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श्रमिकों के बच्चों का जौहर देख हतप्रभ हुए अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी भी

locationकोलकाताPublished: Feb 19, 2020 11:57:19 pm

Submitted by:

Krishna Das Parth

विजेताओं को तराशकर भेजा जाएगा राष्ट्रीय स्तर की स्पद्र्धा में-दिया जाएगा उच्च स्तरीय प्रशिक्षण

श्रमिकों के बच्चों का जौहर देख हतप्रभ हुए अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी भी

श्रमिकों के बच्चों का जौहर देख हतप्रभ हुए अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी भी

कृष्णदास पार्थ
पश्चिम बंग श्रमिक कल्याण परिषद की ओर से आयोजित राज्य स्तरीय वार्षिक खेलकूद प्रतियोगिता के उद्घाटन समारोह में बुधवार को बतौर मुख्य अतिथि राज्य के श्रममंत्री मलय घटक ने खिलाडि़यों को सकारात्मक प्रतिस्पद्र्धा की प्रेरणा दी। मौलाली के पास रामलीला मैदान में आयोजित इस खेलकूद प्रतियोगिता में प्रदेश के विभिन्न जिलों के श्रमिकों के 14०० से अधिक बच्चों ने हिस्सा लिया। मंत्री घटक ने प्रतियोगिता का उद्घाटन करते हुए प्रतियोगिता के विभिन्न वर्गों में चैंपियन बनने वाले खिड़ालियों को तराश कर राष्ट्रीय स्तर पर भेजने की बात भी कही। उन्होंने इस संदर्भ में आश्वस्त करते हुए परिषद के अधिकारियों से कहा कि एेसे प्रतिभावान खिलाडि़यों को उच्च दर्जें के प्रशिक्षण का प्रबंध भी किया जाएगा। प्रतियोगिता में एथलेटिक्स की विभिन्न १००, २०० मीटर दौड़, रिले रेस आदि कई स्पद्र्धाएं शामिल थीं। इस मौके पर राज्य के विद्युत मंत्री शोभनदेव चट्टोपाध्याय, उपभोक्ता मामलों के मंत्री साधन पांडेय, स्थानीय विधायक स्वर्ण कमल साहा, स्थानीय पार्षद अरुण कुमार दास, भारतीय फुटबाल टीम के पूर्व खिलाड़ी गौतम सरकार, प्रशांत बनर्जी और देवजीत घोष सम्माननीय अतिथि के तौर पर मौजूद थे।
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-पश्चिम बंग श्रमिक कल्याण परिषद के सराहनीय प्रयास, जो श्रमिक वर्ग को लगा रहा है विकास के पंख
कोलकाता. खेल एेसी विधा है, जिससे शरीरिक और मानसिक विकास के साथ सकारात्मक प्रतिस्पद्र्धा का भाव पैदा होता है। इसीलिए तो कहा जाता है कि खेल को खेल की भावना से खेलो। पश्चिम बंग श्रमिक कल्याण परिषद एक त्रिपक्षीय संस्था है, जो श्रमिको के बच्चों के विकास के लिए जी जान से जुटी है। परिषद विविध प्रकल्पों के माध्यम से श्रमिक परिवारों और उनके बच्चों के उत्थान के लिए कार्य कर रहा है। इनमें खेल, मनोरंजन, मदद, पर्यटन, रोजगार परक प्रशिक्षण आदि शामिल हैं। परिषद में सरकार, श्रमिक और मालिक पक्ष के प्रतिनिधि भी शामिल हैं। राज्य के विभिन्न कल-कारखानों, चाय बागान, वाणिज्यिक व परिवहन संस्थान आदि में काम करने वाले दिहाड़ी मजदूर और श्रमिक इसके सदस्य हैं। हर सदस्य को साल में केवल 12 रुपए सदस्यता फीस देनी होती है। इसके अलावा वे जिस संस्थान में काम करते हैं उस संस्थान के मालिक भी परिषद में सालाना 30 रुपए योगदान राशि देते हैं। मालिक पक्ष के बराबर की राशि राज्य सरकार भी परिषद के फंड में जमा कराती है। इस फंड से श्रमिकों के बच्चों व परिवारों के लिए कल्याण मूलक कार्य किए जाते हैं।

