आयोग की अधिसूचना पर 23 तक रोक भाजपा ने मंगलवार को आयोग के यू टर्न संबंधी फैसले को कलकत्ता हाईकोर्ट में चुनौती दी। हाईकोर्ट ने 23 अप्रेल तक अधिसूचना पर अंतरिम रोक लगाई है। इस दौरान सभी पक्षों जिसमें राज्य निर्वाचन आयोग भी है, राजनीतिक दल भी हलफनामे के माध्यम से अपना पक्ष रख सकते हैं। अदालती आदेश के बाद तृणमूल कांग्रेस की ओर से हाईकोर्ट में हलफनामा दायर कर अपना पक्ष रखा गया है। इसलिए बुधवार को इसपर हाईकोर्ट में भी सुनवाई होगी।
आयोग पर अंगुली, सुनवाई आज उधर सुप्रीम कोर्ट में प्रदेश भाजपा ने याचिका दायर कर कहा है कि निर्वाचन आयोग ने अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाई है। इसपर बुधवार को सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई हो सकती है।
प्रदेश भाजपा के महासचिव प्रताप बंद्योपाध्याय ने याचिका जारी कर आयोग की दूसरी अधिसूचना रद्द करने का अनुरोध किया। याचिका पर न्यायाधीश सुब्रत तालुकदार की अदालत में सुनवाई हुई। सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद न्यायाधीश तालुकदार ने आयोग द्वारा जारी मंगलवार की अधिसूचना पर अंतरिम रोक लगा दी। अदालत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को ही अपने फैसले में कहा था कि राज्य निर्वाचन आयोग ही पंचायत चुनाव पर फैसले लेने का अधिकारी है। जब सुप्रीम कोर्ट ने आयोग को ही सर्वोपरि घोषित कर दिया है तो राज्य निर्वाचन के पास कानून की समस्या कहां से उत्पन्न हो रही है।
राज्य निर्वाचन आयोग पर दी थी जिम्मेदारी सुप्रीम कोर्ट ने पंचायत चुनाव पर फैसले लेने का अधिकार राज्य निर्वाचन आयोग पर छोड़ते हुए कहा था कि राज्य निर्वाचन ही सर्वोपरि है। इसलिए उसे लगता है या किसी ने उससे शिकायत की है तो वह अपना पर्चा दाखिल नहीं कर पाया है। उससे इस कार्य में उसे बाधा पहुंचाई गई है तो राज्य निर्वाचन को संबंधित व्यक्ति के अधिकार को सुरक्षित करने का प्रयास करना चाहिए।
नहीं आनी चाहिए कानूनी अड़चन मंगलवार को न्यायाधीश सुब्रत तालुकदार ने भी सुप्रीम कोर्ट के रास्ते पर चलते पंचायत चुनाव पर अंतिम फैसला का अधिकार राज्य निर्वाचन पर छोड़ दिया, पर उन्होंने इतना कहा कि आयोग के सामने कोई कानूनी अड़चन नहीं आनी चाहिए। हालांकि प्रदेश भाजपा ने अपनी याचिका में यह भी मांग की थी कि इच्छुक उम्मीदवारों को पर्चा दाखिल कराने की व्यवस्था की जाए और प्रशासन को इस संबंधी में निर्देश जारी किया जाए, पर न्यायाधीश तालुकदार ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में अपना फैसला सुना दिया है। हाईकोर्ट भी पंचायत चुनाव पर हस्तक्षेप करना नहीं चाहता। (विधि संवाददाता)