध निर्माण देखा जा सकता है। हाल ही में तिलजला में बना एक भवन अचानक झुक गया, जांच में पता चला कि इसे अवैध तरीके से बनाया गया था। इलाके में कई और अवैध निर्माण का पता चला है। स्थानीय प्रमोटर व सिंडिकेट की मदद से महानगर में अवैध निर्माण हो रहा है। खिदिरपुर, काशीपुर, बड़ाबाजार में भी अवैध निर्माण की कमी नहीं है। इससे कहीं न कहीं कोलकाता नगर निगम की भूमिका को लेकर भी सवाल उठने लगे हैं। हालांकि निगम ने दावा किया कि इस साल मानसून के समापन तक महानगर में करीब ५० अवैध मकान तोड़े गए। निगम रोजाना दो-तीन अवैध निर्माण पर हथौड़ा चला रहा है। भवन विभाग के निरीक्षकों को वार्ड वार अवैध निर्माण की सूची बनाने को कहा गया है। निगम सूत्रों के मुताबिक कम से कम १०० अवैध निर्माण का पता चला है। निगम के एक अधिकारी ने बताया कि सुरक्षा के अभाव में भी अवैध निर्माण के खिलाफ अभियान धीमा पड़ जाता है। तिलजला, पार्क सर्कस, खिदिरपुर आदि जैसे इलाकों में अवैध निर्माण तोडऩे जाने पर स्थानीय लोगों के भारी विरोध का सामना करना पड़ता है। उन्होंने बताया कि निगम की ओर से नोटिस भी भेजा जाता है। पिछले दिनों कोलकाता के न्यू मार्केट थाना क्षेत्र के वार्ड नं. ६३ अंतर्गत ३०,फ्री स्कूल स्ट्रीट इलाके में अवैध निर्माण कार्य पर रोक लगा दी है। दूसरी तरफ विपक्ष का कहना है कि सत्ता पक्ष के संलिप्त होने से अवैध निर्माण धड़ल्ले से हो रहा है। ज्यादातर अवैध निर्माण में स्थानीय नेताओं की मिलीभगत रहती है। इनका कहना है अवैध निर्माण को लेकर निगम का रवैया ढुलमुल है। बड़ाबाजार में रंगाई-पुताई होने पर भी निगम कर्मी अवैध निर्माण कहकर कार्रवाई करने को तत्पर रहते हैं, जबकि महानगर के कई इलाकों में अवैध तरीके से बहुमंजिला इमारतें तैयार हो जाती हैं, लेकिन निगम का अमला कोई कदम नहीं उठाता है। अवैध निर्माण के पीछ सत्ताधारी दल के नेताओं व पार्षदों का हाथ है।सुनिता झंवर, पार्षद, भाजपा