मंत्री ने कहा कि सागर तारा का निर्माण पीएम मोदी की मेक इन इंडिया की पहल का ही नतीजा है। जहाज निर्माण के क्षेत्र में हमने बड़ी उपलब्धि हासिल की है। उन्नत तकनीक से लैस इस जहाज से समुद्र में अनुसंधान कार्य, चक्रवाती तूफान और सुनामी की भविष्यवाणी में मदद मिलेगी। हम समय पर मछुआरों के खतरे की सूचना दे सकते हैं। देश के वैज्ञानिक एक पखवाड़े तक गहरे समुद्र में जाकर अनुसंधान कर सकते हैं। इस जहाज के शामिल होने के साथ ही हमारे बड़े में ६ जहाज शामिल हो जाएंगे। टीटागढ़ वैगन्स लि. एक और तटीय अनुसंधान पोत अन्वेशिका का निर्माण कर रही है। अगले साल मार्च, अप्रेल तक इसके जलावतरण की संभावना है। देश के 60 अनुसंधान संस्थानों की ओर से इस जहाज के इस्तेमाल की संभावना है। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशन टेक्नोलॉजी (एनआईओटी) के जरिए इस तरह के दो अनुसंधान जहाज का अधिग्रहण किया है। सोमवार शाम प्री-लॉन्चिंग समारोह में डॉ. माधवन नायर राजीवन, सचिव, पृथ्वी विज्ञान, भारत सरकार, टीटागढ़ वैगन्स लि. के कार्यपालक चेयरमैन जगदीश प्रसाद चौधरी, उपाध्यक्ष व प्रबंध निदेशक उमेश चौधरी समेत कई विशिष्टजन उपस्थित थे।