फिल्म निर्देशक अपर्णा सेन, धृतिमान चट्टोपाध्याय, कौशिक सेन, सुमन मुखर्जी, श्रीजीत, अनिर्बान चक्रवर्ती, परमब्रत चट्टोपाध्याय, रूपम इस्लाम समेत 22 लोगों ने पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं। राज्य में रामपुरहाट जनसंहार के बाद बुद्धिजीवियों के चुप्पी साधे रखने पर सवाल उठ रहे थे। विपक्ष बुद्धिजीवियों पर सत्ताधारी दल के साथ सांठगांठ के आरोप लगा रहा था।
प्रशासन- पुलिस की भूमिका पर सवाल
पत्र में आनिस खान हत्याकांड, रामपुरहाट जनसंहार, चुनाव पूर्व और बाद में हुई हिंसा, दो पार्षदों की हत्या का जिक्र करते हुए पुलिस प्रशासन की भूमिका पर सवाल उठाए हैं। पत्र में रामपुरहाट कांड के बाद ममता बनर्जी के उठाए गए कदमों की तारीफ भी की गई है। भाजपा का नाम लिए बिना कहा गया है कि ममता देश भर में विपक्ष का चेहरा बन रही हैं। उन्होंने राज्य विधानसभा चुनाव में विभाजनकारी नीतियां लागू करने वालों को हराया है।
पंचायत चुनाव में न हो पुनरावृत्ति
मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में कहा गया है राज्य में अगले साल पंचायत चुनाव होने हैं। राज्य प्रशासन को वर्ष 2023 के पंचायत चुनाव को सुचारू रूप से कराने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने का अनुरोध किया है।
विरोध करें, रास्ते पर भी उतरें: सेन
अपर्णा सेन ने कहा कि राज्य के लोगों को हिंसा और मानवाधिकारों के हनन का विरोध करने में किसी तरह का डर नहीं होना चाहिए। जरूरत पडऩे पर रास्ते पर भी उतरना चाहिए।
पत्र लिखने वालों का नर्वस सिस्टम कमजोर: भाजपा
राज्य के बुद्धिजीवियों के एक वर्ग की ओर से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को लिखे गए पत्र पर भाजपा नेताओं ने कड़ी टिप्पणी की है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने कहा कि पत्र लिखने वालों का नर्वस सिस्टम कमजोर है। उन्हें देर से बात समझ में आती है।
वहीं पार्टी के वरिष्ठ नेता तथागत राय ने फेसबुक पोस्ट कर बुद्धिजीवियों पर व्यंग्य किया। उन्होंने लिखा कि चलो बयान तो जारी किया, लेकिन उन्हें लगता है पत्र राज्य सरकार की कार्यप्रणाली का प्रशंसा पत्र है।