समुद्र में और मजबूत होगी भारतीय नौसेना
- रडार भी नहीं पकड़ पाएगा युद्धपोत की गतिविधियां
- गार्डेनरीच में तैयार हो रहे और दो युद्धपोत

कोलकाता. भारतीय नौसेना हिंद महासागर पर राज करती रहेगी। समुद्र की ऊंची लहरों में दुश्मन के रडार भारतीय युद्धपोतों की गतिविधियां नहीं पकड़ पाएंगे। रक्षा क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रम गार्डेनरीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (जीआरएसइ) की ओर से तैयार किए जा रहे अत्याधुनिक युद्धपोत जलराशि में भारतीय सामथ्र्य की कहानी कहते रहेंगे। प्रोजेक्ट 17ए के तहत निर्मित रडार की नजरों को धोखा देने में कामयाब रहने वाले तीन युद्धपोतों में से एक आइएनएस हिमगिरी का हाल ही में जलावतरण हुआ है। दो अन्य भी वर्ष 2025 तक तैयार हो जाएंगे।
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अत्याधुनिक हथियारों से लैस होंगे युद्धपोत
प्रोजेक्ट 17 ए के तहत निर्मित युद्धपोत बराक-8 मिसाइल, हायपरसोनिक ब्रह्मोस जैसी मिसाइलों से होंगे लैस।
- युद्धपोतों की डिजायन व तकनीकी दुश्मन के रडार को चकमा देने में सक्षम।
- 149 मीटर लंबे और 6670 टन वजन क्षमता वाले युद्धपोत समुद्र की छाती पर 28 समुद्री मील प्रति घंटा की रफ्तार से चल सकेंगे।
- स्वचालित एकीकृत हथियार प्लेटफॉर्म से युक्त मल्टी रोल वाले पी-17 युद्धपोत भारतीय नौसेना को हिंद महासागर में बाकी देशों के मुकाबले बढ़त दिलाएंगे।
- पूरी तरह स्वदेशी होंगे युद्धपोत
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पहला युद्धपोत 2023 तक
जीआरएसइ में निर्मित इस श्रेणी का पहला युद्धपोत आइएनएस हिमगिरि का जलावतरण भले ही हो गया हो लेकिर इसे कड़ी निगरानी प्रक्रिया के बाद वर्ष 2023 में नौसेना को मिलने की उम्मीद है। अन्य दो वर्ष 2024 और 2025 में सौंपे जाएंगे।
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अन्य देशों के पोत भी बना रहा जीआरएसइ
जीआरएसइ अन्य देशों के पोत भी बना रहा है। इसके साथ ही अपने गठन के पांच दशकों के दौरान जीआरएसइ 100 से ज्यादा युद्धपोत बना चुका है।
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