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CHATURMASIK KALASH STHAPNAA: कोलकाता के इतिहास में पहली बार 3 संघों की एक साथ कलश स्थापना

locationकोलकाताPublished: Jul 22, 2019 10:18:41 pm

Submitted by:

Shishir Sharan Rahi

CHATURMASIK KALASH STHAPNAA AT KOLKATA: पाश्र्वनाथ दिगंबर जैन उपवन मंदिर बेलगछिया प्रांगण में—-गणाचार्य विराग सागर, आचार्य सुबल सागर और मुनि सुपाश्र्वसागर ससंघ 61 पिच्छियों की एक साथ चातुर्मासिक कलश स्थापना

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CHATURMASIK KALASH STHAPNAA: कोलकाता के इतिहास में पहली बार 3 संघों की एक साथ कलश स्थापना

कोलकाता. पाश्र्वनाथ दिगंबर जैन उपवन मंदिर, बेलगछिया के प्रांगण में 27 लाख जनसमूह को व्यसन मुक्त और शाकाहारी बनाने वाले संत गणाचार्य विराग सागर महाराज, आचार्य सुबल सागर और मुनि सुपाश्र्वसागर महाराज ससंघ 61 पिच्छियों की एक साथ दिगंबर श्रीजैन मुनिसंघ व्यवस्था समिति (उपसमिति) के तत्वावधान में चातुर्मासिक कलश स्थापना संपन्न हुई। इस अवसर पर विराग सागर ने धर्मसभा के दौरान अपने मंगल उद्बोधन में कहा कि साधुजन जीवरक्षा के प्रबल ध्येय से ही चातुर्मास करते हैं। इस काल में साधुओं की तपस्या, ज्ञान, ध्यान और श्रावकों की धर्माराधना में वृद्धि होती है। श्रावक और साधुओं का योग वर्षायोग कहलाता है। प्राचीनकाल में साधुजन एक स्थान पर निश्चल ध्यानस्थ रहते थे, उसे वर्षायोग कहा जाता था। पर आज के समय में वर्षावास होता है। साधुजन बरसात काल में उत्पन्न होने वाली जीव राशि की हिंसा से बचने के लिए 4 माह तक एक ही स्थान पर निवास करते हैं। ये 4 माह श्रावण-भादवा-आश्विन और कार्तिक होते हैं क्योंकि इन माहों में वर्षा की अधिकता से जीवोत्पत्ति की बहुल्यता रहती है। एक स्थान पर साधुओं का सान्निध्य पाकर श्रावक भी उनसे शिक्षा ग्रहण कर लाभ प्राप्त करते हैं। इसी क्रम में आचार्य सुबल सागर ने कहा कि हमें तो यहां से अन्यत्र जाना था पर एक ऐसा योग मिला कि हमें गणाचार्य विरागसागर महाराज का सान्निध्य प्राप्त हो गया। यह चातुर्मास निश्चित ही हमें उपलब्धि प्रदान करेगा। मुनि सुपाश्र्वसागर ने कहा कि यह चातुर्मास मेरी दीक्षाकाल में 13वें नंबर का, आचार्य सुबल सागर का 9वां और विरागसागर महाराज का 39वां चातुर्मास है। इस सबका योग 61 होता है। इस चातुर्मास में कोलकाता वासियों को गणाचार्य विराग सागर के आने से अनायास ही 61 पिच्छियां प्राप्त हो गई हैं। यह चातुर्मास संपूर्ण कोलकाता वासियों को मंगल स्वरूप देगा। चायुर्मास कलश स्थापना के इस प्रसंग पर कार्यक्रम को मंगल रूप प्रदान करने के लिए महिला मंडलों की ओर से मंगल गीत और बालिकाओं ने भक्ति नृत्य प्रस्तुत किया। मंगल चित्र अनावरण सुधीर जैन, अनंत जैन, कमेटी के पदाधिकारियों ने किया। दीप प्रज्जवलनकर्ता दीपचंद-सरला देवी, सनत सुधीर छाबड़ा कोलकाता तथा मंगल आरती धर्मचंद-सुलोचना देवी, पंकज, प्रवीण मोदी कोलकाता ने किया। प्रथम कलश स्थापना का सौभाग्य एवरग्रीन होजयरी के लालचंद निर्मल-पुष्पा बिन्दायका, कोलकाता को प्राप्त हुआ। द्वितीय कलश स्थापना कोलकाता के पवनकुमार, मनीषकुमार-मीनू, भरत-सारिका गंगवाल, तृतीय कलश स्थापनकर्ता बंगवासी हावड़ा के संतोष कुमार-मंजू देवी, धीरज-रीना, तृषा, कनिष्ठ सेठी परिवार, चतुर्थ कलश स्थापनकर्ता डीमापुर-कोलकाता-मुंबई के पवन कुमार-पाना देवी, विनय, विकास, विवेक, विशाल सेठी, पंचम कलश स्थापनकर्ता बोली की ओर से सुमेरमल-नर्वदा देवी चूड़ीवाल-चौरंगी कोलकाता को, षष्टम कलश श्रेयांशगिरी कलश के रूप में इंदरचंद-शांतिदेवी, प्रमोद-माया, पवन-कविता, मनीष-लवली, पंकज-निधि पाटोदी परिवार और सप्तम विरागउदय कलश स्थापनकर्ता का सौभाग्य बोली मंजू देवी पाटनी परिवार चौरंगी-कोलकाता को प्राप्त हुआ।
–इनका रहा योगदान
गणाचार्य विरागसागर का पाद-प्रक्षालण रतनलाल अशोक कुमार सेठी परिवार, आचार्य सुबलसागर का पाद-प्रक्षालण विनोद कुमार जैन, अभिषेक जैन (भोपाल), देवेन्द्र जैन (अखिदिया), अरविंद जैन (आस्था), मुनि सुपाश्र्वसागर का पाद प्रक्षालण संजय जैन सपत्निक (एटा), ने किया। शा भेंट विरागसागर को राजकुमार-ज्ञाना देवी सेठी, आचार्य सुबलसागर को वीरेंद्र जैन, कमलेश जैन (ग्वालियर) और मुनि सुपाश्र्वसागर को बा.ब्र. शुभम भैया व बा.ब्र. राजू भैया की ओर से किया गया। दिगंबर जैन मुनिसंघ व्यवस्था समिति (उपसमिति) के प्रचार मंत्री नवनीज बज ने बताया कि कार्यक्रम को सफल बनाने में दिगंबर जैन मुनिसंघ व्यवस्था समिति (उपसमिति) के अध्यक्ष सुमेरमल चूड़ीवाल, कार्याध्यक्ष सुरेश सेठी (कानकी), स्वागताध्यक्ष महावीर गंगवाल, महामंत्री अशोक पांडया, संयुक्त महामंत्री मनीष गंगवाल, मंत्री दयाचंग बडज़ात्या, कोषाध्यक्ष संदय काला (इस्पात), सुरक्षा मंत्री सुरेंद्र जैन, राजेश काला, सत्येन्द्र जैन, विनोद ठोल्या, अशोक सेठी, सुरेश पाटनी, पीयूष रारा, संदीप काला, धनराज छाबड़ा, वीरू बडज़ात्या, संजय लुहारिया, निरंजन बाकलीवाल, विशाल जैन, सभी कार्यकर्ता/सदस्य, सकल दिगंबर जैन समाज कोलकाता, वृहत्तर कोलकाता समाज के श्रावक-श्राविकाओं का सक्रिय सहयोग रहै। संचालन दिनेश दगड़ा ने किया।

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