शिक्षा से वंचित बच्चों को रोजगार परक प्रशिक्षण
परिषद की ओर से श्रमिकों के बच्चों को उच्च माध्यमिक और स्नातकोत्तर शिक्षा पाने के लिए छात्रवृत्ति और आर्थिक मदद दी जाती है। परिषद ने यह तय कर रखा है कि जिस श्रमिक का मासिक वेतन 6 हजार रुपए है उनके बच्चों को परिषद उच्च शिक्षा के लिए आर्थिक मदद देगा और जिनकी आय 15 हजार रुपए मासिक है उनके बच्चों को छात्रवृत्ति दी जाएगी। इसके अलावा जिन श्रमिकों के बच्चे किसी कारणवश शिक्षा ग्रहण नहीं कर पाते उन्हें रोजगार मूलक प्रशिक्षण दिया जाता है। इसमें सिलाई व कढ़ाई आदि कार्य शामिल हैं। यही नहीं जो श्रमिक किसी गंभीर रोग से ग्रसित हैं उन्हें इलाज के लिए भी परिषद की ओर से सहायता राशि दी जाती है।
खेलकूद से बनाए भविष्य
परिषद का कहना है कि श्रमिकों के बच्चे खेलकूद से भी अपना भविष्य बना सकते हैं। चायबागान, जंगलमहल और पहाड़ी क्षेत्र के काफी ऐसे बच्चे हैं जिनमें प्रतिभा कूट-कूटकर भरी है। सिर्फ उन्हें निखारने और उचित मंच प्रदान करने की जरूरत है। इसी को ध्यान में रखते हुए परिषद की ओर से सालभर के दौरान विभिन्न स्तर की प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं। इनमें इनडोर और आउटडोर खेल भी शामिल हैं।
पर्यटन के लिए होली-डे होम की व्यवस्था
परिषद ने अपने श्रमिकों के मनोरंजन के मद्देनजर प्रदेश के विभिन्न पर्यटन स्थलों पर कई होली डे होम भी बनाए हैं। परिषद के दीघा, बकखाली, हासीमारा, दार्जिलिंग, गैंगटॉक, सिलीगुड़ी, कोलकाता (मानिकतल्ला), पुरी आदि पर्यटन स्थलों पर होली डे होम हैं। जहां परिषद से जुड़े श्रमिक न्यूनतम खर्च पर अपने परिवार के साथ जाकर पर्यटन का आनंद उठा सकते हैं।
51 कल्याण केंद्र
इस बोर्ड के तहत 51 श्रमिक कल्याण केंद्र हैं। इसमें से 23 केन्द्रों को उनकी गतिविधियों के आधार पर आदर्श श्रमिक कल्याण केंद्र बनाया गया है।
जाग गया श्रम विभाग
34 साल से राज्य का श्रम विभाग सोया था। ममता बनर्जी की सरकार आने के बाद यह फिर से जग गया है। इतनी भारी संख्या में बच्चे और उनके अभिभावकों का इस प्रतियोगिता में हिस्सा लेना यही साबित करता है। राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी चाहती हैं कि ग्राम, अंचल और जिले के बच्चों को प्रतिभा दिखाने का मौका मिले। विशेषकर श्रमिक वर्ग के बच्चों के लिए यह प्रतियोगिता काफी मददगार साबित होगी।
– मलय घटक, श्रममंत्री, पश्चिम बंगाल

परिषद का प्रयास प्रशंसनीय
राज्य सरकार विभिन्न स्तर पर प्रतियोगिता आयोजित करती है। यह पहली बार हुआ है कि श्रमिकों और कर्मचारियों के बच्चों के लिए राज्य स्तर की प्रतियोगिता आयोजित की गई है। इससे प्रतिभावान बच्चों को आगे बढऩे में काफी मदद मिलेगी। परिषद का यह प्रयास प्रशंसनीय है।
-स्वर्ण कमल साहा, विधायक

…ताकि श्रमिकों के बच्चे बन सकें स्तरीय खिलाड़ी
प्रथम बार राज्य स्तर की यह प्रतियोगिता परिषद की ओर से आयोजित की गई है। मुख्य उद्देश्य प्रतिभावान खिलाडिय़ों को मंच प्रदान करना है ताकि वे राष्ट्रीय स्तर पर दस्तक देने के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी बन सकें। प्रतियोगिता के विभिन्न खेलों में चैंपियन होनेवाले खिलाडिय़ों को अनुदान देकर बेहतरीन प्रशीक्षण की व्यवस्था करना हमारा उद्देश्य है।
-समीर कुमार बसु, कमिश्नर पश्चिम बंग श्रमिक कल्याण परिषद
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