scriptजगद्धात्री पूजा पर भी कोविड-19 का असर | Impact of Kovid-19 on Jagadhatri Puja also | Patrika News

जगद्धात्री पूजा पर भी कोविड-19 का असर

locationकोलकाताPublished: Nov 24, 2020 05:19:01 pm

Submitted by:

Rajendra Vyas

पूजा पंडालों में दर्शनार्थियों को प्रवेश की अनुमति नहीं, दुर्गा पूजा की तरह ही होगा सरकारी दिशा निर्देश

शिशिर शरण राही
कोलकाता. इस साल वैश्विक महामारी कोरोना वायरस काल में गुजरे अन्य पर्व-त्योहारों की ही तरह अब पश्चिम बंगाल की लोकप्रिय जगद्धात्री पूजा पर भी कोविड-19 का ग्रहण लगा। पश्चिम बंगाल के चन्दननगर और आसपास के क्षेत्रों में जगद्धात्री पूजा धूमधाम से की जाती है। पर कलकत्ता हाईकोर्ट के जारी दिशा-निर्देशों के तहत ही हुगली के चंदननगर में जगद्धात्री पूजा का आयोजन हुआ। चंदननगर की जगद्धात्री पूजा में भी दर्शनार्थियों को पंडालों में प्रवेश की अनुमति नहीं है। पूजा पंडालों में दर्शनार्थियों को प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी। चंदननगर पुलिस कमिश्नरेट और केंद्रीय जगद्धात्री पूजा कमेटी के पदाधिकारियों ने संयुक्त रूप से यह निर्णय लिया। पूजा पंडालों से 10 मीटर पहले बैरिकेड लगा दिया जाएगा। चंदननगर की 116 जगद्धात्री पूजा कमेटियों ने प्रतिमा की ऊंचाई सामान्य रखने पर जोर दिया है। 33 पूजा कमेटियों ने प्रतिमा की जगह इस बार कलश स्थापित कर पूजा करने का निर्णय लिया है। अपनी आलोक सज्जा के लिए देश-दुनिया में चंदननगर की जगद्धात्री पूजा मशहूर है। चंदननगर में जगद्धात्री प्रतिमाएं बहुत ऊंची होती हैं। स्थानीय निवासियों का कहना है कि विशालकाय प्रतिमाएं होने के कारण 10 मीटर दूर से भी अच्छे से अवलोकन किया जा सकेगा। इतना ही नहीं पूजा के बाद विसर्जन के दौरान भी ताम-झाम देखने को नहीं मिलेगा। चंदननगर में जगद्धात्री प्रतिमा विसर्जन किसी कार्निवल से कम नहीं होता।
जगद्धात्री मतलब-जगत की रक्षिका: जगद्धात्री शब्द जगत् और धात्री से बना है जिसका शाब्दिक अर्थ है जगत की रक्षिका। यह दुर्गा का एक रूप सिंहवाहिनी चतुर्भुजा, त्रिनेत्रा एवं रक्तांबरा है। धार्मिक ग्रंथों में हिंदू धर्म में दुर्गा के रूप की पूजा का आरंभ अज्ञात है। शक्तिसंगमतंत्र, उत्तर कामाख्यातंत्र, भविष्यपुराण स्मृतिसंग्रह और दुर्गाकल्प आदि ग्रंथों में जगद्धात्री पूजा का उल्लेख मिलता है। केनोपनिषद में हेमवती का वर्णन जगद्धात्री के रूप में प्राप्त है। कार्तिक शुक्ल पक्ष नवमी को इसकी पूजा का विधान है। जगद्धात्री पूजा विशेष रूप से पश्चिम बंगाल और ओडिशा में समान रूप से उमंग-उत्साह के साथ मनाया जाता है। कार्तिक माह में अक्षय नवमी पर यह मनाई जाती है। जगद्धात्री पूजा विशेष रूप से पश्चिम बंगाल जगद्धात्री पूजा का उत्सव किसने शुरू किया? इस पर कई मत हैं।
राजा कृष्णचंद्र ने की थी पूजा की शुरुआत: मान्यताओं के अनुसार इस पूजा की शुरुआत सबसे पहले पश्चिम बंगाल के नदिया के कृष्णनगर के राजा कृष्णचंद्र ने की थी। ऐसा माना जाता है कि राजा को नवाब सिराज-उद-दउल्ला ने इस दौरान कर का भुगतान न करते हुए गिरफ्तार किया था। उन्हें दुर्गा पूजा के अंतिम दिन विजयादशमी पर रिहा किया गया जिसके कारण उनके राज्य में त्योहारों को भव्य रूप से नहीं मनाया जा सकता था। लौटने पर राजा कृष्णचंद्र ने जगद्धात्री पूजा अनुष्ठान शुरू किया, जो दुर्गा पूजा के बराबर रोमांच के साथ मनाया जाने लगा। यह पूजा एक विशेष सामाजिक-सांस्कृतिक उत्सव है। रामकृष्ण मिशन में जगद्धात्री पूजो साक्षी का एक अन्य उपचार है।
इस बार रोशनी उद्योग की चमक गायब: त्यौहारों पर रोशनी बिखेरने वाले खुद चंदननगर में फैले सजावटी रोशनी उद्योग की चमक इस बार जगधात्री पूजा से गायब है। कोरोना वैश्विक महामारी और लॉकडाउन समेत भारत-चीन गतिरोध के कारण एलईडी बल्बों की कमी के कारण मदद नहीं मिली।
महामारी ने चंदननगर में उद्योग बंद कर दिया है। कार्यशालाएं केवल मु_ी भर श्रमिकों के साथ डरावनी लगती हैं। यह एक असामान्य दृश्य है। पुरस्कार विजेता कलाकार श्रीधर दास कहते हैं कि इस समय तक आज हमारे पास शायद ही कोई बुकिंग है। उधर चंद्रनगर लाइट्स ऑनर्स एसोसिएशन के सचिव बाबू पाल का कहना है कि इस साल थोक ऑर्डर गायब हैं। दुर्गा पूजा के दौरान हमें बहुत कम ऑर्डर मिले। कोरोना महामारी ने हमारे वफादार ग्राहकों के साथ संबंधों को बदल दिया है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो