मनीष सिंघवी ने अपने शैक्षणिक जीवन में कानून के स्नाकोत्तर (एलएलएम) की परीक्षा 1995 में गोल्ड मैडल के साथ उत्तीर्ण की। अपने शानदार शैक्षणिक योग्यता के कारण वर्ष 1996 में अखिल भारतीय प्रशासनिक सेवा परीक्षा में सफलता प्राप्त की एवं भारतीय प्रशासनिक सेवा में चयनित होने के बावजूद भी अधिवक्ता के रूप में अपने कैरियर के लिए उसे ज्वाइन नहीं किया। 1997 में उनके जर्मनी के एमसटर्डन शहर में रोटरी इंटरनेशनल कल्ब की ओर से सद्भावना दूत (गुलविल एम्बेसेडर) के रूप में चयनित किया गया। इंटरनेशनल कॉमर्शियल ऑरबीट्रेशन लॉ में डॉक्टरेट की उपाधि हासिल की। 30 वर्ष की युवा अवस्था में सुप्रीम कोर्ट के कस्टीट्यूटशन बेंच को सम्बोधित कर एक अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया। सुप्रीम कोर्ट में आपने अपने आप को लगभग 250 मुकदमों की पैरवी कर एक सफल अधिवक्त के रूप में अधिष्ठापित किया। आपके परिवार के सदस्यों ने समाज और राष्ट्र को अनेक पदों पर रहकर अपने सेवाओं से गौरवान्ति किया है। ऐसे व्यक्तित्व का सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिकवक्ता के रूप में चयन सम्पूर्ण समाज के लिए गौरव एवं प्रेरणा का विषय है। उपरोक्त जानकारी तेरापंथ धर्मसंघ के श्रावक कमल कुमार दुगड़ ने दी।