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‘मौत पर राजनीति करना दुर्भाग्यपूर्ण’

locationकोलकाताPublished: Oct 20, 2018 07:11:40 pm

Submitted by:

Shishir Sharan Rahi

मुनि कमलेश ने अमृतसर रेल हादसे में मृतकों के प्रति व्यक्त की संवेदना-घटना पर राजनीतिक रोटियां सेंकने वालों को लगाई फटकार

kolkata

‘मौत पर राजनीति करना दुर्भाग्यपूर्ण’

कोलकाता. पंजाब के अमृतसर में हुए रेल हादसे में मृतकों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए राष्ट्रसंत कमलमुनि कमलेश ने शनिवार को महावीर सदन में धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि यह हादसा टाला जा सकता था। मुनि ने इस दुखद घटना पर स्वार्थवश राजनीतिक रोटियां सेंकने वालों को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि मौत पर राजनीति करना दुर्भाग्यपूर्ण है। आरोप-प्रत्यारोप लगाने के बजाय इसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए और दोषियों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि रेलवे पटरी के दोनों तरफ एक सुरक्षा कवच होना चाहिए, क्योंकि प्रतिदिन सैकड़ों मूक प्राणी जैसे गाय, हाथी आदि गाड़ी के नीचे कुचलकर अकाल मौत के शिकार होते हैं। पदयात्रा के दौरान दर्दनाक दृश्य उन्होंने अपनी आंखों से देखा है। जैन संत ने कहा कि मानवाधिकार की भांति पशु अधिकार का भी गठन होना चाहिए। सडक़ों पर घूमते हुए सैकड़ों आवारा पशु हाईवे पर एक्सीडेंट के शिकार होते हैं। इसमें इंसान और पशु दोनों ही मौत के शिकार होते हैं। उन्होंने कहा कि धार्मिक, सामाजिक और राजनीतिक कोई भी कार्यक्रम हो सुनियोजित तरीके से प्रशासन की स्वीकृति लेने के बाद ही आयोजकों को प्रारंभ करना चाहिए। लापरवाही जनता करती है और दोष सरकार-प्रशासन को क्यों दिया जाता है? अमृतसर में हादसे में घायल लोगों के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ के लिए मंगल प्रार्थना की गई। मृतक परिवारों के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की मांग सरकार से की गई। हादसे में मारे गए लोगों की आत्मा की शांति के लिए महामंत्र नवकार का जाप किया गया। कौशल मुनि ने मंगलाचरण और घनश्याम मुनि ने विचार व्यक्त किए।
अमृतसर रेल हादसा
पंजाब में अमृतसर के निकट शुक्रवार शाम को रावण दहन देखने के लिए गए 61 लोगों को यह भी पता नहीं था कि यह उनका अंतिम दशहरा है। यहां रेल पटरियों पर खड़े लोग ट्रेन की चपेट में आ गए जिसमें उनकी मौत हो गई। हादसे में 72 अन्य घायल हो गए, जिन्हें इलाज के लिए नजदीक के अस्पताल में भर्ती कराया गया। ट्रेन जालंधर से अमृतसर आ रही थी तभी जोड़ा फाटक पर यह हादसा हुआ। रेलवे का कहना है कि पुतला दहन देखने के लिए लोगों का वहां पटरियों पर एकत्र होना स्पष्ट रूप से अतिक्रमण का मामला था और इसके लिए रेलवे की ओर से कोई मंजूरी नहीं दी गई थी। इतनी भीड़ होने के बावजूद गाड़ी नहीं रोके जाने को लेकर सवाल उठने पर एक रेलवे अधिकारी ने कहा, वहां काफी धुआं था जिसकी वजह से चालक कुछ भी देखने में असमर्थ था और गाड़ी घुमाव पर भी थी। मौके पर कम से कम 300 लोग मौजूद थे जो पटरियों के निकट एक मैदान में रावण दहन देख रहे थे।
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